EPISODE 42: कृषि आश्रित समाज के भूले बिसरे मिट्टी की वस्तुए या बर्तन FT. पद्मश्री बाबूलाल दहिया

babu lal dahiya

Baabulal Dahiya: पद्म श्री बाबूलाल दाहिया जी के संग्रहालय में संग्रहीत उपकरणों एवं बर्तनों की जानकारी की श्रृंखला में आज आपके लिए प्रस्तुत है. कल हमने भूले बिसरे लौह उपकरणों में तबा, छेनी, हथौड़ा आदि उपकरणों की जानकारी दी थी।आज उसी श्रंखला में अन्य उपकरणों की जानकारी देंगे।

दवा कूटने का लौह पिंड
यह लगभग एक फीट लम्बा 2 इंच मोटा गोल एक लोह पिण्ड होता है। जो प्राचीन समय में पत्थर के खल में सूखी जड़ीबूटियों को कूट कर चूर्ण बनाने के काम आता था। बाद में एक लौह का खरल भी बन गया था।पर अब आधुनिक चिकित्सा ने उस प्राचीन चीकत्सा पद्धति को ही पूरी तरह समाप्त कर दिया है। क्योकि अब समस्त कार्य आधुनिक यंत्रों से ही हो जाता है।

सबरा


यह लगभग 5फीट लम्बा दो इंच मोटा गोलाकार एक लौह उपकरण होता है जिसका निचला भाग चपटा धार युक्त रहता है।यह कुँए के पत्थर आदि तोड़ने के काम आता था।पर इससे बड़े -बड़े पत्थरों की चट्टानें भी खसकाई जा सकती थीं।
प्रचलन में अभी भी है पर बहुत कम मात्रा में।

ताला चाभी



ताला और चाभी इन दोनों को पहले गांव का शिल्पी एक साथ ही बनाता था। शुरू-शुरू में पचास के दशक में लगभग 6 इंच का एक ताला और उसकी 4 इंच की लम्बी चाभी हुआ करती थी। परन्तु बाद में उसमें कई तरह के सुघर हुए । अब वह पुराने ताले पूर्णतः चलन से बाहर हैं। अब हर जगह फैक्ट्रियों के बने ताले ही प्रचलन में हैं।

सरौता




यह दांतून एवं सुपाड़ी काटने के लिए बना एक लौह उपकरण है। इसका एक भाग चपटा धार दार एवं दूसरा ठोस गोल तथा दोनो का किनारा लम्बा गोल होता है। यह प्रचलन में है पर कमी के साथ।

बड़ा सरौता



इसका आकार सामान्य सुपाड़ी वाले सरौते से बड़ा होता है जिससे विवाह आदि के अवसरों में एक साथ अधिक सुपाड़ी काटी जा सके। क्योकि यह उसी तरह के अवसरों में सुपाड़ी काटने के लिए ही बनाया गया था। यह प्रचलन में तो है पर बहुत कम।

पांसुल



यह सब्जी काटने वाला हँसिया है इसलिए उससे भिन्न लकड़ी के बेंट लगाने के बजाय उसका पिछला सिरा ही चपटा कर दिया जाता है जिससे उसे पैर में दबाकर सब्जी काटी जा सके। चलन में अभी भी है पर बहुत कम।

आज इस श्रृंखला में बस इतना ही ,कल फिर मिलेंगे नई जानकारी के साथ अगली कड़ी में।

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