Check bounce New rule 2025 News In Hindi: भारत में चेक बाउंस होना निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत एक दंडनीय अपराध माना जाता है। चाहे चेक की राशि कितनी भी हो, चाहे वह एक हजार रुपये ही हो, 2025 में लागू नए नियमों के अनुसार, चेक बाउंस के मामलों में सजा और प्रक्रिया को और सख्त कर दिया गया है। इसके अलावा बार-बार चेक बाउंस होने पर आपका सिबिल स्कोर खराब हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको लोन लेने में दिक्कत हो सकती है। चेक बाउंस होने पर बैंक आपसे 150 से 800 रुपये तक का जुर्माना भी वसूल सकता है।
नया कानून और प्रावधान
2025 में लागू नए नियमों के अनुसार, यदि चेक बाउंस होता है और देनदार एक महीने के भीतर भुगतान नहीं करता, तो धारा 138 के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है। इसके लिए अधिकतम 2 साल की जेल या चेक की राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं। पहले अधिकतम सजा 1 साल थी, लेकिन नए नियमों के तहत इसे बढ़ाकर 2 साल कर दिया गया है, खासकर यदि चेक जानबूझकर बाउंस किया गया हो।
तुरंत शिकायत की प्रक्रिया
1 अप्रैल 2025 से बैंकों को चेक बाउंस होने पर 24 घंटे के भीतर ग्राहक को SMS और ईमेल के जरिए इसका कारण बताना अनिवार्य है। शिकायत दर्ज करना अब आसान और तेज कर दिया गया है ताकि लाभार्थी जल्दी कानूनी कार्रवाई कर सके। चेक बाउंस के मामले में, अदालत में आरोप तय होने पर अभियुक्त को चेक की राशि का 20% अंतरिम मुआवजा परिवादी को देना होगा। यदि अपील स्वीकार होती है, तो यह राशि वापस मिल सकती है।
यदि चेक बाउंस होने का कारण तकनीकी गड़बड़ी हो
यदि चेक बाउंस बैंक की गलती या तकनीकी कारणों, जैसे- गलत सिग्नेचर, अमान्य चेक या बैंक के विलय से हुआ है, तो धारा 138 के तहत इसे अपराध नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा समझौते का दिशानिर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में चेक बाउंस मामलों की त्वरित सुनवाई और समझौते को प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया है। यदि अभियुक्त चेक की राशि, ब्याज और कानूनी खर्च चुका देता है, तो उसे निर्वहन का आदेश मिल सकता है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने मामलों को 6 महीने के भीतर निपटाने की समयसीमा तय करने का समय दिया है। जिससे कानूनी कार्यवाईयों से बचा जा सके।
क्या एक हजार रुपये के चेक बाउंस पर जेल हो सकती है
हां, एक हजार रुपये का चेक बाउंस होने पर भी जेल हो सकती है, क्योंकि कानून में चेक की राशि की कोई न्यूनतम सीमा नहीं बताई गई है। हालांकि, सामान्यतः छोटी राशि के मामलों में अदालतें जुर्माना लगाने को प्राथमिकता देती हैं और कम गंभीर मामलों में जेल की सजा 6 महीने से 1 साल तक हो सकती है। यदि देनदार तुरंत भुगतान कर देता है या समझौता कर लेता है, तो वह जेल जाने से बच सकता है।
चेक बाउंस के मामलों से बचा कैसे जा सकता है
सबसे जरूरी तो यही है, चेक जारी करने से पहले सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त राशि हो। चेक बाउंस होने पर तुरंत लाभार्थी से संपर्क करना चाहिए और चेक बाउंस का कारण बताएं। उन्हें 15 दिनों के भीतर दुबारा भुगतान करने की कोशिश करें। लेकिन यदि आपको लीगल नोटिस मिलता है, तो 15 दिनों के भीतर उसका जवाब दें और भुगतान करने का प्रयास करें। यदि आपको शिकायत गलत लगती है, तो आप किसी योग्य वकील से सलाह भी ले सकते हैं।
बार-बार चेक बाउंस होने से खराब होता है सिबिल स्कोर
इसके अलावा बार-बार चेक बाउंस होने पर आपका सिबिल स्कोर खराब हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको लोन लेने में दिक्कत हो सकती है। चेक बाउंस होने पर बैंक आपसे 150 से 800 रुपये तक का जुर्माना भी वसूल सकता है।