Chhath Vrat Paran Niyam : आज उत्तर भारत में मनाए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध और कठिन व्रत छठ का पर्व है, जो बिहार के साथ यूपी में भी धूमधाम से मनाया जाता है। छठ व्रत करने वाली महिलाओं ने घाट के किनारे डूबते सूर्य देवता को अर्घ देकर छठी मैया की पूजा की और मनोकामना मांगी।
48 घंटे चलता है छठ व्रत
छठ व्रत महिलाएं बच्चों की मनोतियों को मांगने के लिए करती हैं। श्रद्धालु सूर्य भगवान को अर्घ देने के लिए नदी, तालाब और अन्य पवित्र स्थानों पर उमड़ पड़े हैं। इस छठ पर्व की महत्ता का घाटों के किनारे मौजूद लोगों की भीड़ से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या छोटे और क्या बड़े, सभी छठ पूजा में शामिल होने आते हैं। 48 घंटे चलने वाले इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में माना जाता है। एक दिन पहले ही व्रती महिलाएं नहाय-खाय के साथ व्रत की शुरुआत करती हैं, और फिर अगले दिन शाम को डूबते सूर्य की पूजा करती हैं। इसके बाद, अगली सुबह यानी दूसरे दिन, उगते सूर्य को अर्घ देने से यह व्रत पूरा होता है।
वेदियों के रूप में वनाई जाती हैं छठी मौया
छठ पूजा में महिलाएं मिट्टी के दिए जलाकर पानी में खड़ी होकर सूर्य देवता को अर्घ देती हैं। यहां आप देख सकते हैं कि सभी व्रती महिलाओं के अलग-अलग पंक्ति में पूजन स्थान बने हैं, जिन्हें छठी मैया कहा जाता है। छठ पूजा में ये जो वेदियां बनती हैं, वहीं छठी मैया होती हैं। सभी महिलाएं और श्रद्धालु अपने-अपने स्थान पर पहुंचकर सूर्य देव को अर्घ देने की तैयारी कर रहे हैं। ये महिलाएं सूर्य भगवान को अर्घ देने के साथ ही अपनी शुभकामनाएं और मनोकामनाएं भी मांगेंगी।
माता सीता से जुड़ी है छठ व्रत की कथा
बता दें कि सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की यह परंपरा सदियों पुरानी है। इसमें सूर्य की पूजा कर प्रकृति और जीवन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। त्रेता युग में इस व्रत को माता सीता ने पुत्र प्राप्ति के लिए किया था। छठी मैया (षष्ठी माता) की पूजा के बाद माता सीता को लव और खुश की प्राप्ति हुई थी। तभी से पुत्र पाने के लिए छठ व्रत करने की परंपरा चली आ रही है। श्रद्धालु घाट किनारे आकर सूर्य देवता और छठी मैया से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना कर रहे हैं। छठ पर्व पर आप सभी की भी मनोकामनाएं पूरी हों।
छठ व्रत खोलते समय का नियम
छठ व्रत में व्रत खोलने का तरीका श्रद्धा और परंपरा के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से व्रत समाप्त करने के लिए कुछ विशेष खाद्य पदार्थ खाए जाते हैं। आमतौर पर, छठ व्रत समाप्त होने के बाद व्रती सूर्यदेव की पूजा करने के बाद हल्का और पवित्र भोजन करते हैं। जैसे- चावल और गुड़ की खीर, फल, ठेकुआ, खिचड़ी, गुड़ और अदरक खाकर व्रत खोला जाता है। इसमें यह ध्यान देना जरूरी है कि व्रत खोलते समय श्रद्धा और संयम का पालन किया जाता है। व्रत खोलने का समय सूर्यास्त के बाद या सूर्य उदय के समय होता है, और इसे परंपरानुसार ही किया जाता है।
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