28 अप्रैल को कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपने सभी नेताओं को निर्देश दिया कि वे *पहलगाम हमले* जैसे संवेदनशील मामलों पर बिना पार्टी की अनुमति के कोई भी सार्वजनिक बयान न दें। यह फैसला उन बयानों के बाद आया है जिनसे पार्टी को राजनीतिक रूप से नुकसान झेलना पड़ा और छवि पर भी असर पड़ा।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष *मल्लिकार्जुन खड़गे* और नेता *राहुल गांधी* पार्टी के कुछ नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से नाराज़ हैं। उन्हें लगता है कि इन बयानों के कारण लोगों में कांग्रेस को लेकर गलत संदेश गया, जिससे पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए।
पार्टी के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि *जिन नेताओं ने बिना विचार किए पहलगाम हमले पर व्यक्तिगत राय दी, उन्हें पार्टी ने आंतरिक रूप से फटकार लगाई है और चेतावनी दी है कि आगे से ऐसा कोई कदम न उठाया जाए। अब कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर केवल पार्टी का **आधिकारिक बयान* ही मान्य होगा, और वही सार्वजनिक मंचों पर सामने आएगा।
कांग्रेस महासचिव *जयराम रमेश* ने इस दिशा में सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि पार्टी किसी भी गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी का समर्थन नहीं करती और यह ज़रूरी है कि संवेदनशील मुद्दों पर एकजुटता और स्पष्टता के साथ बात की जाए।
*सबसे बड़ा विवाद* तब हुआ जब *कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया* ने एक प्रेस बयान में कहा कि “भारत को पाकिस्तान से युद्ध करने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि अपनी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “हम युद्ध के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि शांति और सुरक्षा चाहते हैं।”
हालाँकि बाद में उन्होंने सफाई दी कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया, लेकिन तब तक राजनीतिक नुकसान हो चुका था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने युद्ध के खिलाफ बोला था, परंतु बयान को अलग संदर्भ में दिखाया गया।
इसी तरह *महाराष्ट्र कांग्रेस नेता विजय वड्डेटीवार* के बयान ने पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दीं। उन्होंने पहलगाम हमले के पीड़ितों के इस दावे पर सवाल खड़े किए कि आतंकियों ने हमला करने से पहले धर्म पूछा था। वड्डेटीवार ने कहा:
> “आतंकियों का कोई धर्म या जाति नहीं होती। सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
उनका यह बयान मीडिया और सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो गया और भाजपा समेत अन्य दलों ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। इस बयान पर कांग्रेस की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है, लेकिन पार्टी इससे दूरी बनाने की कोशिश में लगी हुई है।
कांग्रेस ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि वह अब ऐसे बयानों को लेकर गंभीर है जो पार्टी की रणनीति और छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पार्टी नेतृत्व ने तय किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर एकजुटता के साथ, सिर्फ आधिकारिक बयानों के जरिए ही अपनी बात रखी जाएगी — ताकि संदेश स्पष्ट और संगठित हो।