Harihar Pandey Death: सन 1991 में वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने के लिए तीन याचिकाकर्ता में शामिल रहे (Harihar Pandey) हरिहर पांडेय का रविवार 10 दिसंबर को निधन हो गया. दो अन्य याचिकाकर्ता रामरंग शर्मा और सोमनाथ व्यास का पहले ही निधन हो चुका है.
Who was Harihar Pandey: साल 1991 में वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने के लिए तीन याचिकाकर्ताओं में शामिल हरिहर पांडेय का रविवार 10 दिसंबर को निधन हो गया. हरिहर पांडेय की उम्र 77 वर्ष थी, जिन्होंने वाराणसी के सर सुंदर दास अस्पताल BHU में अंतिम सांस ली. इस घटना के बाद उनके परिजनों के साथ-साथ वाराणसी के संतों में शोक की लहर दौड़ पड़ी. हरिहर पांडेय की निधन को लेकर काशी के संतों ने दुःख प्रकट किया है और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है.
33 साल पहले मस्जिद हटाने के लिए दायर की थी याचिका
ज्ञानवापी मामले का प्राचीन मुकदमा संख्या-610/1991, स्वयंभू आइडल भगवान आदि विशेश्वर के नाम से सन 1991 में वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने के उद्देश्य से तीन याचिकाकर्ताओं द्वारा सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. जिनमें रामरंग शर्मा, सोमनाथ व्यास और हरिहर पांडेय का नाम शामिल था. काफी वर्ष पहले ही रामरंग शर्मा और सोमनाथ व्यास दो याचिकाकर्ताओं का निधन हो गया था.
इसके अलावा हरिहर पांडेय द्वारा वाराणसी के अन्य प्राचीन मंदिर और सनातन संस्कृति आयोजन को लेकर भी लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा था. काशी ज्ञानवापी मामले में वह 33 सालों से मुकदमा लड़ रहे थे. बीते कुछ समय से वह अस्वस्थ थे और उनका काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सरसुंदर दास अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनके दोनों बेटों द्वारा सनातन परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार संपन्न कराया जा रहा है.
इमरजेंसी में भी सक्रीय रहे हरिहर पांडेय
हरिहर पांडेय के करीबी स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि काशी में रहते हुए उनसे लगभग हर हफ्ते मुलाकात होती थी और जरूर काशी ज्ञानवापी का जिक्र करते थे. हरिहर पांडेय जी 70 के दशक में आपातकाल संघर्ष के दौरान काफी सक्रिय थे और लंबे समय तक जेल में भी रहे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री कमलापति त्रिपाठी के काफी धुर विरोधी माने जाते थे. उनकी संयमित दिनचर्या और सनातन के प्रति आस्था आज की पीढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणा रहेगी।