Bihar Assembly Election 2025 : क्या तेजप्रताप की वजह से तेजस्वी को नहीं मिली पार्टी की कमान?

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं, सभी पार्टियां अपने काम में जुट गई हैं। बिहार चुनाव में लालू यादव की सक्रियता देखने को मिली है। आपको बता दें कि बिहार चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की कमान अपने हाथों में ले ली है। मंगलवार को भी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध चुन लिया गया है। उनके नामांकन के सभी चार सेट वैध पाए गए। यह उनका लगातार 13वां कार्यकाल होगा, जिसकी औपचारिक घोषणा 5 जुलाई को की जाएगी। पार्टी ने दावा किया है कि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और लोकतांत्रिक तरीके से पूरी हुई है। एक बार फिर आरजेडी के सदस्यों ने लालू यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है।

तेजस्वी को अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया गया? Bihar Assembly Election 2025

ऐसे में सवाल उठता है कि जब लालू यादव ने पार्टी में अहम फैसले लेने का अधिकार अपने बेटे तेजस्वी को दिया, हाल ही में मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित किया, तो फिर पार्टी की बागडोर उन्हें क्यों नहीं सौंपी? जबकि लालू प्रसाद यादव की तबीयत भी ठीक नहीं है। वे कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। इसके बावजूद लालू यादव रिटायर क्यों नहीं हो रहे हैं? आपको बता दें कि लालू यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ ही यह साफ हो गया है कि अगले तीन सालों तक पार्टी का नेतृत्व और बागडोर उनके हाथों में ही रहेगी और बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद ही आरजेडी का नेतृत्व करेंगे। अब आइए जानते हैं तेजस्वी को बागडोर न सौंपने की वजह

बिहार चुनाव में नुकसान का खतरा? Bihar Assembly Election 2025

पहली वजह यह है कि तेजस्वी यादव के आरजेडी का अध्यक्ष बनने से चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है। इसकी वजह यह है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड ने लालू प्रसाद के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। उस समय तेजस्वी यादव ने अपनी रणनीति बदली थी। उन्होंने आरजेडी के पोस्टरों से लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की तस्वीर ‘गायब’ कर दी थी। तेजस्वी यादव को उम्मीद थी कि इस बदलाव से उन्हें फायदा होगा, लेकिन उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हुआ और उनकी पार्टी सत्ता से दूर रह गई। हालांकि, इस बात को पांच साल हो चुके हैं। इन सालों में तेजस्वी यादव पहले से ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं। लालू प्रसाद ने पार्टी में बड़े फैसले लेने का अधिकार तेजस्वी को दिया है, लेकिन उन्होंने अभी तक पार्टी की कमान पूरी तरह से तेजस्वी को नहीं सौंपी है।

बिहार की राजनीति के जानकार रमाकांत चंदन ने क्या कहा?

बिहार की राजनीति के जानकार रमाकांत चंदन कहते हैं कि बिहार चुनाव से पहले पार्टी नेतृत्व में कोई भी बड़ा बदलाव आरजेडी के लिए नुकसानदेह हो सकता है। शायद इसीलिए लालू प्रसाद यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथ में रखी। तेजस्वी यादव भले ही मुख्यमंत्री का चेहरा हों, लेकिन लालू परिवार को लगता है कि अगर चुनाव से पहले लालू प्रसाद को दरकिनार किया गया तो इससे गलत संदेश जाएगा। खासकर मुस्लिम और यादव समुदाय में। इससे पार्टी को नुकसान भी हो सकता है।

क्या तेज प्रताप यादव भी इसकी वजह हो सकते हैं?

दूसरी वजह यह भी है कि तेज प्रताप को लेकर लालू प्रसाद के परिवार में विवाद चल रहा है। तेज प्रताप और अनुष्का यादव का मामला सामने आने के बाद लालू प्रसाद ने तेज प्रताप को पार्टी से निकाल दिया है। उन्हें परिवार से भी निकाल दिया गया है। इधर तेज प्रताप यादव धमकी दे रहे हैं कि ‘कोर्ट फैसला करेगा।’ ऐसे में तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच सत्ता को लेकर कोई खींचतान न हो, शायद इसी बात ने लालू को पार्टी का नेतृत्व जारी रखने के लिए मजबूर किया। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालते रहना चाहिए ताकि पार्टी पर उनका नियंत्रण बना रहे और पार्टी में कोई फूट न पड़े।

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