भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा? India को Bharat बनाने के लिए क्या करना पड़ेगा?

G20 Summit के डिनर इन्विटेशन में President Of India की जगह President Of Bharat लिखा गया तो विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A ने इसे गैर-संवैधानिक कहकर संघराज्य को तोड़ने की साजिश बता दिया।

India Or Bharat: देश में इस समय India और Bharat को लेकर बहस छिड़ गई है. हालांकि यह मुद्दा दशकों से चला आ रहा है लेकिन हाल ही में इसे लेकर माहौल इसी लिए गरम है क्योंकि केंद्र सरकार ने G20 Summit के डिनर इन्विटेशन कार्ड में ‘President Of India’ की जगह ‘President Of Bharat’ लिखा गया है. अब India को Bharat लिखे जाने पर कांग्रेस सहित विपक्षी अलायंस I.N.D.I.A को दिक्क्त होने लगी है. उनका कहना है कि पीएम मोदी ने I.N.D.I.A के चलते India की जगह bharat कहना शुरू कर दिया है जो असंवैधानिक है और राजयसंघ को तोड़ने की साजिश है.

पहली बात तो ये है कि संविधान के अनुसार India ही Bharat है और भारत ही इंडिया है. आप President Of India कहें या President Of Bharat दोनों का मतलब एक ही है. कांग्रेस ऐसे भले गैर-संवैधानिक कह रही है लेकिन इसमें संविधान के खिलाफ होने जैसी कोई बात ही नहीं है. अगर सरकार President Of India की जगह President Of Hind या President Of Hindustan कर देती तो यह असंवैधानिक होता। असल में भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा है ‘इंडिया जो भारत है राज्यों का संघ होगा’ यानी देश के दो नाम है. दोनों में से किसी का भी इस्तेमाल हो सकता है.

भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा?

संविधान की बहस के दौरान 17 सितंबर 1949 को ‘संघ का नाम और क्षेत्र’ खंड चर्चा के लिए पेश हुआ था. जैसे ही अनुच्छेद 1 को पढ़ा गया ‘इंडिया जो भारत है राज्यों का संघ होगा’ तभी से देश के दो नामों को लेकर मतभेद हो गया था. फॉरवर्ड ब्लॉक के मेंबर हरि विष्णु कामथ ने अंबेडकर कमेटी के मसौदे पर आपत्ति जताई थी.

सेठ गोविंद दास ने कहा था कि- वेदों में, महाभारत में, पुराणों में और चीनी यात्री ह्वेन-सांग के लेखों में भारत देश का मूल नाम था। इसलिए स्वतंत्रता के बाद संविधान में इंडिया को प्राथमिक नाम के रूप में नहीं रखा जाना चाहिए। लेकिन अंबेडकर कमेटी ने कोई भी संशोधन प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए और हमारे संविधान में देश के दो नाम इंडिया और भारत हो गए.

अगर इंडिया शब्द की उत्पत्ति की बात करें तो इसके लिए हमें 5000 वर्ष पहले चलना होगा। प्राचीनकाल में भारत के विभिन्न नाम रहे हैं. जैसे जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, भारत, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया। हालांकि इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित नाम भारत रहा है। ये सभी जानते हैं कि भारत नाम राजा दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत पर पड़ा था. ऋग्वेद की एक शाखा ऐतरेय ब्राह्मण में भी दुष्यंत के बेटे भरत के नाम पर ही भारत नामकरण का तर्क है। ऐतरेय ब्राह्मण में इसका भी जिक्र है कि भरत ने चारों दिशाओं को जीतने के बाद अश्वमेध यज्ञ किया जिसके चलते उनके राज्य को भारतवर्ष कहा गया।

मत्स्यपुराण में मनु को भरत कहा गया है। मनु को प्रजा को जन्म देने और उसका भरण-पोषण करने के कारण भरत कहा गया। जिस क्षेत्र पर मनु का राज था उसे भारतवर्ष कहा गया।

जैन धर्म के धार्मिक ग्रंथों में भी भारत नाम का जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि भगवान ऋषभदेव के बड़े बेटे महायोगी भरत के नाम पर देश का नाम भारतवर्ष पड़ा।

विष्णु पुराण में एक श्लोक है… उत्तर यत्समुद्रस्य हिताद्रेश्चैव दक्षिणम। वर्ष तत भारतम नाम भारती यत्र सन्ततिः।। यानी, जो समुद्र के उत्तर व हिमालय के दक्षिण में है, वह भारतवर्ष है और हम उसकी संतानें हैं।

तो इंडिया नाम कहां से आया

India शब्द को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं. कोई India शब्द को अपमानित करने वाला बताता है तो कोई इसे ग्रीक भाषा का उच्चारण कहता है. कहा जाता है कि सिंधु नदी को ग्रीक भाषा में इंडस रिवर के नाम से जानते थे. Indus शब्द लैटिन है. यूनान के इतिहासकार हेरोटस ने 440 BC में सबसे पहले ‘India’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए लिखा था ‘इंडिया स्वर्ग जैसा है। जहां की मिट्टी उपजाऊ है और जिस क्षेत्र में काफी ज्यादा आबादी रहती है’

World History वेबसाइट के अनुसार 300 BC में यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने सिंधु नदी के पार वाले इलाके को इंडिया नाम दिया था. इसी तरह सिंधु नदी से इंडस हुआ और सिंधु से ही हिन्दू और हिंदुस्तान हुआ. खैर अपन हिन्दू-हिंदुस्तान पर किसी और दिन चर्चा करेंगे अभी Bharat और India पर लौट कर आते हैं.

जब ब्रिटिश भारत आए तभी India शब्द प्रचलन में आया. उन्होंने British East India Company बनाई। कहा जाता है कि अंग्रेज हमें Indians इसी लिए कहते थे क्योंकी यह शब्द पिछड़े हुए , जंगलों में रहने वाले आदिवासिओं को कहा जाता था, अमेरिका के मूल निवासियों को भी Indian कहा जाता था और West Indies नाम से देशों का समूह है ही. अंग्रजों से पहले मुगलों का शासन था और मुग़ल भारत को हिंदुस्तान कहते थे.

अंग्रेजों के आगे नतमस्तक होने वाले राजाओं ने भी ‘भारत को इंडिया’ कहना शुरू कर दिया। 1857 के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश गवर्नमेंट बन गई और पूरी दुनिया में भारत को इंडिया कहा जाने लगा.

अगर India को सिर्फ Bharat करना है तो क्या करना पड़ेगा

पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जिसके दो नाम है. एक प्राचीन नाम है और एक अंग्रेजों से प्रभावित लोगों द्वारा चुना गया नाम. अगर भारत के अंग्रेजी नाम India को खत्म करना है तो इसके लिए सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा।  संविधान संशोधन की प्रक्रिया आर्टिकल 368 में दी गई है। संसद के पास ये शक्ति है कि वो संविधान संशोधन कर सकती है। इसके लिए एक विधेयक लाना होगा और दो-तिहाई बहुमत से पारित करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट में 13 जजों की खंडपीठ ने केशवानंद भारती केस में ऐतिहासिक फैसला दिया था कि संविधान संशोधन से संविधान के बुनियादी ढांचे में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि इतिहास में इंडिया नाम हटाने की कोशिश नहीं हुई. जो कांग्रेस आज ‘भारत’ नाम का विरोध कर रही है उसी पार्टी के सांसद रहे शांताराम नाइक ने 2012 में राज्यसभा में एक बिल पेश किया था। इसमें उन्होंने मांग की थी कि संविधान की प्रस्तावना में अनुच्छेद एक में और संविधान में जहां-जहां इंडिया शब्द का उपयोग हुआ हो, उसे बदल कर भारत कर दिया जाए।

2014 में योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा में एक निजी विधेयक पेश किया था। इसमें संविधान में ‘इंडिया’ शब्द के स्थान पर ‘हिन्दुस्तान’ शब्द की मांग की गई थी, जिसमें देश के प्राथमिक नाम के रूप में ‘भारत’ का प्रस्ताव किया गया था।

जून 2020 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसमें संविधान में दर्ज ‘इंडिया दैट इज भारत’ को बदलकर केवल भारत करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से आया है। इसलिए इस नाम को हटाया जाना चाहिए।

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