Ecological Threat Report 2025 On Indus Water: 1 नवंबर 2025 को जारी Ecological Threat Report 2025 ने भारत-पाकिस्तान के बीच जल विवाद को नई ऊंचाई दे दी है। रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा Indus Waters Treaty suspension ने पाकिस्तान को गंभीर जल संकट की चपेट में डाल दिया है। (Pahalgam terror attack 2025) यह संधि, जो 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से बनी थी, अब ‘आस्थगन’ में है—यानी अस्थायी रूप से निलंबित। भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए यह कदम उठाया, जबकि पाकिस्तान इसे ‘Act of War’ बता रहा है। आइए समझें, यह कैसे हुआ और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
Indus Waters Treaty (IWT) ने सिंधु बेसिन की छह नदियों—सिंधु, झेलम, चेनाब (पाकिस्तान को) और रावी, ब्यास, सतलुज (भारत को)—का बंटवारा किया था। यह संधि दो युद्धों (1965, 1971) और कई तनावों के बावजूद बरकरार रही। लेकिन 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या ने सब बदल दिया। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को जिम्मेदार ठहराया और 23 अप्रैल को संधि को निलंबित करने की घोषणा की। (India Pakistan water dispute 2025) गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “पाकिस्तान को वह पानी कभी नहीं मिलेगा जो उसे अन्यायपूर्ण रूप से मिल रहा था।” इससे पहले भी 2016 के उरी हमले के बाद ऐसी धमकी दी गई थी, लेकिन यह पहली बार अमल में आया। मई 2025 में अमेरिका-मध्यस्थता वाले युद्धविराम के बावजूद संधि बहाल नहीं हुई.
पाकिस्तान पर प्रभाव:
तबाही की कगार परपाकिस्तान की 80% कृषि, 33% जलविद्युत और पीने के पानी की आपूर्ति सिंधु पर निर्भर है। निलंबन से भारत ने पश्चिमी नदियों का बहाव नियंत्रित कर लिया, जिसका असर तत्काल दिखा:
- जल आपूर्ति: मौजूदा बांध (जैसे तारबेला, मंगल) सिर्फ 30 दिनों तक पानी रोक सकते हैं। सर्दियों में सूखे से घनी आबादी वाले पंजाब और सिंध में भारी कमी। (Pakistan water storage crisis)
- कृषि और अर्थव्यवस्था: किसान जैसे खालिद खोखर (फार्मर्स एसोसिएशन) चेतावनी दे रहे हैं, “पानी हमारी जान है। इससे युद्ध छिड़ सकता है।” 2023 की बाढ़ जैसी तबाही के बाद, अब सूखा फसल नष्ट कर सकता है, जिससे खाद्य असुरक्षा बढ़ेगी।
- ऊर्जा और स्वास्थ्य: जलविद्युत घटने से बिजली संकट, और दूषित पानी से बीमारियां फैल सकती हैं। रिपोर्ट कहती है, “भारत का छोटा कदम पाकिस्तान को तबाह कर सकता है।”
India hydropower projects Kashmir: भारत इसे आतंकवाद के खिलाफ कदम बता रहा है। जल संसाधन सचिव देबश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी समकक्ष को पत्र लिखा, “सुरक्षा चिंताओं के कारण संधि निलंबित।” साथ ही, चार नई हाइड्रो प्रोजेक्ट्स (जैसे किशनगंगा II) तेजी से बना रहा है।
पाकिस्तानके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कमेटी ने इसे “अवैध और युद्ध का कार्य” कहा। बिलावल भुट्टो ने चेतावनी दी, “हम छहों नदियां हासिल करेंगे।” किसान आंदोलन कर रहे हैं, और अंतरराष्ट्रीय अदालत जाने की तैयारी। विशेषज्ञ जैसे मनीषा गुड़ेस्वामी कहते हैं, “संधि को अपडेट करने की जरूरत थी, लेकिन रोकना असंभव है।” चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया, जबकि वर्ल्ड बैंक मध्यस्थता की पेशकश कर रहा है।
यह निलंबन दक्षिण एशिया की हाइड्रो पॉलिटिक्स को बदल सकता है—खाद्य असुरक्षा, पर्यावरणीय पतन और परमाणु तनाव बढ़ा सकता है। लेकिन क्लिंगेनडेल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट कहती है, “यह सहयोग का विराम है, अंत नहीं।” यदि पाकिस्तान आतंकवाद रोकता है, तो संधि बहाल हो सकती है। भारत के लिए यह Vision 2047 में जल सुरक्षा मजबूत करने का मौका है, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बातचीत जरूरी। (South Asia water security 2025) कुल मिलाकर, पानी अब नई ‘फ्रंटलाइन’ बन चुका है जिसे हल न किया गया तो इकोलॉजिकल तबाही निश्चित।
