Site icon SHABD SANCHI

श्रावण मास में शिवाभिषेक के ईको-फ्रेंडली,टॉप-10 आइडियाज करें फॉलो : Give Meaning to Your Devotion and the Environment in Sawan

Give Meaning to Your Devotion and the Environment in Sawan – श्रावण मास हिन्दू पंचांग के सबसे पवित्र महीनों में गिना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान लाखों भक्त ‘जलाभिषेक’, ‘दूधाभिषेक’ और ‘पंचामृत’ से भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं। हालांकि, परंपराओं के इस क्रम में कभी-कभी हम अनजाने में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा बैठते हैं,जैसे बड़ी मात्रा में जल और दूध की बर्बादी, प्लास्टिक की सामग्री का उपयोग, और केमिकल युक्त फूलों या धूप का प्रयोग। इसलिए अब समय आ गया है कि हम शिव आराधना में आस्था के साथ-साथ पर्यावरण-संरक्षण को भी स्थान दें। प्रस्तुत हैं श्रावण मास में शिव अभिषेक के 10 ऐसे ईको-फ्रेंडली उपाय जो आस्था को भी सार्थक बनाएंगे और प्रकृति को भी नुकसान नहीं पहुँचाएंगे।

शुद्ध जल से करें अभिषेक – Use Clean Water for Abhishek
बड़े पैमाने पर दूध और अन्य द्रव्यों का उपयोग करने की जगह साफ जल से अभिषेक करें, जिससे जल-प्रदूषण और बर्बादी दोनों से बचा जा सके।

केमिकल-फ्री फूलों का प्रयोग – Use Organic and Local Flowers
बाजार में मिलने वाले रंगीन फूलों में केमिकल हो सकते हैं। इसके बजाय घर के बगीचे या लोकल ऑर्गेनिक फूलों का प्रयोग करें।

घी व मोमबत्ती के बजाय मिट्टी के दीपक – Choose Earthen Diyas over Candles
मोमबत्तिया और इलेक्ट्रिक लाइट्स की बजाय मिट्टी के दीपक जलाएं, ये बायोडिग्रेडेबल होते हैं और पारंपरिक भी।

कच्ची चीज़ों से पंचामृत बनाएं – Make Panchamrit with Natural Edible Items
डालडा, कृत्रिम फ्लेवर या मिलावटी सामग्रियों की जगह घर की शुद्ध सामग्री से पंचामृत तैयार करें।

पास के जलस्रोत से जल ना लें – Avoid Drawing Water from Natural Sources
तालाब, नदी या झील से जल निकालने से स्थानीय पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता है। बेहतर है RO या नल के जल का प्रयोग करें।

प्लास्टिक मुक्त अभिषेक सामग्री – Avoid Plastic Packaging
धार्मिक सामग्री खरीदते समय देखें कि वह प्लास्टिक में पैक न हो। कपड़े, पत्तों या जूट बैग्स का प्रयोग करें।

बेलपत्र को दोबारा उपयोग करें – Reuse Belpatra Mindfully
एक बार चढ़ाए गए बेलपत्र को साफ करके दोबारा प्रयोग में लाना एक बढ़िया तरीका है बर्बादी कम करने का।

मानसिक अभिषेक भी अपनाएं – Practice Mental Abhishek
ध्यान और मंत्रों के साथ मानसिक रूप से अभिषेक करना भी उतना ही प्रभावशाली और पर्यावरण के लिए शून्य हानिकारक है।

अभिषेक के जल का पुनः प्रयोग – Reuse Abhishek Water
शिव अभिषेक के बाद एकत्रित जल को पौधों में डालें, इससे जल की पुनः उपयोगिता बनी रहती है।

घर पर ही पूजा करें या वॉक अपनाएं – Prefer Home-based Worship
यात्रा में पेट्रोल/डीजल की खपत और भीड़ से पर्यावरण को जो नुकसान होता है, उससे बचने के लिए घर पर ईको-फ्रेंडली तरीके से पूजा करें अच्छा होगा की वॉक करते हुए शिवालय जाएं और अध्यात्म व् आस्था से अपने स्वस्थ को जोड़ें।

विशेष -Conclusion
श्रावण का महीना केवल उपवास, व्रत और अभिषेक का नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और प्रकृति के साथ एकाकार होने का अवसर है। अगर हम अपनी परंपराओं को प्रकृति के अनुकूल ढालें, तो आस्था और पर्यावरण दोनों का कल्याण संभव है। आइए, इस बार श्रावण में एक नई शुरुआत करें,जहां पूजा हो शुद्ध, साधना हो सजीव और प्रकृति हो संरक्षित।

Exit mobile version