Hidma Kaun tha: सुरक्षाबलों ने कुख्यात नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा को एक जोरदार मुठभेड़ में मार गिराया है। हिड़मा की मौत को देश में नक्सलवाद के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह दंडकारण्य क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की पहली बटालियन का कमांडर था। पिछले एक दशक में हुई कई बड़ी नक्सली वारदातों, जैसे 2010 का चिंतलनार हमला, 2017 का सुकमा हमला और 2021 का बीजापुर हमला, के पीछे हिड़मा को ही मास्टरमाइंड माना जाता रहा है। उसकी मौत से नक्सलियों की सैन्य क्षमता को गहरा नुकसान पहुंचने की उम्मीद है।
Hidma Kaun tha: छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर मंगलवार सुबह सुरक्षाबलों ने बड़ी सफलता हासिल की है। घेराबंदी और मुठभेड़ में देश के सबसे खतरनाक और एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा को मार गिराया गया। माओवादी संगठन के लिए यह हाल के वर्षों में सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
कौन था माड़वी हिड़मा?\Who was Madvi Hidma?
Hidma Kaun tha: सुकमा जिले में जन्मा माड़वी हिड़मा महज 16 साल की उम्र में नक्सली बन गया था। दो दशकों में वह सीपीआई (माओवादी) की सबसे खतरनाक सैन्य टुकड़ी ‘बटालियन नंबर-1’ का कमांडर बन चुका था। दंडकारण्य के घने जंगलों और अबूझमाड़ के इलाके की उसकी गहरी जानकारी की वजह से वह लंबे समय तक सुरक्षाबलों की पकड़ से बाहर रहा।
हिड़मा कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था, जिनमें शामिल हैं:
- 2010 दंतेवाड़ा हमला (76 सीआरपीएफ जवान शहीद)
- 2013 झीरम घाटी हमला (छत्तीसगढ़ कांग्रेस का पूरा शीर्ष नेतृत्व खत्म)
- 2017 सुकमा हमले (25 + 12 जवान शहीद)
- 2021 बीजापुर तर्रेम हमला (22 जवान शहीद)
- अप्रैल 2025 में कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर हुई मुठभेड़ में वह बाल-बाल बच निकला था, जिसमें 31 नक्सली मारे गए थे।
नक्सलवाद की उल्टी गिनती शुरू?
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने कहा, “हिड़मा की मौत माओवादी संगठन की रीढ़ तोड़ने वाली है। कई बड़े कमांडर पहले ही मारे जा चुके हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं। बचे हुए नक्सलियों से आत्मसमर्पण की अपील की जाएगी, अन्यथा सख्त कार्रवाई होगी।”केंद्र सरकार का लक्ष्य 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म करना है। हिड़मा का खात्मा उस लक्ष्य की दिशा में अब तक का सबसे निर्णायक कदम माना जा रहा है।
