न्याज़िया
मंथन। क्या ये मानना मुश्किल है कि हममें भी कोई कमी है ? हज़ार ग़लतिया दूसरों की निकाल लेना और अपनी एक भी न ढूंढ पाना सही है ? नहीं न क्योंकि कोई एक दम परफेक्ट नहीं हो सकता ,हर इंसान खुद को बेहतर बनाने की कोशिश कर सकता है पर ऐसा नहीं है कि वो हर जगह अच्छा हो, ऐसा भी नहीं होता कि हमें कभी कुछ सीखने की ज़रूरत न रहे हर उम्र में ज़िंदगी की दरकार होती है कि हम कुछ और बेहतर रूप में ढलें, इसके बावजूद हम अपनी तारीफ़ ही सुनना चाहते हैं, ख़ामियों का ज़िक्र हमें पसंद नहीं आता पर शायद इन्हें भी सुनना चाहिए समझना चाहिए कि हम कहां वीक हैं ताकि हम उस कमी को भी पूरा कर सकें और शायद थोड़े परफेक्ट बन सकें जो हमारा शुभ चिंतक ही चाहेगा तो ज़ाहिर है हमारी बुराई निकालने वाला इंसान हमारा बुरा नहीं चाहता वो हमारा अपना है तो इनकी क़द्र करें ये अपने मुश्किल से मिलते हैं जो त्रुटियां बताकर हमारा मार्गदर्शन करते हैं ।
कबीर दास जी ने लिखा है
कबीर दास जी का दोहा तो आपको याद ही होगा ,निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय ,बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय, यानी निंदा करने वाले को सदा अपने आंगन की कुटिया में या अपने पास रखना चाहिए क्योंकि ये बिना पानी ,साबुन के हमारे स्वभाव को निर्मल कर देते हैं, हमारी बुराइयों को याद दिला कर हमें उसे सुधारने का मौका देते हैं। वैसे अपनी तारीफ़ सुनने से हमें हौसला मिलता है, लेकिन ये सच्ची है या झूठी हमें क्या पता फिर भी, कभी हम और अच्छा करने की कोशिश करते हैं तब तो ठीक है लेकिन कभी-कभी उस तारीफ को सुनकर हम वहीं रुक भी जाते हैं, कुछ नया या अच्छा करने की कोशिश ही नहीं करते ये सोचकर कि हमने जो कर लिया वो सबसे अच्छा था। अब उससे बेहतर हो ही नहीं सकता और ये संतुष्टि हमें फिर आगे ही नहीं बढ़ने देती हम जहां थे वहीं रुक जाते हैं।
हर पल कुछ अच्छा सीखना चाहिए
इसलिए हर पल कुछ अच्छा सीखना चाहिए गुणियों के सानिध्य में रहकर अच्छे गुणों को ग्रहण करना चाहिए और हर इंसान में कुछ अच्छा कुछ बुरा होता है इसलिए बस अच्छी बातें ढूंढने की आदत डालना चाहिए फिर हमें जहां उम्मीद नहीं भी होगी वहां से भी कुछ अच्छा सीखने को मिलेगा क्योंकि कीचड़ में ही कमल खिलता है और अगर आप भी किसी कि तारीफ करें तो सच्ची करें ताकि उसकी हौसला अफज़ाई हो वो किसी ग़लत फहमी का शिकार न हों क्योंकि तारीफे भी ज़रूरी हैं इन्हीं से तो हमें ऊर्जा मिलती है। सोचिएगा ज़रूर इस बारे में ,फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में।