Hindi Kahani :आज ज़िंदगी बहोत सुलझी सी लगती है लेकिन कल नहीं थी, हाँ कल तक, जब तक वो मुझे नहीं मिला था ,मै अपनी परेशानियों में इतनी उलझी थी कि ये भी भूल गई थी कि मै जो कर रही हूँ, मै उसके लिए नहीं बनी हूँ और सोचती भी कैसे ,मै अपनी कला को निखारना चाहती थी जिसके लिए बहोत वक़्त चाहिए था और वक़्त ,मेरे पास था नहीं क्योंकि उस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा ज़रूरत पैसों की थी और उसके लिए अगर मै कहीं नौकरी न करती तो क्या करती ,मै एक ऑफिस में क्लर्क थी और क्लर्क नाच तो नहीं सकती न ! पर हाँ पूरे घर की ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर थी इसलिए मै थके क़दमों से दौड़ ज़रूर रही थी , ख़ैर एक दिन मै ऑफिस पहुँची तो मेरे बॉस ने मुझसे कुछ फाइलें मंगाई और मै वो सब लेकर उनके केबिन में गई और कहा सर आपने जो फाइलें मंगाई थीं मै वो ले आईं हूँ ,उन्होंने कहा ओके सिटडाउन। मै बैठ गई और वो एक-एक कर सबका ब्यौरा लेते रहे ,हम इतना मसरूफ़ हो गए कि कई घंटे बीत गए तभी उनकी सेक्रेटरी ने फोन किया कि सर घर से आपका खाना आ गया है उन्होंने कहा ठीक है लगा दो। फिर मुझसे कहने लगे कब लंच टाइम हो गया मुझे तो पता ही न चला दीपिका जी चलिए आप भी लंच कर लीजिये, मैंने कहा जी सर और उठ के जाने लगी तो वो बोले अगर आपको ऐतराज़ न हो तो आज मेरे ही साथ खा लीजिये मुझे भी कम्पनी मिल जाएगी।
मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैंने कहा ,ऐसी बात है तो ज़रूर खा लूँगी ,मै बस अभी अपना टिफिन लेके आई ,वो हँस के बोले थैंक यू , मैंने कहा मोस्ट वेलकम सर और मै जाके अपनी डेस्क से टिफिन ले आई फिर सर के साथ डाइनिंग टेबल पर अपना भी टिफिन रख दिया वो आये और बैठते हुए बोले बैठिये दीपिका जी और जल्दी टिफिन खोलिये मुझे भी खिलाइये, जो भी लाई हों ,मैंने थोड़ा मुस्कुराके कहा अरे सर मै कुछ ख़ास नहीं लाई हूँ। आप अपना टिफिन ओपन करिये उसमें बहोत कुछ होगा ,लाइए मै सर्व कर देती हूँ इतना कहके मैंने उनकी प्लेट लगा दी और बाक़ी बॉक्स भी ओपेन कर दिए जिनमें कई तरह के खाने थे और अपने दो डिब्बों के टिफिन से बस निवाला तोड़ने ही वाली थी कि उन्होंने कहा अरे दीपिका जी आप कुछ शेयर नहीं करेंगी क्या ! मै थोड़ा झिझक गई और कहा सर आपके पास तो इतनी अच्छी -अच्छी डिशेज़ हैं मै तो सिर्फ सादी सी सब्ज़ी रोटी ही लाई हूँ, आप ये न खाइये प्लीज़ पर वो हँसते हुए बोले अच्छा मुझे अपना खाना खिलाना नहीं चाहतीं हैं इसलिए बहाने बना रहीं हैं ना ,अरे भाई बदले में मेरा भी खाना खा लीजियेगा , मुझे चखा तो दीजिये।
मैंने कहा नहीं सर ऐसी बात नहीं है और टिफिन उनके आगे करते हुए बोली लीजिये खाइये मै तो बस ऑफिस आने की जल्दी में होती हूँ सुबह, तो जो समझ में आया बस वही बना लेती हूँ ,तो वो मेरे टिफिन से एक निवाला तोड़ते हुए बोले अपना टिफिन आप खुद बनाती हैं ? क्या अकेले रहती हैं ,मैंने कहा नहीं माँ और छोटा भाई है पर माँ बहोत बीमार रहती हैं डॉक्टर ने उन्हें बेडरेस्ट को कहा है तो मै कोशिश करती हूँ कि उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा आराम दे सकूँ ,इतना कहके मै चुप हो गई और सर को देखा तो वो आँख बंद करके मेरे टिफिन के खाने से आख़री निवाले का लुत्फ़ ले रहे थे शायद उन्हें मेरी बात भी सुनाई नहीं दे रही थी और खाना ख़त्म करने के बाद बोले दीपिका जी आप बहोत अच्छा खाना बनाती हैं इसलिए मै आपके लिए बचा नहीं सका सॉरी प्लीज़ आप मेरा खाना खा लीजिये , मैंने कहा कोई बात नहीं सर मुझे वैसे भी भूख नहीं थी मै तो बस आपके कहने पर आ गई थी वो बोले अरे ऐसे कैसे मैंने आपका इतना स्वादिष्ट खाना खा लिया अब आपको भी मेरा बेलज़्ज़त खाना ,खाना पड़ेगा मैंने हँसते हुए कहा ऐसे तो मत कहिये सर तो वो बोले नहीं सच में आपको यक़ीन नहीं आता तो खा के देखिये तो मैंने उनका खाना चखा, हाँ थोड़ा बहोत खा भी लिया पर टेस्टी नहीं लगा इतनी वेराइटी होने के बावजूद।
ख़ैर खाने के बाद हम दोबारा काम पे लग गए फिर शाम हो गई और मै अपना काम ख़त्म करके चली आई अगले दिन जब सब्ज़ी बनाने लगी तो फिर मुझे सर की याद आई और मैंने ज़रा अपनी मिक्स वेज में लज़्ज़त बढ़ाने के लिए एक दो और मसाले डाल दिए पर फिर ये भी लगा कि आज सर मेरे साथ क्यों खाएंगे , ये सब सोचते हुए मै ऑफिस आ गई और अपना काम करने लगी फिर जब लंच हुआ तो मै बस टिफिन उठाकर जाने ही वाली थी कि प्यून ने आकर कहा दीपिका मैम आपको सर बुला रहे हैं मैंने कहा अच्छा और टिफिन वहीं अपनी डेस्क पर छोड़ कर सर के पास गई पर उन्होंने जैसे ही मुझे देखा तो बोले दीपिका जी आपका टिफिन कहाँ है ,मैंने कहा सर वो मै अपनी डेस्क पर रख आई तो वो बोले क्यों आज मुझे अपना खाना नहीं खिलाना चाहतीं ,मैंने झट से कहा नहीं सर ऐसी बात नहीं है मै अभी लाती हूँ और ख़ुशी से फूली नहीं समाई कि आज तो मैंने सच में अच्छी सब्ज़ी और पूड़ी बनाई है ,आज तो सर बहोत खुश हो जाएंगे और ऐसा हुआ भी जब सर मेरा खाना खाने बैठे तो बोले दीपिका जी बुरा नहीं मानियेगा लेकिन आप आज भी मेरा खाना खा लीजिये और मै आपका खा लेता हूँ प्लीज़ ! मैंने मुस्कुराते हुए कहा नहीं सर बुरा क्यों मानूंगी मैंने तो आज आपके लिए स्पेशल वेज मिक्स बनाई है, वो बोले अच्छा आपको मेरी याद आई थी , मैंने कहा जी वो आपने कल मेरी सादी सी सब्ज़ी रोटी की इतनी तारीफ जो कर दी थी।
वो बोले मै भी आपकी सब्ज़ी को रात के खाने में याद कर रहा था। बस उनकी बात पर मुस्कुराते हुए मैंने उन्हें अपना टिफिन दे दिया और कहा आप मुझे अब मत खिलाइये मै आज घर से खाके आई थी और जाने लगी तो वो बोले दीपिका जी ऐसे नहीं चलेगा और उन्होंने मुझे बिठा लिया तो मै उन्हें इतना खुश देखकर उनका खाना आज भी खाने को राज़ी हो गई पर बड़ी जल्दी उन्होंने पूरा टिफिन खाली कर दिया फिर बोले दीपिका जी कल आप अपनी माँ की बीमारी के बारे में कुछ बता रही थीं, सॉरी मै ठीक से समझ नहीं पाया मैंने कहा हाँ मुझे लगा था कि आप मेरी सादी सी आलू की भुजिया के स्वाद में खो गए हैं ,वो खिलखिलाकर हँस दिए और कहने लगे नहीं ऐसा भी नहीं है कि मैंने कुछ भी नहीं सुना मैंने सुना था कि वो बहोत दिनों से बीमार हैं तभी मैंने सोचा कि मै मिस्टर दिवाकर को आपके घर भेजूंगा आप अपनी माँ को लेकर उनके साथ हमारे फैमिली डॉक्टर आर्यन गाँगुली जी के हॉस्पिटल चली जाइएगा और सब टेस्ट वगैरह करवा लीजियेगा फिर जो भी रिपोर्ट आएँ , उस हिसाब से हम उनका इलाज करवाएंगे ,आप चिंता न करिये। मै उनका थैंक यू कहने लगी तो वो बोले देखिये दीपिका जी ऐसा करके मै कोई एहसान नहीं कर रहा हूँ बल्कि आपकी सब्ज़ी के बदले आप के किये हुए एहसान का कुछ बोझ हल्का कर रहा हूँ ताकि आप मुझपर ये एहसान करना न छोड़ दें मैंने कहा नहीं सर मुझे कोई परेशानी नहीं है मै कल से आपके लिए अलग से टिफिन ले आउंगी आप अपने घर से खाना मँगवाना बंद कर दें वो बोले अच्छा फिर डील पक्की ! मैंने कहा बिलकुल पक्की और मै उनके केबिन से निकलने लगी तो शायद मेरे क़दमों में ज़िंदगी के तार ने थोड़ी मस्ती घोल दी और मेरी चाल ज़रा सी बड़े दिनों बाद थिरकन में बदल गई जिसे शायद मेरे बॉस ने भी महसूस कर लिया। उसके बाद मै अपने घर से रोज़ उनके लिए टिफिन लाती और उनके केबिन में पहुँचवा देती।
मै माँ को भी डॉक्टर के पास ले गयी ,टेस्ट करवाए और रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें क़रीब दो साल तक कंटीन्यू ट्रीटमेंट कराने की सलाह दी इस बीच मैंने काफी छुट्टियां भी लीं पर सर ने मेरी सैलरी पर कुछ असर नहीं पड़ने दिया। माँ भी अब पहले से बेहतर हो रहीं थीं ,ये वो वक़्त था मानों बहोत दिनों बाद मेरे क़दम ज़िंदगी के साज़ पर थिरक रहे थे अब मै थके क़दमों से नहीं चल रही थी बल्कि उस तरह थिरक रही थी जैसे पापा के रहते हुए उनकी गुड़िया सी नाचती थी पूरे घर में चिड़िया से चहकती थी, बस सबकुछ पहले जैसा लग रहा था। पापा के अचानक गुज़र जाने से माँ भी हँसना बोलना भूल गई थी और शायद इसी लिए उन्हें बिमारियों ने घेर लिया था पर अब वो भी कुछ खुश रहने लगीं थीं। एक दिन सर घर आए मेरी माँ से मिलने तो मैंने उन्हें थोड़ी देर और रोक लिया ये कहके कि अब खाना खाके जाइएगा मै बस आपका टिफिन पैक करने ही वाली थी वो भी मान गए और हम सबके साथ खाना खाके ही गए। उनके जाने के बाद माँ ने पूछा दीपिका तुम्हारे बॉस तो बहोत अच्छे हैं और इतनी कर उम्र से इतना बड़ा ऑफिस संभाल रहे हैं ये बड़ी बात है ,तो मैंने उन्हें बताया हाँ माँ जब मैंने ऑफिस ज्वाइन किया था तब सर के पापा ऑफिस सँभालते थे पर वो भी बहोत जल्दी दुनिया से चले गए और दीपक सर उनके एकलौते बेटे हैं न इसलिए उन्हें ही सारा बिज़नेस देखना था, उनकी तो माँ भी उनके बचपन में ही गुज़र गई थीं ,नौकरों के हाँथ का खाना उन्हें बिलकुल नहीं पसंद तभी तो मेरे हाँथ के खाने की भी तारीफ करते हैं, जिसमें तुम मीन मेक निकालती हो। ये बात करते हुए बरसों बाद हम खूब हँसें मानों चुपके से ख़ुशी ने हमारे घर पर दस्तक दे ही दी हो। वक़्त कुछ अच्छा हो रहा था मेरे भाई मनू का टेंथ का रिज़ल्ट भी अच्छा आया था तो मैंने सोचा चलो आज खाने में कुछ मीठा भी बना लेती हूँ और खीर बना ली ,खुद भी टिफिन में रख ली और सर को भी भिजवा दी।
सर ने खाना खाके मुझे बुलवाया मुझे लगा शायद उन्हें खीर नहीं अच्छी लगी पर मेरे पहुँचते ही बोले दीपिका जी किस ख़ुशी में इतनी अच्छी खीर बनाई थी आपने ,तो मैंने कहा सर आपकी वजह से मेरी माँ का इलाज अच्छे से हो पाया अब वो ठीक हो रही हैं और मेरा भाई मनू भी अच्छे नम्बरों से पास हुआ है टेंथ में ,तो वो बोले दीपिका जी क्या आप थोड़ी देर मेरे पास बैठ सकती हैं मैंने कहा जी सर बिलकुल और बैठ गई ,तो वो बोले आप इतना कम बोलती हैं,बड़ा संभलके सलीके से चलती हैं लेकिन मुझे लगता है आप का मन झूम रहा है और आप नाचना चाहती हैं , क्या ये सच है !तो मैंने अपनी धड़कनों को थामते हुए कहा नहीं सर ऐसा नहीं है ,तो वो बोले अब आप मुझसे न छुपाइये मैंने आपकी डान्स में जीती हुई बहोत सारी ट्रॉफियां आपके घर में रखी देखीं हैं , मैंने टालते हुए कहा अरे सर वो तो स्कूल कॉलेज में बस ऐसे ही शौकिया तौर पर कर लेती थी और इत्तेफ़ाक़ से जीत भी जाती थी ,मैंने अभी बात ख़त्म ही की थी कि वो बोल पड़े , अच्छा ये बात है तो ऐसा है इस बार दीवाली पार्टी में आपका डांस होगा आप तैयारी कर लीजियेगा मैंने कहा पर सर अब बहोत दिन बीत गए मुझे डांस छोड़े हुए तो वो बोले ये आप कहती हैं न ,आपका मन और पैर नहीं जिन्हें मैंने देख लिया है , उनकी ये बात सुनकर मै ख़ामोश रह गई और वहाँ से चली आई ख़ैर वो दिन भी जल्दी आ गया जब मेरा नाम अनाउंस किया गया डांस के लिए आज से पहले शायद स्टेज पर चढ़ने में मुझे डर न लगा होगा पर आज लग रहा था, ये सोचकर कि पता नहीं मै सर की उम्मीदों पर खरी उतरूंगी भी कि नहीं। ख़ैर सबने मेरा स्वागत किया मैंने अपना डांस पेश किया सर मेरे सामने ही बैठे थे और शायद बिना पलक झपकाए मुझे देख रहे थे ,सबकी परफॉर्मेंस के बाद प्राइज़ की बारी आई और मुझे सर के हांथों से ही फर्स्ट प्राइज़ मिला।
पार्टी ख़त्म होते होते काफी रात हो गई थी तो सर ने कहा दीपिका जी आपको घर मै छोड़ देता हूँ चलिए ,मैने भी मना नहीं किया और उनके साथ गाड़ी में बैठ गई। मुझे बहोत डर लग रहा था कि पता नहीं सब जजों के साथ सर को भी मेरा डांस अच्छा लगा कि नहीं ख़ैर हम घर पहुँचे और सर ने माँ से कहा ‘आंटी मै पहले सिर्फ आपकी बेटी को पसंद करता था फिर उसके खाने का दीवाना हुआ और अब डांस का भी दीवाना हो गया हूँ क्या आप अपनी बेटी का हाँथ मेरे हाँथ में देंगी ? ‘और माँ ने जवाब दिया दीपक बेटा मै चराग़ लेकर भी ढूंढती तो मुझे तुम्हारे जैसा दामाद न मिलता तुम दोनों राज़ी हो तो मुझे इस रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है। माँ की बात सुनकर दीपक सर ने कहा हाँ आंटी अभी मेरा असली इम्तेहान तो बाक़ी है तो मै ज़रा आपकी बेटी से भी पूछ लूँ कि क्या मै उसके लायक़ हूँ। माँ ने कहा हाँ बेटा जाओ और सर मेरे पास आये और बोले दीपिका जी मै आपके सपनों में हक़ीक़त के रंग भरना चाहता हूँ, उनकी ताबीर का ज़रिया बनना चाहता हूँ क्या आप मुझे इस क़ाबिल समझती हैं, मुझे इजाज़त देती हैं कि मै आपके ख़्वाब अपनी आँखों में सजा लूँ ? तो मैंने कहा आपको इजाज़त की ज़रूरत नहीं आपको हक़ है। दीपक ये बात सुनकर ख़ुशी से उछल पड़े और ज़ोर से शोर मचाते हुए माँ के पास पहुँचे और बोले आंटी अब आप मेरी आंटी नहीं रहीं ,माँ बन गयी हैं ,आपकी बेटी ने हाँ करदी है तो चलिए आप और मनू मेरे घर चलने की तैयारी करिये ,आज से आप दोनों मेरे साथ ही रहेंगे। आज हमारी शादी को दो साल हो चुके हैं अब मै अपना डांस इंस्टीट्यूट चलाती हूँ एक जानी-मानी डांसर हूँ तो सिर्फ दीपक की वजह से।
