ISRO Gaganyaan Mission: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO अब एक और बड़े मिशन पर काम कर रहा है. अक्टूबर से इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन नया इतिहास रचने के लिए Gaganyaan Mission को लॉन्च करने वाला है. गगनयान की मदद से इसरो अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने वाला है. पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के स्पेस क्राफ्ट में बैठकर, कोई भारतीय अंतरिक्ष की सैर करने वाला है.
गगनयान मिशन
ISRO अब अपने स्पेस साइंस को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए तैयार है. ISRO अपने पहले मानव मिशन को 2024 तक अंजाम देना चाहता है. लेकिन ह्यूमन स्पेस मिशन से पहले दो आरंभिक अंतरिक्ष मिशन में ISRO को सफलता हासिल करनी होगी।
गगनयान मिशन को तीन स्टेज में पूरा किया जाएगा। पहले स्टेज में सिर्फ ऐसा स्पेस क्राफ्ट अंतरिक्ष भेजा जाएगा जो सुरक्षित वापस लौटकर आ जाएगा, इसके बाद ISRO स्पेसबॉट VyomMitra को अंतरिक्ष भेजेगा। दोनों मिशन पूरी तरह से सफल होने के बाद 2024 में ISRO अपना पहला मानव मिशन लॉन्च करेगा।
तीसरे चरण में ISRO इंडियन एयर फ़ोर्स के दो पायलट्स को अंतरिक्ष भेजेगा, जो 7 दिन तक स्पेस में रहेंगे। इस मिशन के लिए वायुसेना के 4 पायलट्स को रूस भेजा गया था जहां उन्हें ट्रेनिंग दी गई है. गगनयान से अंतरिक्ष जाने वाले इन ‘एस्ट्रॉनॉट्स’ को ‘गगनॉट्स’ कहा जाएगा। इन पायलट्स में एक ग्रुप कैप्टन हैं, बाकी तीन विंग कमांडर हैं, जिन्हें गगनयान मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है। अभी इन्हें बेंगलुरु में गगनयान मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जाएगी।
व्योममित्रा रोबोट क्या है?
Vyommitra Robot: ISRO ने गगनयान मिशन के दूसरे ट्रायल के लिए Vyommitra नाम की एक फीमेल रोबोट तैयार किया है, जो स्पेस में जाने के बाद ISRO को जानकारी भेजेगी, अंतरिक्ष में मानव जैसा दिखने वाला रोबोट भेजने का यह मिशन अपने आप में पूरी दुनिया का पहला मिशन होगा।
गगनयान मिशन की लागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 के दिन लालकिले से गगनयान मिशन की घोषणा की थी. 2018 में ही कैबिनेट ने इसके लिए 10 हज़ार करोड़ के बजट की स्वीकृति दे दी थी. ‘Gaganauts’ 7 के दिन के लिए अंतरिक्ष में रहकर पृथ्वी के चक्कर लगाएंगे। ISRO ने इस मिशन के लिए रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ समझौता किया है.