Domestic Violence Victim Compensation : घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए-मप्र में क्षतिपूर्ति की व्यवस्था

Domestic Violence Victim Compensation : घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए-मप्र में क्षतिपूर्ति की व्यवस्था-घरेलू हिंसा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी महिला को गहराई से प्रभावित करती है। ऐसी परिस्थितियों में पीड़िता को न्याय के साथ-साथ आर्थिक संबल मिलना भी बेहद ज़रूरी होता है, ताकि वह आत्मनिर्भर बनकर सम्मानजनक जीवन की ओर बढ़ सके। इसी उद्देश्य से राज्य सरकारें घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजा (Compensation) और क्षतिपूर्ति योजनाएं लागू करती हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए शारीरिक क्षति के स्तर के अनुसार आर्थिक सहायता का प्रावधान किया है।घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले मुआवजा प्रावधान की पूरी जानकारी। जानिए शारीरिक क्षति के आधार पर मिलने वाली आर्थिक सहायता, उद्देश्य और पुनर्वास में इसकी भूमिका।

मध्य प्रदेश में घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजा प्रावधान

मध्य प्रदेश में घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को उनकी शारीरिक क्षति की गंभीरता के आधार पर निम्नानुसार आर्थिक सहायता दी जाती है जैसे –
शारीरिक क्षति 40% से कम होने पर-पीड़िता को ₹2 लाख तक का मुआवजा प्रदान किया जाता है। यह राशि उपचार, काउंसलिंग, कानूनी सहायता और प्रारंभिक पुनर्वास में सहायक होती है। शारीरिक क्षति 40% से अधिक होने पर गंभीर रूप से पीड़ित महिला को ₹4 लाख तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसका उद्देश्य दीर्घकालीन इलाज, पुनर्वास, स्वरोजगार और स्वतंत्र जीवन की व्यवस्था को सुदृढ़ करना है।

मुआवजे का उद्देश्य और महत्व

यह मुआवजा केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि पीड़िता के जीवन को नई दिशा देने का माध्यम है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं जैसे – पीड़िता के चिकित्सकीय उपचार में सहायता,मानसिक और सामाजिक पुनर्वास को बढ़ावा,आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र जीवन की ओर प्रोत्साहन,हिंसा से उबरकर सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना।

निष्कर्ष (Conclusion)

घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजा प्रावधान न्याय व्यवस्था का एक मानवीय और संवेदनशील पहलू है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाने वाला ₹2 लाख से ₹4 लाख तक का मुआवजा पीड़ित महिलाओं को न केवल राहत देता है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास के साथ नया जीवन शुरू करने की शक्ति भी प्रदान करता है। यह व्यवस्था समाज में यह संदेश देती है कि हिंसा के विरुद्ध खड़ी महिला अकेली नहीं है, राज्य उसके साथ है।

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