चारधाम। हर साल चारधाम की यात्रा होती है। इस यात्रा का बड़ा ही धार्मिक महत्वं है। इस वर्ष चारधाम की यात्रा 30 अप्रैल से शुरू होने जा रही है, जबकि बदरीधाम का द्वार 4 मई से खुलेगा और भगवान के दर्शन पूजन श्रृद्धालु कर सकेगें। दरअसल बसंत पंचमी पर्व पर बदरी धाम यात्रा की डेट तय की जाती है। उसी के तहत टिहरी दरवार ने पूजा-अर्चना करने के बाद बदरी धाम के द्वार खोले जाने का निणर्य 4 मई को लिए है, जबकि अक्षय तृतीया से गंगोत्री एवं यमुनोत्री के द्वार खुलते है। जिससे चारधाम की यात्रा शुरू हो जाती है। इस वर्ष 30 अप्रैल से यह यात्रा शुरू होने जा रही है।
चारधाम की यात्रा का क्या है महत्वं
चारधाम यात्रा का उद्देश्य आत्मशुद्धि, पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति है। मान्यता है कि इन चार धामों की यात्रा करने से भक्तों के सारे पाप धुल जाते हैं और उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही वजह है कि हर साल लाखों की संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु यात्रा के लिए पहुंचते हैं।
उत्तराखंड के चारधाम
देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम है। जिसमें से यमुनोत्री, यह यमुना नदी का उद्रगम स्थल है और यहां पर यमुना देवी का मंदिर बना हुआ है।
गंगोत्री- यह गंगा नदी का उद्रगम स्थल है और यहां गंगा माता का मंदिर बना हुआ है।
केदारनाथ- भगवान शिव का मंदिर है और यह 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है। यह पंच केदार का हिस्सा है।
बद्रीधाम- यहां भगवान विष्णु का मंदिर है। जिसे बद्रीविशाल के नाम से जाना जाता है। संत आदि शंकराचार्य ने इसी क्षेत्र में अवतार लेकर मुक्ति प्राप्त किया था।