Vinod Kumar Shukla Jnanpith Awards News In Hindi: हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक और साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को इस वर्ष का ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा, पिछले ही दिनों शनिवार को उनके नाम का एलान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति के बैठक की अध्यक्षता ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त लेखिका प्रतिभा रे ने की, चयन समिति ने अपने बयान में कहा- ‘यह पुरस्कार उन्हें हिंदी साहित्य में विशेष योगदान और अनूठी शैली के रचनात्मक लेखन के लिए दिया जा रहा है। पुरस्कार स्वरूप उन्हें 11 लाख रुपये, वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया। यह ज्ञानपीठ का 59 वां समारोह था।
कौन हैं विनोद कुमार शुक्ल
विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं, जो अपने कहानियों, कविताओं और लेखों को के लिए जाने जाते हैं। वह सहज, सरल और संवेदनशील भाषा में अपना साहित्य रचते हैं। 88 वर्षीय शुक्ल, छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव से संबंध रखते हैं, उनका जन्म वहीं 1 जनवरी 1937 को हुआ था। नौकर की कमीज, दीवार में एक खिड़की रहती है इत्यादि उनके कुछ प्रसिद्ध उपन्यास हैं, जबकि सब कुछ होना बचा रहेगा उनका प्रसिद्ध काव्य संग्रह है, ‘दीवार में एक खिड़की रहती है’ के लिए वर्ष 1999 का उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है।
क्या है ज्ञानपीठ पुरस्कार
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे पुराना और बड़ा पुरस्कार है, इसकी शुरुआत 1965 में भारतीय ज्ञानपीठ संस्थान द्वारा की गई थी, साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट लेखन के लिए दिया जाता है। 1965 में यह पहली बार मलयालम लेखक जी. शंकर कुरूप को उनके काव्य संग्रह के लिए मिल था। अगर विनोद कुमार शुक्ल को शामिल कर लिया जाए तो अब तक यह पुरस्कार 12 हिंदी साहित्यकारों को प्राप्त हो चुका है, उनसे पहले पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, अज्ञेय, महादेवी वर्मा, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुँवर नारायण, अमरकांत, श्रीलाल शुक्ल, केदारनाथ सिंह को भी यह पुरस्कार मिल चुका है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए कभी सोचा नहीं
विनोद कुमार शुक्ल ने पुरस्कार मिलने के ऐलान के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने कहा- ज्ञानपीठ पुरस्कार बहुत बड़ा पुरस्कार है, इसकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी, दरसल मैंने कभी पुरस्कारों पर कभी ध्यान नहीं दिया, लोग मुझसे अक्सर कहा करते थे मुझे ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना चाहिए, लेकिन मैं झिझक के कारण कभी कुछ कह नहीं पाता था। इसके साथ ही विनोद कुमार शुक्ल ने कहा कि मैं पहले बच्चों के लिए नहीं लिखता था, लेकिन अब बच्चों के लिए भी लिखता हूँ, उनके जैसा सोचता हूँ, हम जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, वैसे ही हमें अपने बचपन की बहुत याद आने लगती है।
पुरस्कार प्राप्त करने वाले छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति
विनोद कुमार शुक्ल को जबसे ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का ऐलान किया गया, तब से उनके पाठकों और शुभचिंतकों द्वारा उन्हें बधाई संदेश दिया जा रहा है। विनोद कुमार शुक्ल ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति हैं, जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री, राज्यपाल इत्यादि व्यक्तियों ने भी उन्हें बधाई दी है।