Deja Vu क्या है, क्यों होता है? ऐसा क्यों लगता है कि पहले भी यह घटना हो चुकी है? इस सारे सवालों के जवाब हम आपको देंगे
What Is Deja Vu Explained In Hindi: क्या आपको कभी ऐसा महसूस हुआ है कि जो घटना आपके साथ हुई है, वैसी घटना पहले भी हो चुकी है? कहने का मतलब है कि क्या आपको ऐसा लगता है कि जो आपके साथ हो रहा है या हुआ है वो पहले भी हो चुका है? अगर आपके साथ ऐसा हुआ है या होता रहता है तो आपको ये जानने की जरूरत है कि ऐसा क्यों होता है और इसे कहते क्या हैं?
असल में ऐसा होना ना तो आपके पिछले जन्म की यादों का फ्लैशबैक होना है और ना ही यह सपने में देखा हुआ भविष्य है. इस चीज़ को देजा वू (Deja Vu) कहते हैं. जिसमे शख्स को लगता है कि उसके साथ पहले भी ऐसी घटना हो चुकी है.
Deja Vu क्या है
Deja Vu को सही ढंग से लिखने का तरीका कुछ ऐसा है ‘déjà vu’ यह एक फ्रेंच शब्द है जिसका हिंदी अर्थ है ‘पहले से देखा हुआ’ यह एक साइकोलॉजिकल अनुभव है, जो अमूमन हर इंसान को कभी न कभी होता है और कभी-कभी होता रहता है.
जैसे आप किसी नए शहर में गए, नए लोगों से मिले तभी आपको ऐसा लगता है कि जैसे आप पहले इस शहर में आ चुके हैं और इन नए से लगने वाले लोगों से मिल चुके हैं, जो बात-चीत आप कर रहे हैं वो पहले भी हो चुकी है! असल में यह एक बहुत तगड़ी साइकोलॉजिकल फीलिंग है. एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 80% लोग Deja Vu को अनुभव करते हैं.
Deja Vu क्यों होता है
Deja Vu को लेकर कई थ्योरीज हैं. बड़े-बड़े साइकोलॉजिस्ट ने इसे अपने स्तर में परिभाषित किया है. लेकिन कोई भी सटीक जवाब नहीं दे पाया है कि Deja Vu होता क्यों हैं.
थ्योरी #1:
Memory Theory: हमारा दिमाग एक CPU की तरह है, जिसमे यादों को स्टोर करने के लिए अलग-अलग मेमोरी ब्लॉक बने होते हैं. हमारा दिमाग शार्ट टर्म मेमोरी मतलब यादों को एक अलग हिस्से में और जो चीज़ें हम वर्तमान में देखते हैं वो अलग जगह स्टोर होती हैं. मतलब जो पहले हो चुका है उसका डेटा कहीं और सेव है. जब इसमें थोड़ा गड़बड़ी हो जाती है तो शार्ट टर्म मेमोरी, लॉन्ग टर्म मेमोरी से टकराने लगती है.
थ्योरी #2:
3D Hologram Theory: इसके अनुसार हमारे दिमाग में हमारी यादें 3D होलोग्राम की तरह सेव होती हैं. अगर कोई वस्तु, स्थान, व्यक्ति, म्यूसिक, वीडियो या कोई भी चीज़ उस घटना की याद दिलाते हुए आपस में टकरा जाती है तो ऐसा लगता है कि यह घटना पहले भी हो चुकि है
थ्योरी #3:
Dream Theory: इसके हिसाब से हम जो सपने में देखते हैं जो कभी-कभी हमारा दिमाग असली मेमोरी की तरह सेव कर लेता है. ऐसा बचपन में ज़्यादा होता है. बच्चे अक्सर कुछ काल्पनिक घटना को खुद के साथ घटित होने की बात कहते हैं और लोग ‘सपना होगा..’ बोलकर टाल देते हैं. हमें लगने लगता है कि सपने में दिखी चीज़ हमारे साथ असली में हुई है
थ्योरी #4:
Matrix Theory: इसे आप सिम्युलेशन कह सकते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि हम असल ब्रम्हांड में नहीं जीते हैं. हम कम्प्यूटर से जुड़े एक ब्रम्हांड में रहते हैं और हम सब, ये दुनिया, पानी, पेड़, समुद्र, जीव सबकुछ एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है। जब उन प्रोग्राम में ग्लिच होता है मतलब कोई खराबी आती है तो हमें ऐसा लगता है कि ये पहले भी हमारे साथ हो चुका है. खैर ये थ्योरी कम और मैट्रिक्स फिल्म की स्क्रिप्ट ज्यादा है
देजा वू के क्या नुकसान हैं?
अगर आपको कभी-कभी ऐसा लगता है तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। इसे आप इग्नोर कर दीजिये। एक्सपर्ट्स कहते हैं जब कोई इंसान ज़्यादा टेंशन और स्ट्रेस में रहता है तो उसके साथ देजा वू सीरीज में होने लगता है. मतलब अक्सर होने लगता है। आप जानते हैं कि कोई चीज़ या किसी व्यक्ति से आप पहली बार मिल रहे हैं लेकिन बार-बार आपको लगे ये पहले भी हो चुका है तो ये दिमाक ख़राब करने वाली बात हो जाती है।