Dev-Uthani Ekadashi 2025 Vrat Food Guide : जानें-देव उठनीएकादशी व्रत में क्या ? बनाएं फलाहारी

Dev Uthani Ekadashi Vrat Fasting Content : जानें  देवउठनी एकादशी व्रत में क्या ? बनाएं फलाहारी- देव उठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और विवाह जैसे शुभ कार्यों का आरंभ होता है। इस व्रत में भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। व्रत के दौरान सात्विक फलाहार (हल्का, पवित्र और शुद्ध भोजन) का विशेष महत्व होता है।तो आइए जानें देव उठनी एकादशी व्रत में क्या खाएं और किन चीजों से परहेज करें। फल, दूध, साबूदाना, शकरकंद जैसे सात्विक व्यंजनों की पूरी लिस्ट और व्रत नियम पढ़ें।

देव उठनी एकादशी व्रत में क्या खाएं – देव उठनी एकादशी के दिन शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने और व्रत की पवित्रता बनाए रखने के लिए फलाहार में सात्विक पदार्थों का सेवन किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस दिन किन-किन चीज़ों को फलाहार में शामिल किया जा सकता है जैसे –

मौसमी फल – केला, सेब, अंगूर, अनार, सिंघाड़ा और मौसमी फल इस दिन सेवन के लिए उत्तम माने जाते हैं। ये शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ हल्के और पाचन में आसान होते हैं।

दूध और दही – दूध से बनी खीर, सादा दूध,मीठा दही पी सकते हैं। इनसे शरीर को शुद्ध प्रोटीन मिलने के साथ गेस्ट्रिक प्रॉब्लम नहीं होती ।

सूखे मेवे – बादाम, काजू, किशमिश, खजूर और मखाने फलाहार में ऊर्जा और पौष्टिकता बढ़ाने का अच्छा विकल्प हैं। मखाने को भूनकर भी खाया जा सकता है।

साबूदाना – साबूदाने की खिचड़ी या खीर व्रत में लोकप्रिय व्यंजन है। यह हल्का, पौष्टिक और तृप्तिकर होता है।

कुट्टू का आटा – कुट्टू के आटे की रोटी या पूरी सेंधा नमक के साथ बनाई जाती है। यह अनाज रहित होने के कारण व्रत के लिए उपयुक्त है।

शकरकंद (रतालू) – शकरकंद को उबालकर, भूनकर या हल्का तला हुआ खाया जा सकता है। इसमें भरपूर फाइबर और प्राकृतिक मिठास होती है।

अन्य सात्विक विकल्प – पनीर, मिष्ठान (जैसे मोतीचूर लड्डू, गुलाब जामुन), कद्दू की सब्जी या हलवा, नारियल पानी, और सेंधा नमक से बने हल्के व्यंजन भी ले सकते हैं।
व्रत में ध्यान रखने योग्य बातें – व्रत में अनाज, प्याज और लहसुन का सेवन वर्जित है,केवल सेंधा नमक का ही प्रयोग करें। इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि तुलसी माता स्वयं विश्राम करती हैं। व्रत के दौरान संयम, भक्ति और सात्विकता बनाए रखना सबसे आवश्यक है।

निष्कर्ष – देव उठनी एकादशी का व्रत केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि शरीर और मन की शुद्धि का भी प्रतीक है। फलाहार का उद्देश्य शरीर को हल्का रखकर मन को भगवान की भक्ति में केंद्रित करना है। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करने से मन शांत रहता है, ऊर्जा बनी रहती है और व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

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