High Saffron Rates: बॉर्डर बंद होने पर केसर की कीमतों में आया भारी उछाल

High Saffron Rates

High Saffron Rates: मसालों में सबसे कीमती मसाला माने जाने वाले केसर की कीमतें वैसे ही हमेशा आसमान छूती रहती हैं,परंतु हाल ही में भारत पाकिस्तान अटारी-वाघा (attari-wagah border) बॉर्डर बंद होने की वजह से केसर के दाम अपनी चरम सीमा पर पहुंच गए हैं। भारत में केसर अफगानिस्तान(imported saffron from afghanistan) से लाया जाता है परन्तु बॉर्डर बंद होने की वजह से अब इसका आयात बंद हो चुका है। सप्लाई सीमित होने की वजह से केसर की मांग में एकाएक वृद्धि दिखाई दे रही है जिसके चलते केसर की कीमत भी अब पहले से ज्यादा बढ़ गई है। वर्तमान में केसर की कीमत में इतना इजाफा हो गया है कि केसर 5 लाख प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है।

High Saffron Rates
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1 किलो केसर 5 लाख रुपये में(5 lakh for 1 kg saffron)

जी हां ,1 किलो केसर 5 लाख रुपए में मिल रहा है जिसका मुख्य कारण है भारत पाकिस्तान की अटारी भाग बॉर्डर का बंद हो जाना। आमतौर पर भारत में केसर अफगानिस्तान से आता है। उच्च क्वालिटी का यह केसर भारत में काफी पसंद किया जाता है। परंतु अब बॉर्डर पर चलने वाली हलचल की वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुकावट आ चुकी है। इस रुकावट की वजह से बाहर से आने वाली वस्तुओं के मूल्यों को बढ़ा दिया गया है। इसकी वजह से न केवल उपभोक्ता प्रभावित हो रहे हैं बल्कि व्यापारी और उद्योग भी अब चिंता में पड़ गए हैं।

ईरान से आ रहा महंगा केसर

हालांकि भारत में कश्मीर में 6 से 7 टन केसर (kashmiri kesar) का उत्पादन होता है, परंतु भारत की सालाना केसर की मांग 55 टन है। ऐसे में बाकी की आपूर्ति भारत अफगानिस्तान या ईरान से कर लेता है। परंतु अटारी-वाघा बॉर्डर बंद होने की वजह से अफगानिस्तान से केसर आना बंद हो चुका है और अब ईरानी केसर (irani saffron) की मांग बढ़ गई है। ईरानी केसर की मांग बढ़ने की वजह से ईरान ने इस केसर की कीमतों में भी 5% वृद्धि कर दी है। हालांकि देखा जाए तो ईरानी केसर की भारत के केसर की तुलना में बहुत सस्ता होता है परंतु आपूर्ति में कमी होने की वजह से इसके दाम अब आसमान छू रहे हैं।

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वर्तमान परिवेश में भी इस मांग में कोई कमी होती हुई दिखाई नहीं दे रही। हालांकि उत्तर भारत के खरीदारों ने महंगे केसर की वजह से खरीदारी में कमी दिखाई है जिसकी वजह से कई व्यापारियों को नुकसान भी हो रहा है। परंतु दक्षिण और पश्चिम भारत में केसर की मांग जस की तस बनी हुई है। अब देखना यह होगा कि किस प्रकार भारत केसर की कमी से निपटता है और क्या केसर के दामों में कमी आती है?

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