सरकार कहती है कि Petrol-Diesel के रेट Crude Oil के घटते-बढ़ते दामों के हिसाब से बदलते हैं. जब Crude महंगा होता है तो ईंधन की कीमत बढ़ती है लेकिन जब कच्चा तेल सस्ता होता है तो फ्यूल की कीमत कम नहीं होती।
तेल कंपनियां सस्ता क्रूड ऑयल खरीदकर आम जनता को महंगा ईंधन बेचने का काम कर रही हैं. पिछले 15 महीनों में कच्चे तेल की कीमत में 31% की गिरावट आई है लेकिन इस दौरान Petrol-Diesel की कीमत स्थिर बनी हुई है. कायदे से देखा जाए तो ईंधन के दाम कच्चे तेल के बढ़ते-घटते रेट्स के हिसाब से तय होने चाहिए लेकिन इस मामले में सरकार और तेल कंपनियां कुछ और ही खेल कर रही हैं.
पिछले साल मई में जब Petrol-Diesel के दाम अपने चरम पर पहुंच गए थे तब इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 109.51 डॉलर प्रति बैरल थी. तब पेट्रोल की कीमत भी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 120 रुपए तक पहुंच गई थी. जिसके बाद सरकार ने 21 मई 2022 को कीमतों में कमी करते हुए पेट्रोल को 9.5 और डीजल को 7 रुपए सस्ता कर दिया था. ये तब कि बात है जब क्रूड ऑयल 109.51 डॉलर प्रति बैरल था.
जून 2023 में कच्चे तेल की कीमत 31.57% तक नीचे गिरकर 75 डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो गई. लेकिन इस बीच पेट्रोल-डीजल की कीमत में एक रुपए की भी गिरावट देखने को नहीं मिली। जो रेट मई 2023 में तय किए गए थे वही रेट 15 महीने बाद भी चल रहे हैं. मतलब जब क्रूड ऑयल महंगा हुआ तो तेल कंपनियों ने ईंधन की कीमत बढ़ा दी लेकिन जब सस्ता हुआ तो कीमतों को कम ही नहीं किया जा रहा.
चाहें तो 6 रुपए कम हो जाए कीमत
रिपोट्स का कहना है कि पिछले साल पेट्रोल-डीजल के रेट कम करने पर तेल कंपनियों को 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में 16,700 करोड़ का घाटा हुआ था, जिसकी भरपाई करने के लिए कंपनियों ने क्रूड ऑयल सस्ता होने के बाद भी ईंधन के दाम कम नहीं किए. लेकिन 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में इन तेल कंपनियों को 31,159 करोड़ रुपए का अभूतपूर्व मुनाफा हुआ है। जानकारों का कहना है कि तेल कंपनियों के पास पेट्रोल-डीजल में 5 से 6 रुपए की कटौती करने की गुंजाइश है।
चुनाव आते ही रेट कम हो जाएंगे
वर्तमान में क्रूड ऑयल की कीमत 86.32 डॉलर प्रति बैरल चल रही है. सरकार चाहे तो 6-7 रुपए की कमी कर जनता को महंगाई से राहत दे सकती है. क्योंकी जनता को उस दाम में ईंधन खरीदना पड़ रहा है जब कच्चे तेल की कीमत 109 डॉलर प्रति बैरल हुआ करती थी.
अगले दो महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले है. तब सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी जरूर करेगी। लोकसभा चुनाव 2024 तक तो सरकार कोशिश यही करेगी कि पेट्रोल-डीजल की कीमत 90 रुपए से भी कर दी जाए.
4 साल में क्रूड 23% तो ईंधन 35% महंगा हुआ
सरकार कहती है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्रूड ऑयल के रेट पर निर्भर हैं. लेकिन असलियत में आंकड़े कुछ और ही कहते हैं. मई 2019 से लेकर अगस्त 2023 तक पट्रोल-डीजल 35-35% महंगे हुए हैं जबकि क्रूड की कीमत इन 4 सालों में सिर्फ 23% बढ़ी है. ऐसे में शेष 12% तेल कंपनियों का अतिरिक्त प्रॉफिट है.