Blabbering Remedies In Hindi: बचपन में बच्चों का तोतलापन या लिस्पिंग एक आम सी और प्राकृतिक बात है, जिसमें बच्चे कुछ अक्षरों का उच्चारण ठीक से नहीं कर पाते, जैसे “र” को “ल” बोलना या “स” को “थ” कहना। कई बार यह समस्या अपने आप उम्र के साथ दूर हो जाती है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक बनी रहे, तो बच्चे के आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन पर प्रभाव डाल सकती है।
माता-पिता की जागरूकता और सही मार्गदर्शन से यह आदत समय पर छुड़ाई जा सकती है। इस लेख में कुछ ऐसी ही बातों को विचाराधीन किया गया है। आइए जानते हैं इसके कारण, पहचान और प्रभावी घरेलू उपाय जो बच्चों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
तोतलेपन के मुख्य कारण
- बोलने की शुरुआती आदतें – भाषा सीखने की शुरुआत में बच्चे कुछ अक्षरों को गलत बोलना सीख जाते हैं।
- जीभ या मुंह की बनावट – कभी-कभी जीभ की स्थिति जैसे टंग-टाई या दांतों की बनावट से उच्चारण प्रभावित होता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव – परिवार या आस-पास कोई अन्य सदस्य भी यदि तोतला बोलता है तो बच्चा उसे कॉपी करने लगता है।
- कमजोर श्रवण क्षमता – कान की कमजोरी के कारण बच्चे ध्वनि को ठीक से सुन नहीं पाते, जिससे उच्चारण प्रभावित होता है।
- मानसिक दबाव या डर – डर, संकोच या शर्म भी बच्चों के बोलने के तरीके पर असर डाल सकते हैं।
तोतलेपन को पहचानने के संकेत
- बच्चा “र”, “स”, “श”, “ल”, “क” जैसे अक्षरों को बार-बार गलत उच्चारित करता है।
- बोलते समय अटकता है या शब्द दोहराता है।
- नया शब्द बोलने में डर या झिझक महसूस करता है।
- कभी-कभी अपने तोतलेपन को लेकर मजाक उड़ाए जाने पर चुपचाप रहने लगता है।
बच्चों की तोतलेपन की आदत छुड़ाने के आसान उपाय
घर में सकारात्मक माहौल बनाएं
बच्चा कुछ अटक कर बोले या दोहराकर बोले तो उसे आराम से बोलने को कहें , ताकि बच्चे को बोलने में संकोच न हो लेकिन इसके लिए प्यार से प्रेरित करें। कभी भी बच्चे की बोली का मजाक न उड़ाएं।
धीरे-धीरे बोलने की आदत डालें
बच्चा जो बोले उसे ध्यान से सुनें और दोहराने के लिए प्रोत्साहित करें,स्पष्ट, धीरे और सधे हुए शब्दों में बात करें।
बोलने से जुड़ी गतिविधियां कराएं
बच्चों के लिए फुटकार्ड गेम्स, कहानी सुनाना, शब्दों का अभ्यास, अक्षर पहचान जैसे खेल कराएं। आईने के सामने बोलने की प्रैक्टिस करवाएं, ताकि वह अपनी जीभ और होठों की गति देख सके।
यदि ज़रूरत हो तो स्पीच थैरेपी भी ले सकते हैं
- यदि समस्या 5-6 साल की उम्र तक बनी रहे, तो स्पीच थैरेपिस्ट की मदद लें।
- थेरेपिस्ट विशेष अभ्यासों से उच्चारण को सुधारते हैं।
जीभ और मुंह की एक्सरसाइज
जीभ को घुमाना, ताली बजाते हुए बोलना, गाना गाना जैसी मजेदार गतिविधियों से लाभ होता है।
ध्वनि आधारित अभ्यास
- “सा”, “शा”, “रा”, “ला” जैसे ध्वनि अभ्यास रोज कराएं।
- कहानी या कविता सुनाते समय सही उच्चारण पर ज़ोर दें।
भूल कर न करें ये काम
- बच्चे की बोली को लेकर कभी भी उसे डांटें या शर्मिंदा न करें।
- दूसरों के सामने बार-बार बोलने का दबाव न बनाएं।
- कभी भी तुलना न करें हर बच्चे का विकास अलग गति से होता है।
विशेष :- तोतलापन एक साधारण और सुधार योग्य अवस्था है। धैर्य, प्रोत्साहन और नियमित अभ्यास से बच्चा स्पष्ट और आत्मविश्वास से बोलना सीख सकता है। यदि समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें। याद रखें, आपके सकारात्मक व्यवहार और सहयोग से बच्चे की वाणी में सुंदरता और आत्मविश्वास दोनों आ सकता है।