UP: लखनऊ में रईसजादों ने सिपाही को पीटा, वर्दी फाड़ी, ADG के बेटे पर शक

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Constable Beaten up in Lucknow: आरोपियों ने सिपाही को कॉलर पकड़कर घसीटते हुए स्टेडियम चौकी ले गए, जहां उसे बेरहमी से पीटा और चौकी में तोड़फोड़ की। घटना के 13 दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस चौथे आरोपी की पहचान नहीं कर पाई। FIR में तीन आरोपियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन चौथा आरोपी ‘अज्ञात’ है।

Lucknow News in Hindi: लखनऊ में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां चार रईसजादों ने एक सिपाही को न सिर्फ बुरी तरह पीटा, बल्कि उसकी वर्दी फाड़ दी और उसे ‘कुत्ता’ कहकर अपमानित किया। यह वारदात 29 मई की देर रात हजरतगंज थाना क्षेत्र में हुई। सिपाही अर्जुन चौरसिया ने चार लोगों को आपस में झगड़ते देखा और उन्हें शांत करने की कोशिश की। इस बात से नाराज होकर आरोपियों ने सिपाही पर हमला कर दिया।

आरोपियों ने सिपाही को कॉलर पकड़कर घसीटते हुए स्टेडियम चौकी ले गए, जहां उसे बेरहमी से पीटा और चौकी में तोड़फोड़ की। शोर सुनकर पहुंचे अन्य पुलिसकर्मियों ने तीन आरोपियों—जयप्रकाश सिंह, अभिषेक चौधरी और सुमित कुमार—को पकड़ लिया। चौथा आरोपी सफेद इनोवा गाड़ी लेकर फरार हो गया। दावा है कि यह चौथा आरोपी पुलिस मुख्यालय में तैनात एक ADG का बेटा है, जिसके चलते पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की।

13 दिन बाद भी चौथा आरोपी फरार

घटना के 13 दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस चौथे आरोपी की पहचान नहीं कर पाई। FIR में तीन आरोपियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन चौथा आरोपी ‘अज्ञात’ है। DCP मध्य आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि चौथे आरोपी की तलाश जारी है, जबकि तीनों पकड़े गए आरोपियों को निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई। सवाल उठ रहा है कि क्या सीसीटीवी से लैस लखनऊ शहर में पुलिस इनोवा गाड़ी का नंबर तक नहीं पता कर पाई? आरोपियों से पूछताछ में भी चौथे शख्स की जानकारी नहीं मिली, जिससे पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

सिपाही ने FIR में क्या?

सिपाही अर्जुन चौरसिया ने FIR में बताया कि 29 मई की रात वह पालीगंज-6 पर गश्त कर रहे थे। स्टेडियम चौकी के पास एक सफेद इनोवा में चार लोग आपस में झगड़ रहे थे। उन्हें शांत करने की कोशिश पर चारों भड़क गए और गालियां देने लगे। सिपाही को ‘कुत्ता’ कहकर अपमानित किया गया और चौकी में ले जाकर बेरहमी से पीटा। उनकी वर्दी फाड़ दी गई और चौकी की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। शोर सुनकर पुलिसकर्मियों ने पहुंचकर सिपाही को बचाया, लेकिन तब तक चौथा आरोपी गाड़ी लेकर फरार हो चुका था।

मामला कैसे उजागर हुआ?

घटना के अगले दिन, 30 मई को हजरतगंज थाने में चुपके से FIR दर्ज की गई। पांच दिन बाद पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की, तब जाकर मामला चर्चा में आया। फिर भी, पुलिस ने 11 जून तक इस पर चुप्पी साधे रखी। ADG के बेटे के शामिल होने की चर्चा ने मामले को और गंभीर बना दिया है।

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