HAL बनी भारत की तीसरी रॉकेट निर्माता कंपनी: ₹511 करोड़ में जीता स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का कॉन्ट्रैक्ट

HAL SSLV Contract: 20 जून 2025 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) के निर्माण और व्यावसायीकरण का कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर लिया (HAL Small Satellite Launch Vehicle). बेंगलुरु स्थित इस सरकारी कंपनी ने ₹511 करोड़ की बोली लगाकर यह ठेका अपने नाम किया, जिससे HAL भारत की तीसरी रॉकेट निर्माता कंपनी बन गई है। इससे पहले केवल हैदराबाद की स्काईरूट एयरोस्पेस और चेन्नई की अग्निकुल कॉस्मोस जैसी स्टार्टअप कंपनियां रॉकेट निर्माण में सक्रिय थीं (India Space Industry).

कॉन्ट्रैक्ट की मुख्य बातें (HAL ISRO Technology Transfer)

  • टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: ISRO अगले दो साल तक HAL को SSLV की तकनीक हस्तांतरित करेगा। इस दौरान HAL को दो प्रोटोटाइप रॉकेट्स का निर्माण करना होगा, जो ISRO के मौजूदा डिज़ाइन और सप्लायर नेटवर्क पर आधारित होंगे। तीसरे रॉकेट से HAL डिज़ाइन में सुधार और अपने वेंडर्स को चुनने के लिए स्वतंत्र होगा (SSLV Technology).
  • उत्पादन लक्ष्य: दो साल बाद HAL हर साल 6-12 SSLV रॉकेट्स का निर्माण करेगा, जिससे प्रति लॉन्च लगभग $6.5 मिलियन (लगभग ₹54 करोड़) की कमाई होने की उम्मीद है। यह रॉकेट 500 किलोग्राम तक के पेलोड को 400-500 किलोमीटर की लो-अर्थ ऑर्बिट में ले जा सकता है (SSLV Payload Capacity).
  • साझेदारियां: कॉन्ट्रैक्ट को औपचारिक रूप देने के लिए HAL, ISRO, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), और इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) के बीच समझौता होगा। NSIL व्यावसायिक पहलुओं का प्रबंधन करेगा, जबकि IN-SPACe और ISRO तकनीकी हस्तांतरण की निगरानी करेंगे (IN-SPACe HAL Collaboration).

प्रतिस्पर्धा में HAL की जीत

कॉन्ट्रैक्ट के लिए शुरुआत में 20 कंपनियों ने रुचि दिखाई थी, लेकिन पहले चरण में 9 में से 6 कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया गया। अंतिम दौर में HAL ने बेंगलुरु की अल्फा डिज़ाइन टेक्नोलॉजीज (अडानी समूह समर्थित) और हैदराबाद की भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) के नेतृत्व वाले दो कंसोर्टियम को पछाड़ा। HAL ने अकेले बोली लगाई, जो इसे अन्य प्रतिस्पर्धियों से अलग करता है। चयन प्रक्रिया में पूर्व प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर विजय राघवन सहित विशेषज्ञों की एक समिति शामिल थी (HAL vs Adani Alpha Design).

SSLV की खासियतें

SSLV एक कम लागत वाला रॉकेट है, जिसे छोटे सैटेलाइट्स (10-500 किलोग्राम) को त्वरित नोटिस पर लो-अर्थ ऑर्बिट में लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी विशेषताएं हैं:

  • कम लागत और त्वरित लॉन्च की सुविधा।
  • कई सैटेलाइट्स को एक साथ ले जाने की क्षमता।
  • न्यूनतम लॉन्च इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत।
  • आपातकाल में रक्षा बलों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता (SSLV Launch Capabilities).

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए मील का पत्थर (India Space Economy)

यह कॉन्ट्रैक्ट भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। IN-SPACe के चेयरमैन ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी अंतरिक्ष एजेंसी ने पूरी लॉन्च व्हीकल तकनीक को किसी कंपनी को हस्तांतरित किया है। HAL अब SSLV को स्वतंत्र रूप से बनाने, मालिकाना हक रखने, और वैश्विक स्तर पर इसका व्यावसायीकरण करने में सक्षम होगा (HAL Commercial Space Launches).

वैश्विक लो-अर्थ ऑर्बिट लॉन्च व्हीकल मार्केट 2023 में $13.9 बिलियन का था और 2032 तक इसके $44 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। भारत, जो वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का केवल 2% हिस्सा रखता है, 2030 तक इसे $44 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखता है। HAL का यह कदम भारत को छोटे सैटेलाइट लॉन्च का वैश्विक हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है (Global Space Market).

HAL की मौजूदा भूमिका और भविष्य (HAL Space Portfolio)

HAL पहले से ही लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के साथ मिलकर ISRO के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का निर्माण कर रही है, जिसका पहला लॉन्च इस साल होने की उम्मीद है। HAL के डायरेक्टर फाइनेंस बरेण्य सेनापति ने कहा कि यह जीत कंपनी के अंतरिक्ष क्षेत्र में विस्तार की रणनीति के अनुरूप है, और यह मौजूदा ऑपरेशन्स को प्रभावित नहीं करेगा (HAL PSLV Contract).

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