Dushyant Chautala: हरियाणा विधानसभा चुनाव में जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला की बुरी हार हुई है. हरियाणा के रण में बीजेपी को टक्कर देने का दावा करने वाले दुष्यंत उचाना कलां से बुरी तरह हारे हैं. उनकी जमानत जब्त हो गई. उनसे ज्यादा वोट तो दो निर्दलीय प्रत्याशियों को मिले हैं. इस सीट के नतीजे भी दिलचस्प हैं. यहां बीजेपी प्रत्याशी ने महज 32 वोट से जीत दर्ज की है.
यह भी पढ़े :Haryana Election Result 2024:भाजपा ने कैसे किया खेला , जानिए
गौरतलब है कि हरियाणा में बीजेपी ने इतिहास रच दिया है. पूर्ण बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है. बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की पार्टी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी.
हालांकि, लोकसभा चुनाव आते-आते दोनों की राहें जुदा हो गईं. बावजूद इसके बीजेपी सत्ता बचाने में सफल रही थी. निर्दलियों के दम पर सरकार बचा ली थी. बीजेपी सरकार में डिप्टी सीएम रहे दुष्यंत चौटाला की इस चुनावी रण में दुर्दशा हो गई है.
आपको बता दे कि उचाना कलां सीट पर बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र अत्री ने जीत दर्ज की है. हालांकि, हार-जीत का अंतर बहुत कम है. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र को महज 32 वोटों से हराया है.
दुष्यंत को चुनाव ने किया निराश
इस सीट पर बीजेपी को टक्कर देने की बात तो दूर दुष्यंत अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए हैं. उनसे ज्यादा वोट तो दो निर्दलियों को मिले हैं. दुष्यंत को महज 7 हजार 950 वोट मिले हैं.
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में दुष्यंत की पार्टी जेजेपी ने 10 सीटें जीत थीं और बीजेपी की सरकार बनाने में वो किंगमेकर बने थे. बीजेपी से अलग होने के बाद दुष्यंत ही नहीं उनकी पार्टी की भी दुर्दशा हो गई है. उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुला है. दुष्यंत वो सीटें भी नहीं बचा पाए, जिन पर पिछली बार जीत दर्ज की थी.
उचाला कलां सीट पर बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र अत्री के सामने हारे कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं. बृजेंद्र लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. उचाला कलां सीट से बृजेंद्र के पिता बीरेंद्र 5 बार विधायक चुने गए हैं. वो 1977, 1982, 1991, 1996 और 2005 में विधायक रहे हैं.
कांग्रेस को भारी पड़ा वीरेंद्र को निकालना
आपको बताते चले कि इस सीट पर कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती निर्दलियों ने पेश की. खासकर वीरेंद्र घोघरियां ने. वीरेंद्र घोघरियां को 31 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. वहीं विकास के खाते में 13 हजार से ज्यादा वोट गए. इस तरह देखा जाए तो कांग्रेस की हार का मुख्य कारण निर्दलीय रहे. वीरेंद्र पहले कांग्रेस में थे. कांग्रेस ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर बाहर का रास्ता दिखाया था.
यह भी देखें :https://youtu.be/JO8Imur5yvw?si=TaadBPAdHWRO5o_O