12 जुलाई से 14 जुलाई के बीच रांची में होंगी RSS की बड़ी बैठक
लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन उसकी उम्मीद के मुताबित नहीं हुआ फिर भी नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने में सफल रहे. लेकिन इन सब के बीच बीजेपी और आरएसएस के बीच टकराव की खबर का असर भी चुनावी परिणामों पर पड़ा। बीजेपी को सबसे अधिक नुकसान यूपी में हुआ यहाँ बीजेपी से दलित और ओबीसी वोटर इस बार नदारत रहा. आरएसएस इस बात को लेकर काफी चिंतित है.
कितना जरूरी है यूपी को साधना
लखनऊ से होकर जाता है दिल्ली की गद्दी का रास्ता। उत्तर प्रदेश केवल इस अर्थ में महत्वपूर्ण नहीं है कि यह देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां से 80 लोकसभा सीटें आती हैं, या इस राज्य में जीत किसी भी राजनीतिक दल के लिए केंद्र में सरकार बनाने में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होने की गारंटी होती है। उत्तर प्रदेश इस लिहाज से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यह उत्तर भारत की राजनीतिक-सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण कई प्रमुख जातियों का अच्छा संयोजन है। यदि संघ परिवार अपनी कोशिशों के द्वारा यहां के समाज में जातिगत विविधता को पीछे छोड़ते हुए सभी में एकता और समन्वय स्थापित करने में सफल रहता है, तो इसका संदेश देश के दूसरे हिस्सों में भी जाएगा। इससे संघ उन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेगा, जिसे वह अपनी स्थापना का मूल उद्देश्य मानता है।
सोशल मीडिया प्रमुखों को किया आमंत्रित
आरएसएस को पता है कि इस लोकसभा चुनाव में संविधान ख़त्म करने वाले मुद्दे ने बीजेपी का सबसे अधिक नुकसान किया है. और सोशल मीडिया पर बीजेपी के खिलाफ नरेटिव को ख़त्म करने के लिए सभी सोशल मीडिया प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है. आगामी विधानसभा चुनाव पर गहन चिंतन मनन करने की रणनीति है.
अयोध्या में हार की समीक्षा
बीजेपी ने जब भव्य राममंदिर का निर्माण कराया तब उसे उम्मीद थी कि यूपी में उसे इसका निश्चित ही लाभ मिलेगा। लेकिन चुनावी परिणामो ने सबको चौका दिया। बीजेपी का यूपी में सबसे खराब प्रदर्शन रहा। वह अपनी अयोध्या की सीट तक न बचा सकी. इस बात को लेकर भी आरएसएस बेहद चिंतित है. और इस बैठक के जरिये वह वास्तविक स्थिति का आंकलन करेंगी
आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सभी सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, सी आर मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त, आलोक कुमार, अतुल लिमये सहित कार्यकारिणी के सदस्य इस बैठक में शामिल होंगे