उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने होटल विजय विलास में आयोजित प्रांतीय राजपत्रित पशु चिकित्सक संघ के सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि निराश्रित और बीमारी गौवंश की सेवा तथा पुनर्वास वर्तमान समय की बड़ी चुनौती है। सरकार आधुनिक गौशालाओं का निर्माण कराकर निराश्रित गौवंश को आश्रय देने तथा खेती को बचाने का प्रयास कर रही है। प्रदेश भर में बड़ी संख्या में उन्नत गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है। इनमें हजारों गायों को नया जीवन मिलेगा। इस अभियान में निजी क्षेत्र की भी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। गौमाता की सेवा से ही मानव जाति का कल्याण होगा। अगर गौमाता बेसहारा रही तो मानव जाति का भविष्य सुरक्षित नहीं होगा। रीवा में बसामन मामा गौवन्य विहार में सात हजार से अधिक निराश्रित गायों को आश्रय दिया गया है। इन गायों की सेवा में पशु चिकित्सक बड़ी तत्परता और लगन से कार्य कर रहे हैं। शीघ्र ही हिनौती में भी आधुनिक गौशाला शुरू होगी जिसमें लगभग 25 हजार गौवंश को रखने का लक्ष्य रखा गया है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन को आधुनिक और व्यवस्थित बनाना आवश्यक है। पशुपालन को अपनाकर ही किसान खेती को लाभ का व्यवसाय बना सकेंगे। गौवंश को दूध न देने पर बेसहारा छोड़ने की मानसिकता है। गौमाता यदि दूध नहीं दे रही है तो भी उसका गोबर और गौमूत्र बहुमूल्य है। गौमाता में देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए गोबर का उपयोग पूजा में भी किया जाता है। आधुनिक गौशालाओं में गोबर से अनेक उपयोगी वस्तुएं बनाने के साथ सीएनजी प्लांट लगाए जा रहे हैं। पशु चिकित्सकों की सराहना करते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर तो रोगी से पूछकर उसका इलाज करते हैं। पशु चिकित्सक बेजुबान पशुओं के लिए भगवान की तरह हैं। समारोह में पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री श्री लखन पटेल ने कहा कि पशुपालन विभाग को विभिन्न नवाचारों के माध्यम से आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ यादव ने सदैव पशुपालन विभाग को प्राथमिकता दी है। डेयरी के विकास के लिए बाबा साहब अंबेडकर गौ संवर्धन योजना लागू की गई है। इसमें कम से कम 25 दुधारू पशु की एक यूनिट बनाई गई है। प्रत्येक यूनिट पर पशुपालक को अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना से डेयरी व्यवसाय को नया आयाम मिलेगा। अभी प्रदेश में 10 लाख लीटर दूध का प्रतिदिन संग्रहण होता है। इसे 50 लाख लीटर प्रतिदिन करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है।
समारोह में पशु चिकित्सा अधिकारियों की विभिन्न मांगों के संबंध में मंत्री श्री पटेल ने कहा कि मेडिकल के डॉक्टरों की तरह पशु चिकित्सा अधिकारियों को भी सभी सुविधाएं दी जाएंगी। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। पशु चिकित्सा संघ की सभी उचित मांगे पूरी की जाएंगी। पशु चिकित्सा अधिकारियों का कार्य मानव के डॉक्टरों से अधिक कठिन और महत्वपूर्ण है। प्रदेश में हेल्पलाइन 1962 की गाड़ियों से पशुओं का उपचार बेहतर हुआ है। इन गाड़ियों की संख्या दुगनी करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश में निराश्रित गौवंश बड़ी चुनौती हैं। बेसहारा गायों के लिए प्रदेश में 22 स्थानों पर शीघ्र ही आधुनिक गौशालाओं का संचालन शुरू हो जाएगा। सरकार दो वर्षों में सभी बेसहारा गायों को गौशाला में व्यवस्थित कर देगी तब सड़कों पर गौवंश नहीं दिखेगा। गौशालाओं को पर्यटन स्थल और तीर्थ स्थल की तरह विकसित करेंगे।
समारोह में पशु चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ मनोज गौतम ने कहा कि सरकार ने गौशाला के गौवंश के लिए 20 रुपए प्रतिदिन से राशि बढ़ाकर 40 रुपए कर दी है। इसी तरह आधुनिक डेयरी निर्माण के लिए भी ऋण और अनुदान का लाभ दिया जा रहा है। पशु चिकत्सा अधिकारियों को भी मेडिकल डॉक्टरों के समान सुविधाएं मिलनी चाहिए। उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष किया जाना आवश्यक है। समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए संयुक्त संचालक पशुपालन डॉ राजेश मिश्रा ने कहा कि मानव में कई रोग पशुओं के माध्यम से पहुंचते हैं। मानव के स्वस्थ रहने के लिए सभी पालतू पशुओं का स्वस्थ रहना आवश्यक है। मानव और पशुओं की स्वास्थ्य रक्षा तथा पर्यावरण सुरक्षा के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। पशुपालन खेती से भी पुराना व्यवसाय है। पशुपालन गरीब से गरीब व्यक्ति से लेकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों को भी रोजगार का अवसर दे रहा है। कार्यशाला में डॉ अरूणेन्द्र शुक्ला ने कार्यक्रम के उद्देश्यों की जानकारी दी। कार्यक्रम में पूर्व महापौर श्री राम सिंह, जिला भाजपाध्यक्ष मऊगंज श्री राजेन्द्र मिश्रा, पशु चिकत्सा चिकित्सक संघ के सचिव डॉ नीलेश देसाई, डॉ केके पाण्डेय, डॉ साकेत मिश्रा, डॉ प्रकृति मिश्रा, डॉ वीरेन्द्र विक्रम सिंह तथा रीवा और शहडोल संभाग के सभी जिलों के पशु चिकित्सा अधिकारी शामिल रहे। समारोह में अतिथियों और सेवानिवृत्त पशु चिकित्सा अधिकारियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यशाला का संचालन श्री अवनीश शर्मा ने किया ।