Why It Is Not Raining In MP: मध्य प्रदेश में बारिश क्यों नहीं हो रही है? यह सवाल एमपी में रहने वाले हर नागरिक को परेशान कर रहा है. एमपी सरकार का कहना है कि पिछले 50 वर्षों में ऐसा सूखे का संकट कभी नहीं आया
Madhya Pradesh Weather Report: मध्य प्रदेश में बारिश क्यों नहीं हो रही: पूरा मध्य प्रदेश सूखे के संकट से गुजर रहा है. अगस्त का पूरा महीना सूखा रह गया और सितंबर में भी पर्याप्त बारिश होने की कोई उम्मीद नहीं है. बांधो में पानी की कमी हो गई है, खेतों को पर्याप्त पानी न मिलने से फसलें सूखने लगी हैं, बारिश न होने से भू-जल स्तर भी काफी नीचे चला गया है और बिजली की आपूर्ति प्रभावित होने लगी है. अगर आने वाले दिनों में थोड़ी-बहुत भी बारिश नहीं हुई तो प्रदेश के लोगों को बहुत बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है.
मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बारिश न होने को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा ‘मैं रात भर परेशान रहा, क्योंकि पूरा अगस्त सूखा बीत गया. इस कारण बांध पूरी तरह से नहीं भरे और बिजली की डिमांड एकदम से बढ़ गई. फसलों को बचाना है तो पानी देना होगा। ऐसी डिमांड आज तक कभी नहीं आई.
CM चौहान ने हाथ जोड़ते हुए कहा- हम भरसक कोशिश का रहे हैं, अपनी तरफ से चीज़ें ठीक कर रहे हैं, लेकिन यह स्थिति संकट की है. 50 साल में ऐसा संकट सूखे का नहीं आया. अभी भादौ चल रहा है. मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा, आप भी प्रार्थना करें कि बारिश एक बार जरूर हो जाए, ताकि हम फसलों को बचा सकें और बाकी व्यवस्थाएं ठीक चलती रहे.
सितंबर में भी बारिश की उम्मीद कम
वैसे मध्य प्रदेश में पिछले तीन सालों से सितंबर में अच्छी बारिश हुई है, जिसने जुलाई-अगस्त के बाद बचा कोटा पूरा किया है लेकिन इस साल सितंबर में भी बारिश के आसार कम ही नज़र आ रहे हैं. IMD की मानें तो इस बार सामान्य से 50% बारिश होने का पूर्वानुमान है. इसकी वजह स्ट्रांग सिस्टम ना बनना है.
सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह का कहना है कि 4-5 सितंबर से बंगाल की खाड़ी में सिस्टम एक्टिव हो रहा है, 6-7 सितंबर तक लो प्रेशर एरिया एक्टिव हो सकता है. इससे पूर्वी हिस्से में मीडियम बारिश हो सकती है लेकिन इतनी बारिश नहीं होगी जो कोटा पूरा कर सके, यह सिस्टम 19 सितंबर तक एक्टिव रहेगा
सितंबर में मई जैसी गर्मी
कहा जा है कि मानसून के मौसम में इतनी गर्मी पड़ना, हमें बड़ी त्रासदी की तरफ ले रहा है. आने वाले भविष्य में पानी का इतना संकट होगा जिसके बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती है. यह हैरानी की बात है कि सितंबर के महीने में मई-जून की तरह गर्मी पड़ रही है. हरे-भरे एमपी के कई इलाकों में तापमान 39 डिग्री सेल्सियस के पार जा रहा है.
देखा जाए तो इस मौसम में सिर्फ जबलपुर, मंडला, सिवनी, नरसिंहपर, डिंडोरी में औसत से ज्यादा बारिश हुई है जबकि ग्वालियर, मंदसौर, बड़वानी और खंडवा में तो बारिश देखने के लिए लोगों की आंखे पथरा गई हैं. विंध्य क्षेत्र में भी उस हिसाब से बारिश नहीं हुई है जितनी होनी चाहिए।
IMD की माने तो इस सीजन में एमपी में 1 जून से 31 अगस्त के बीच सिर्फ 20.6 इंच बारिश हुई है जबकि इस दरमियान कम से कम 31.6 इंच बारिश हो जानी चाहिए थी, इस हिसाब से एमपी में 16% कम बारिश हुई है. पूर्वी हिस्से में 13% और पश्चिमी हिस्से में 20% कम बारिश हुई है. जून के आखिरी दिनों में जब मानसून की एंट्री हुई थी जब पानी अच्छा बरसा था मगर जुलाई-अगस्त में सामान्य से कम बारिश हुई.