Celebration of ‘Amla Navami’ in Rewa: रीवा शहर में ‘आंवला नवमी’ का पर्व पूरे धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ने वाले इस विशेष पर्व पर, शहर के पंचमठ धाम सहित विभिन्न स्थानों पर आस्था देखने को मिली। आंवला नवमी के अवसर पर रीवा का पंचमठ धाम आस्था का मुख्य केंद्र बना। बड़ी संख्या में महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए आंवले के वृक्ष की विशेष पूजा-अर्चना करने पहुंची हैं।
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भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के स्वरूप में मानकर की पूजा
महिलाएं आंवले के वृक्ष को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के स्वरूप में मानकर पूजा किया। महिलाएं वृक्ष की परिक्रमा कर दीपदान किया और पीला वस्त्र, फल व मीठे का भोग लगाकर अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि, धन-वैभव तथा लंबे सुहाग की कामना की। रीवा में पंचमठ धाम के अलावा कोठी कंपाउंड और अन्य स्थानों पर भी आंवले के वृक्ष के पास महिलाओं की भीड़ देखने को मिल रही है, जो इस प्राचीन पर्व को उल्लास के साथ मना रही हैं।
आंवला नवमी की मान्यता
माना जाता है कि आंवले का वृक्ष पवित्रता, दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने की भी विशेष परंपरा और बड़ी मान्यता है। धार्मिक मान्यताएं हैं कि इस दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए इसकी पूजा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। साथ ही वेदों में भी आंवले को एक ऐसा वृक्ष बताया गया है जो विभिन्न बीमारियों के लिए रामबाण का काम करता है। आज अक्षय नवमी की पूजा संपन्न होने के बाद से ही आंवले का उपयोग करने की परंपरा भी शुरू हो जाती है।
