Cough Syrup Case : सर्दी और खांसी में आराम देने वाली कफ सिरप जानलेवा बन गई है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से कफ सिरप पीने के कारण 12 बच्चों की मौत हो चुकी है। कफ सिरप पीने के बाद हो रही एक-एक कर बच्चों की मौत से लोग डरे हुए हैं और सोच रहे हैं कि आखिर जान बचाने वाली दवा ही जहर क्यों बन रही है? बच्चों की मौत के बाद सरकार ने इस दवा के पूरे बैच पर रोक लगा दी है। मध्य प्रदेश सरकार सभी के लिए एडवाइजरी भी जारी की है।
दो साल तक के बच्चों को न पिलाएं सिरप
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत होने के बाद शक के घेरे में आए कफ सिरप की जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट आ गई है। दिल्ली में सीडीएससीओ, पुणे में वायरोलॉजी इंस्टिट्यूट और मध्यप्रदेश सरकार ने 9 सैंपल की जांच की। जांच में किसी सैंपल में कोई संदिग्ध बात नहीं मिली है। अब राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) भी मामले की जांच कर रहा है। दूसरी ओर, सरकार ने एक नई सलाह भी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न पिलाई जाए।
छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से 9 बच्चों की मौत
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के परासिया इलाके में 9 बच्चों की मौत हुई है। अभी तक 1420 बच्चे सूची में हैं, जिनमें से अधिकतर सर्दी, बुखार और जुकाम से पीड़ित थे। जिन दो कफ सिरप को जिम्मेदार माना जा रहा है, वे चेन्नई में बनते हैं – कोल्ड्रिफ और नेक्सा डीएस। इन दवाओं का इस्तेमाल प्राइवेट डॉक्टरों ने भी अपने प्रिस्क्रिप्शन में लिखा है।
पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को आया था, और पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी। मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, जांच जारी है। अभी तक की जांच में करीब 500 लोगों के खून में कोई संक्रमण नहीं मिला है।
दवाओं के सैंपल में कोई गड़बड़ी नहीं
कफ सिरप की जाँच की रिपोर्ट सामने आ गई है। शुरुआती रिपोर्ट में कफ सिरप को क्लीन चिट मिल गई है, पर अभी भी पूरी बात साफ नहीं है। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि जिन दवाओं के कारण यह हादसा हुआ, वे सरकारी डॉक्टरों ने नहीं दी थीं। यह दवाएं परिजनों ने अपने स्तर पर दी थीं। उन्होंने कहा कि सरकार ने दवाओं की गुणवत्ता की जांच कर ली है और सब सही पाया है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में कोई भी सैंपल मानक से कम नहीं था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की ये एडवाइजरी
डॉक्टर सुनीता शर्मा, जो स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख हैं, ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सलाह दी है…
- बच्चों में खांसी-जुकाम अपने आप ठीक हो जाती है, इसलिए दवा की जरूरत नहीं है।
- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी या जुकाम की सिरप बिल्कुल न दें।
- 5 साल से कम उम्र के बच्चों को इन दवाओं का इस्तेमाल न करें।
- 5 साल से अधिक उम्र के बच्चों को तभी सिरप दें जब डॉक्टर कहें।
- दवा सही मात्रा में और कम दिनों के लिए ही दें, और कई दवाइयां एक साथ न दें।
- जनता को भी बताया जाए कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई सिरप न दें।
- पहले दवा न देकर घरेलू उपाय जैसे पानी देना, आराम करना, भाप लेना, गुनगुना पानी पीना आदि अपनाएं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टरों और अस्पतालों को भी निर्देश दिए हैं…
- अच्छी गुणवत्ता वाली दवाएं ही खरीदें।
- दवाओं में अच्छी क्वालिटी की सामग्री का ही इस्तेमाल हो।
- सही तरीके से डॉक्टर और फार्मासिस्ट सलाह दें।
- इन निर्देशों का पालन हर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में हो।
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