Donald Trump On Panama Canal: पनामा पर डोनाल्ड ट्रंप की टेढ़ी नजर क्यों?

Donald Trump On Panama Canal

Donald Trump On Panama Canal Hindi News: हाल ही में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर को लेकर दिए गए, एक बयान से विश्व राजनीति में भूचाल आ गया है। ट्रंप ने कहा कि पनामा से होकर गुजरने वाले अमेरिकी जहाजों से अनुचित शुल्क वसूला जा रहा है, जिसे कारण लगता है अमेरिका को पनामा नहर का नियंत्रण फिर से अपने हाथों में ले लेना चाहिए।

अब उनके इस बयान से उत्तर में पनामा की तरफ से प्रतिक्रिया तो आनी ही थी। वहाँ के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है वहाँ से गुजरने वाले जहाजों से शुल्क एक्सपर्ट्स की तरफ से निर्धारित किए जाते जाते हैं, पनामा नहर और उसकी एक-एक इंच जमीन पनामा की है और आगे भी पनामा की ही रहेगी।

आखिर क्या कहा था ट्रंप में

ट्रंप की तरफ से ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा गया था कि, हमारी नौसेना और व्यापारिक जहाज से अनुचित व्यवहार किया जाता है। पनामा की तरफ से ली जाने वाली फीस हास्यास्पद है इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए। अगर पनामा चैनेल का उचित और विश्वसनीय तरीके से संचालन नहीं होता है, तो हम मांग करते हैं, पनामा नहर नैतिक और कानूनी दोनों नियमों का पालन करते हुए अमेरिका को सौंप दिया जाए। आखिर क्या है पनामा नहर, इसका व्यापारिक और विश्व राजनीति में महत्व क्या है, और अमेरिका के तरफ से इसे वापस लेने के दावे का आधार क्या है?

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पनामा नहर का इतिहास | Panama Canal History

पनामा नहर के निर्माण का कार्य साल 1881 में फ्रांस ने प्रारंभ किया था, लेकिन अत्यधिक लागत और कई अड़चनों के बाद फ्रांस ने इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींच लिए थे। 1903 में अमेरिका ने कोलंबिया से इस क्षेत्र के अधिकार लेकर नहर के पुनर्निर्माण का कार्य फिर से प्रारंभ किया। 1904 से लेकर 1914 के बीच में यह प्रोजेक्ट कम्पलीट हुआ। 1903 से 1977 तक यह नहर और क्षेत्र अमेरिका के नियंत्रण में था। 1977 में टेरीजोस-जिम्मी समझौते के अनुसार यह पनामा को सौंप दिया गया।

टेरीजोस-जिम्मी संधि

7 सितंबर 1977 को यूनाइटेड स्टेट की राजधानी वाशिंगटन डी. सी. में अमेरिकन प्रेसिडेंट जिम्मी कार्टर और पनामा नैशनल गॉर्ड के सुप्रीम कमांडर जनरल उमर टेरीजोस के मध्य दो समझौते हुए थे। जिनमें से एक पनामा नहर और आस पास के क्षेत्र के नियंत्रण को लेकर थी। इस संधि के अनुसार 31 दिसंबर 1999 को 12 बजे से पनामा नहर का संचालन और नियंत्रण दोनों ही पनामा ही करेगा। पनामा नहर के संचालन और अपने नियंत्रण से पीछे हटने का प्रमुख अमेरिकी उद्देश्य विश्व राजनीति में तटस्थता की थी। हालांकि अमेरिकी राजनीति में कंजर्वेटिव लोगों ने इस संधि को बहुत क्रिटिसाइज भी किया था।

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पनामा नहर का महत्व | | Panama Canal Importance

करीब 82 किलोमीटर लंबी यह नहर अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ती है। कैरिबियन देशों और दक्षिणी अमेरिकी देशों के व्यापर के लिए महत्वपूर्ण मार्ग है। यह नहर विश्व के प्रमुख जलमार्गों से एक है और वैश्विक व्यापार में बहुत बड़ी भूमिका है। विश्व का लगभग 4 % व्यापार इसी मार्ग से होकर होता है। और अमेरिका का तो लगभग 16 % व्यापार इसी मार्ग से होता है।

ट्रंप के बयान के मायने क्या हैं ? | Donald Trump On Panama Canal

हालांकि भले ही डोनाल्ड ट्रंप ने नेवी और व्यापारिक जहाजों से ज्यादा टेरिफ वसूलने को लेकर यह व्यक्तव्य दिया था। लेकिन उनकी प्रमुख चिंता है, यहाँ चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर है। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर आगे लिखा हम इसे गलत हाथों में नहीं जाने देंगे। इसका प्रबंधन चीन के जरिए नहीं किया जा सकता है। जिसके जवाब में मुलिनी ने कहा कि पनामा नहर के कैरिबियन और प्रशांत महासागर की तरफ के दो पोर्ट के गेट्स का जिम्मा सीके हचिसन होल्डिंग्स की एक सहायक कंपनी करती है। यह कंपनी हांगकांग में स्थित है और चीन का इसपर कोई नियंत्रण नहीं है।

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