Fertilizer crisis in Rewa: रीवा जिले में यूरिया खाद की किल्लत ने किसानों का आक्रोश भड़का दिया है। रविवार-सोमवार की दरमियानी रात रीवा की सबसे बड़ी करहिया मंडी में यूरिया खाद और अन्य उर्वरकों के लिए हजारों किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी। खाद पाने के लिए किसान एक रात पहले से ही लाइन में डटे थे। कई किसान जमीन पर सो रहे थे, जबकि महिलाएं और बच्चों के साथ लंबी कतारों में इंतजार करती नजर आईं। रात करीब 2 बजे अचानक तेज बारिश शुरू होने से मंडी में भगदड़ मच गई, जिससे अफरातफरी का माहौल बन गया। सोमवार सुबह बारिश थमने के बाद भी किसानों की जद्दोजहद जारी रही।
इसी तरह, उमरी विपणन केंद्र में भी खाद की किल्लत के चलते किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। हजारों किसान रात से ही केंद्र के बाहर डेरा जमाए हुए थे। स्थिति इतनी बदतर थी कि कुछ किसान अचेत होकर गिर पड़े, जिन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। आक्रोशित किसानों ने सोमवार सुबह रीवा-बैकुंठपुर मार्ग पर चक्काजाम कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों का आरोप है कि खाद वितरण में भारी अनियमितता और कालाबाजारी हो रही है। कई किसानों ने बताया कि वे पिछले 10 दिनों से केंद्रों पर चक्कर काट रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल रही।
एक किसान ने कहा, “एक-एक बोरी खाद के लिए खून-पसीना बहाना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन और सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही।”करहिया मंडी और उमरी विपणन केंद्र में किसानों के आक्रोश की सूचना पर प्रशासन हरकत में आया। सिरमौर तहसीलदार और थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ उमरी पहुंचे और चक्काजाम खुलवाने के साथ खाद वितरण की व्यवस्था बनाने की कोशिश की।
हालांकि, भारी भीड़ के कारण स्थिति को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण रहा। किसानों ने प्रशासन पर कालाबाजारी को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाया और चेतावनी दी कि यदि खाद वितरण में सुधार नहीं हुआ और कालाबाजारी पर रोक नहीं लगी, तो वे सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। इस संकट ने जिले में खाद वितरण व्यवस्था की पोल खोल दी है। किसानों का कहना है कि खाद की कमी और कालाबाजारी के चलते उनकी मेहनत पर पानी फिर रहा है। जिला प्रशासन ने मामले की जांच और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन अन्नदाताओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा।