China Balochistan Freedom : भारत के खिलाफ पाकिस्तान को उकसाने और मदद करने में चीन का सबसे बड़ा हाथ रहा है। भारत पर हमला करने के लिए चीन ने पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई की थी। यही नहीं भारत के साथ सीजफ़ायर करने पर भी चीन ने पाकिस्तान को काफी हद तक भड़काया था। पाकिस्तान भी चीन को अपना भरोसेमंद दोस्त मानता था। दोनों देशों के बीच दोस्ती की कड़ी बलूचिस्तान रहा है। क्योंकि बलूचिस्तान में चीन के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनको लेकर बलूचिस्तान पाकिस्तान से नाराजगी जताता रहा है। मगर, बड़ी ही चालाकी से चीन ने पाकिस्तान की पीठ पर खंजर घोंप दिया और दोस्ती में दगाबाजी कर दी। चीन ने पाकिस्तान और बलूचिस्तान के बीच लड़ाई का फायदा उठाते हुए बलूचिस्तान को स्वतंत्र देश की मान्यता दे डाली। बीजिंग में इस बात का जश्न भी मनाया जा रहा है। मगर हैरानी की बात ये है कि सब कुछ जानते हुए पाकिस्तान अपने दोस्त चीन के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल रहा है।
चीन ने बलूचिस्तान को किया स्वतंत्र | China Balochistan Freedom
पाकिस्तान के ज़िगरी दोस्त चीन ने आखिर दोस्ती में धोखा दे ही दिया। बलूचिस्तान में खनिजों का चीन से सौदा कर पाकिस्तान ने अपना दोहरा नुकसान कर लिया है। एक तरफ तो पाकिस्तान ने बलूचिस्तान को भी नाराज कर दिया तो दूसरी तरफ चीन में भी पाकिस्तान के साथ धोखेबाजी की। चीन ने पाकिस्तान की एकता-संप्रभुता और अखंडता को ठेंगा दिखाते हुए सीधे बलूच विद्रोहियों से ही हाथ मिला लिया। जिस पाकिस्तान को अभी तक यह लग रहा था कि चीन उसका दोस्त और हर कदम पर उसके साथ खड़ा है, इस चीज में पाकिस्तान की पीठ पर खंजर घोंप दिया। चीन के दुश्मन विद्रोही बलोचों का साथ देकर चीन ने पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया।
चीन से अभी भी दोस्ती निभा रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान और पाकिस्तान सुना विद्रोही बलोचों को कुचलना की रणनीति पर काम कर रहे थे। मगर अब उन्ही के दोस्त चीन ने पाकिस्तान के इरादों पर पानी फेर दिया। चीन ने न सिर्फ विद्रोही बलूचों के साथ हाथ मिलाया बल्कि बलूचिस्तान को स्वतंत्र मानता भी दे दी। चीन में बीजिंग में बलूचिस्तान के स्वतंत्र होने का ऐलान कर दिया। चीन की हरकत के बाद पाकिस्तान मुंह बंद कर बैठा है। यही नहीं पाकिस्तान ने चीन के साथ अपनी दोस्ती भी नहीं तोड़ी है।
बीजिंग में ड्रैगन ने पाक रक्षा मंत्री को सुनाया फरमान | china free Balochistan
गुरुवार को पाकिस्तान की रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ बीजिंग दौरे पर आए थे। जहां उन्हें चीन ने यह फरमान सुना दिया। अपने फरमान में चीन ने कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की सुरक्षा के लिए बलूचिस्तान विद्रोही संगठनों से सीधे संपर्क करने का फैसला किया है। ऐसे में पाकिस्तान करें भी तो क्या करें, चीन से खिलाफत की तो जान से जाएगा और दोस्ती निभाई तो बलूचिस्तान से हाथ धोना पड़ेगा। आखिर में पाकिस्तान ने चुप्पी साध रखी है। फिलहाल, बिजी में बलूचिस्तान के आजाद होने का जश्न मनाया जा रहा है।
चीन के लिए जरूरी क्यों है बलूचिस्तान?
यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन ने पाकिस्तान को बलूचिस्तान के लिए धोखा दिया है। चीन ने पाकिस्तान के साथ बलूचिस्तान में व्यापार करने के लिए दोस्ती की थी, जिसपर आये दिन बलूच विद्रोही चीन के प्रोजेक्ट पर हमला कर रहें थे और चीन को नुकसान हो रहा था। बड़ी बात ये है कि खुद पाकिस्तान बलूचों को समझाने व रोकने में नाकाम साबित हो रहा था। इसी वजह से चीन ने विद्रोही बलूचो के साथ ही दोस्ती कर ली।
अब बात करते है कि आखिर बलूचिस्तान में ऐसा क्या है जिसके लिए चीन से लेकर यूरोप और एशिया सभी पीछे पड़े हैं। दरअसल, चाहे चीन हो या यूरोप तक सभी के आर्थिक लाभ पाकिस्तान के बलूचिस्तान होकर ही गुजरते हैं। चीन बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट और रेको दिक खनन के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिससे चीन को बड़ा मुनाफा होता है। लंबे समय से बलूच संगठन चीन के साथ इसी समझौते के खिलाफ पाकिस्तान से लड़ाई लड़ रहा है।
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