मशहूर गायिका शारदा राजन, जो तितली उड़ी….गाने से हुईं प्रसिद्ध

Sharada Rajan Iyengar Death Anniversary | न्याज़िया बेगम: तितली उड़ी उड़ के चली, फूल ने कहा आजा मेरे पास, तितली कहे मैं चली आकाश ….., हमारे आपके जैसे बहोत से लोगों ने बचपन में इस गीत को अपने अपने अंदाज़ में गाया होगा। क्योंकि न केवल रंग बिरंगी तितलियां बच्चों को भातीं हैं, बल्कि इस गीत की जादूभरी आवाज़ भी हमें मासूमियत से आकर्षित करती है, ये गीत है फिल्म सूरज से, जिसे गया था- शारदा राजन अयंगर ने, जिन्हें शारदा के नाम से जाना जाता था।

1960 और 70 के दशक की सबसे सक्रिय गायिका थीं शारदा राजन

वो 1960 और 1970 के दशक में सबसे ज़्यादा सक्रिय भारतीय पार्श्व गायिका रहीं। उन्होंने फिल्म जहाँ प्यार मिले (1970) में कैबरे गीत “बात ज़रा है आपस की” के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीता। पर उन्हें सूरज (1966) में उनके गीत “तितली उड़ी” के लिए सबसे ज़्यादा याद किया जाता है, जबकि इस गीत के लिए अवॉर्ड के बहोत करीब पहुंच के भी उन्हें ये अवॉर्ड नहीं मिल पाया था।

जब बेस्ट पार्श्व गायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार जीतते-जीतते रह गईं

दरअसल हुआ यूं कि 1966 तक सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के लिए प्रतिष्ठित फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार में, केवल एक ही श्रेणी (पुरुष या महिला) थी। हालाँकि “तितली उड़ी” गीत को मोहम्मद रफ़ी के गीत “बहारो फूल बरसाओ” के साथ सर्वश्रेष्ठ गीत के रूप में जोड़ा गया। पर अवॉर्ड मिला मो. रफ़ी साहब को, ख़ैर इस के बाद वो हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था। शारदा ने ये पुरस्कार तो नहीं जीता, मगर उन्हें इस गीत के ज़रिए कीर्तिमान रचने के लिये एक विशेष पुरस्कार दिया गया और अगले साल से फ़िल्मफ़ेयर ने सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायन के लिए दो पुरस्कार देना शुरू कर दिया। एक पुरुष गायक के लिए और दूसरा महिला गायिका के लिए, इस पहल से मानो शारदा भी इतिहास रचने को तैयार हो गई थीं, क्योंकि उसके बाद शारदा को लगातार चार साल (1968-71 तक ) सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए नामांकित किया गया और उन्होंने एक फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी जीता।

अयंगर परिवार में जन्मीं थीं शारदा राजन

शारदा 25 अक्टूबर 1933 को भारत के तमिलनाडु में एक अयंगर परिवार में जन्मीं थीं और बचपन से ही उनका झुकाव संगीत की ओर था जिसके चलते, फिल्म वितरक श्रीचंद आहुजा की पार्टी में उन्होंने एक गीत गाया। जिसे वहां मौजूद राज कपूर ने सुना और उन से वॉइस टेस्ट की पेशकश की, जिसे पास करने के बाद उन्हें बॉलीवुड में अपना पहला बड़ा ब्रेक सूरज (1966) में “तितली उड़ी” गाने से मिला। उन्हें संगीतकार शंकर जयकिशन ने खूब पसंद किया। थोड़े समय में शारदा ने दो फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते, उन्होंने शंकर जयकिशन की काफी फ़िल्मों में गीत गाए, उनकी आवाज़ आखिरी बार (1986) की फिल्म कांच की दीवार में सुनने को मिली।

कई गायकों के साथ बनाई जोड़ी

उन्होंने मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, किशोर कुमार, येसुदास, मुकेश और सुमन कल्याणपुर जैसे गायकों के साथ गाया। सिज़्लर्स के साथ वो भारत में अपना खुद का पॉप एल्बम रिकॉर्ड करने वाली पहली भारतीय महिला गायिका बन गईं। 21 जुलाई 2007 को शारदा ने अपना ग़ज़ल एल्बम अंदाज़-ए-बयां और रिलीज़ किया,जिसमें आपने मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लों को अपनी धुनों में पिरोया था । शंकर ने गरम खून (1980) नामक फिल्म के लिए “एक चेहरा जो दिल के करीब” की रचना की और लता मंगेशकर ने इसे गाया। इस गीत को शारदा ने सिंगार नाम से लिखा था और सुलक्षणा पंडित पर फिल्माया गया था।

शारदा राजन ने संगीत का निर्देशन भी किया

फिर उन्होंने संगीत निर्देशन में क़दम रखा और 1970 के दशक के मध्य में उन्होंने माँ बहन और बीवी, तू मेरी मैं तेरा, क्षितिज, मंदिर-मस्जिद और मैला-आंचल जैसी फिल्मों के लिए संगीत निर्देशित किया। बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी शारदा 14 जून 2023 को 89 वर्ष की आयु में इस फानी दुनिया को अलविदा कह गईं हमारे लिए अनमोल गीतों से भरा बेश कीमती तोहफ़ा छोड़ कर। 1988 में बच्चों के लिए “डिस्को म्यूज़िकल स्टोरीज़” भी शारदा ही लेकर आईं थीं। आपके गाए तेलुगू गाने भी खूब पसंद किए गए। उनका कोई भी गीत ज़रा गुनगुना के देखिए आप भी सुर संसार में खो जायेंगे ।

उनके लोकप्रिय गीतों को याद करें तो इनके अलावा कुछ और नग़्में भी हमारे ज़हेन में दस्तक देते हैं:-

“देखो मेरा दिल मचल गया” ( सूरज )
“आ आएगा कौन यहाँ” ( गुमनाम )
“जान ए चमन शोला बदन” ( गुमनाम ) – मोहम्मद रफी के साथ
“मस्ती और जवानी हो उमर बड़ी मस्तानी हो” (दिल दौलत दुनिया) – किशोर कुमार और आशा भोसले के साथ
“जिगर का दर्द बढ़ता जा रहा है” ( स्ट्रीट सिंगर ) – मोहम्मद रफ़ी के साथ
“लेजा लेजा लेजा मेरा दिल” (एन ईवनिंग इन पेरिस)
“चले जाना ज़रा ठहरो” ( अराउंड द वर्ल्ड ) – मुकेश के साथ
“तुम प्यार से देखो” ( सपनों का सौदागर ) – मुकेश के साथ
” दुनिया की सैर कर लो” – मुकेश के साथ(अराउंड द वर्ल्ड )
“वो परी कहाँ से लाऊँ” ( पहचान ) – मुकेश और सुमन कल्याणपुर के साथ
“किसी दिल को सनम” ( कल आज और कल )
“जब भी ये दिल उदास होता है” ( सीमा ) – मोहम्मद रफ़ी के साथ
“आप की राय मेरे बारे में क्या है “(ऐलान ) – मोहम्मद रफ़ी के साथ
“जाने अनजाने यहां सभी हैं दीवाने” ( जाने अनजाने )
“जाने भी दे सनम मुझे, अभी जाने…” ( अराउंड द वर्ल्ड)
“मन के पंछी कहीं दूर चल, दूर चल” (“नैना”)
“वही प्यार के खुदा हम जिन पे फ़िदा” ( “पापी पेट का सवाल है” 1984)
सुन सुन रे बालम, दिल तुझको पुकारे (प्यार मोहब्बत 1968)- मोहम्मद रफी के ही साथ।

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