Delhi Assembly Election : राजनीति में सही समय पर उठाया गया कदम काफी मायने रखता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने पूजा स्थल अधिनियम (1991) के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बड़ा दांव खेला है। हिंदुत्व के मुद्दे पर जहां बीजेपी और आम आदमी पार्टी आमने-सामने हैं, वहीं कांग्रेस ने इस कदम से अपना एजेंडा साफ कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि 1991 में कांग्रेस सरकार ने ही यह कानून पारित किया था, जो देश के सामाजिक सौहार्द और धर्मनिरपेक्ष ढांचे की रक्षा करता है।
पार्टी का कहना है कि इस कानून में बदलाव से देश की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा दायर इस याचिका में यह भी कहा गया है कि इस कानून से छेड़छाड़ देश के सामाजिक ताने-बाने के लिए नुकसानदेह होगा।
दिल्ली चुनाव और मुस्लिम वोट बैंक का गणित
दिल्ली में करीब 13 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो 12 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस ने इन मतदाताओं को लुभाने के लिए पूजा स्थल अधिनियम का मुद्दा उठाया है। राहुल गांधी ने अपने अभियान की शुरुआत दिल्ली के सीलमपुर से की, जो मुस्लिम बहुल इलाका है। यहां उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दों को उठाया और कांग्रेस की नीतियों को उनके पक्ष में बताया।
इसका बीजेपी, आप और एआईएमआईएम पर काफी असर पड़ेगा।
कांग्रेस के इस कदम का सीधा असर बीजेपी और आम आदमी पार्टी पर पड़ सकता है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाता आम आदमी पार्टी के साथ थे, जबकि इससे पहले दशकों तक ये मतदाता कांग्रेस के साथ थे। वहीं, एआईएमआईएम ने भी दंगा आरोपियों को टिकट देकर खुद को मुसलमानों का रहनुमा दिखाने की कोशिश की है। ऐसे में कांग्रेस के इस कदम को मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पूजा स्थल अधिनियम और बढ़ता विवाद | Delhi Assembly Election
पूजा स्थल अधिनियम (1991) का उद्देश्य धार्मिक स्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 के अनुसार बनाए रखना है। लेकिन हाल के वर्षों में इस कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद बढ़ गया है।
- -संभल की जामा मस्जिद
- -काशी की ज्ञानवापी मस्जिद
- -मथुरा की शाही ईदगाह
- -मध्य प्रदेश की भोजशाला
इन मामलों में मंदिर होने के दावे के साथ सर्वे की मांग की जा रही है। इस कानून पर अपना रुख स्पष्ट करके कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
क्या कांग्रेस का दांव सफल होगा? Delhi Assembly Election
मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जातिगत राजनीति एक चलन बन गया है, कांग्रेस भी इस चलन को अपनाने में पीछे नहीं है। कांग्रेस के इस कदम ने दिल्ली की चुनावी जंग को और दिलचस्प बना दिया है। हालांकि, भाजपा और आप इस पर हमला बोल रहे हैं। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस का यह मास्टरस्ट्रोक मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर पाएगा?