William Dalrymple | चीन नहीं, भारत प्राचीन विश्व व्यापार का प्रमुख केंद्र- विलियम डेलरिम्पल

सुप्रसिद्ध इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल का मानना है प्राचीन काल में चीन नहीं बल्कि भारत वैश्विक व्यापार का प्रमुख केंद्र था, रोम और यूरोप के साथ भारत के प्रगाढ़ कारोबारी संबंध थे। यह बात उन्होंने दिल्ली के एक आयोजन में कही, जहां उन्होंने शिरकत की थी।

चीन नहीं भारत प्रमुख व्यापारिक केंद्र

विलियम डेलरिम्पल ने कहा, लंबे समय से यही माना जाता है चीन का सिल्क मार्ग ही प्राचीन समय का प्रमुख व्यापारिक मार्ग था, जो चीन को मिडिल ईस्ट, यूरोप और अफ्रीका से जोड़ता था। लेकिन यह एक मिथ है, उनके अनुसार व्यापार सिल्क मार्ग की जगह समुद्री जहाजों से होता था, भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर कई एक्टिव पोर्ट थे। उन्होंने आगे कहा रोम और चीन को एक-दूसरे की जानकारी हो, ऐसा प्रतीत भी नहीं होता, रोम से चीन के लिए और चीन से रोम के लिए कोई भी व्यापारिक और राजनयिक मिशन कभी गए हों, ऐसा प्रतीत नहीं होता है। लेकिन हर साल यूरोप से हजारों जहाजी बेड़े मिस्र के तट से होते हुए और लाल सागर के रास्ते भारत पहुंचते थे।

सिल्क मार्ग के क्षेत्रों में रोमन सिक्कों का अभाव

वह आगे कहते हैं रोमन सिक्के पूरे यूरोप में मिलते हैं, भूमध्यसागर के आस-पास और नीलनदी के क्षेत्रों में रोमन सिक्के मिलते हैं, भारतीय उपमहाद्वीप में रोमन साम्राज्य का सोना प्राप्त होता है, लेकिन सिल्क मार्ग के क्षेत्रों में रोमन सिक्के नहीं मिलते हैं, जो यह बताने के लिए पर्याप्त है प्राचीन समय में भारत ही विश्व व्यापार का प्रमुख केंद्र था। इसके साथ ही वह रोमन लेखक प्लिनी और भूगोलवेत्ता स्ट्रैबो का भी साक्ष्य देते हैं, जो भारत के व्यापारिक महत्व को बताता है।

समुद्री हवाओं का व्यापारिक महत्व

विलियम डेलरिम्पल समुद्री व्यापार में हिन्द महासागर में चलने वाली मानसूनी हवाओं के महत्व को भी बताते हैं, जो व्यापारिक जहाजियों को भारत की तरफ बढ़ाने में मददगार होती हैं, ये हवाएँ लगातार 6 महीने तक एक ही दिशा में प्रवाहित होती रहती हैं और 6 महीने बाद विपरीत दिशा में, जिससे आप मिस्र से 2 महीने में भारत के पश्चिमी तटों के तक पहुँच सकते हैं और भारत के पूर्वी तटों से 2 महीने में मलक्का इत्यादि पूर्वी द्वीपीय क्षेत्रों तक, दरसल ये हवाएँ उस समय चलने वाले जहाजों को गति प्रदान किया करती थीं।

कौन हैं विलियम डेलरिम्पल

विलियम डेलरिम्पल एक सुप्रसिद्ध स्कॉटिश इतिहासकार और लेखक हैं, वह भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन इतिहास, कला और संस्कृति के अध्येता और विचारक हैं, वह अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रहते हैं। उनकी कई सारी किताबें भारतीय इतिहास पर प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें हालिया प्रकाशित ‘द गोल्डन रोड’ प्रमुख है, जिसमें प्राचीन भारत के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व को बताया गया है, द ऐनर्की, लास्ट मुग़ल और कोह-ए-नूर इत्यादि उनकी अन्य सुप्रसिद्ध किताबें हैं।

उन्होंने भारत के व्यापारिक महत्व के अलावा, नालंदा विश्वविद्यालय की भी खूब तारीफ की, और उसे अपने समय का ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और नासा बताया, जहाँ दूर-दूर से विद्यार्थी, अध्ययन के लिए आते थे।

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