एनवायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक रिपोर्ट के अनुसार कार केबिन की हवा में सांस लेना आपके लिए जानलेवा हो सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कार केबिन की हवा में कैंसर पैदा करने वाले केमिकल मौजूद रहते है और ये हमारी सेहत पर विपरित प्रभाव डालते है। इनके कारण प्रजनन से जुड़ी समस्याएं और न्यूरोलॉजिकल बीमारियां हो भी सकती है।
हम में से अधिकांश लोग अपने दैनिक जीवन में कार का उपयोग करते है। भारत में लगभग 7.5 फीसदी परिवार आवागमन के साधन के रूप में कारों पर निर्भर है लेकिन प्रतिदिन कार का इस्तेमाल हमारी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। एनवायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। इस रिसर्च में सामने आया है कि कार केबिन की हवा में सांस लेना आपके लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमें कैंसर पैदा करने वाले हानिकारक केमिकल मौजूद होते है।
इलेक्ट्रिक, गैस और हाइब्रिड कारों पर की गई स्टडी
शोधकर्ताओं ने साल 2015 और 2022 के बीच लगभग 101 इलेक्ट्रिक, गैस और हाइब्रिड कारों के कार केबिन पर स्टडी की और पाया कि कार केबिन की हवा फ्लेम रिटार्डेंट के कारण प्रदूषित हुई है। फ्लेम रिटार्डेट से कैंसर होने की आंशका रहती है।
क्या होते है फ्लेम रिटार्डेंट ?
इस बारे में विस्तार से बात करने से पहले हमें ये समझना होगा कि फ्लेम रिटार्डेट क्या होते हैं और इनका कारों में इस्तेमाल किस तरह किया जाता है? फ्लेम रिटार्डेट एक तरह के केमिकल होते है जो आग को रोकने में मदद करते है और ज्वलनशीलता को कम करने में सहायक होते है। कार निर्माता फायर सेफ्टी स्टेंडर्ड पर खरा उतरने के लिए कारों में फ्लेम रिटार्डेंट का इस्तेमाल कवर,सीट फोम और इलेक्ट्रिक उपकरणों आदि में करते है। मुख्य रूप से फ्लेम रिटार्डेंट का काम, कार में आग लगने को जोखिम को कम करना एवं आग लगने के दौरान यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करना होता है।
गर्मियों में खतरा पांच गुना अधिक
ड्युक यूनिवर्सिटी एवं ग्रीन साइंस पॉलिसी इंस्टिट्यूट के रिसर्चर ने स्टडी में पाया कि गर्मियों के मौसम में फ्लेम रिटार्डेट का स्तर सबसे अधिक होता है क्योंकि गर्मियों में कार से रसायन का स्त्राव ज्यादा होता है। सर्दियों की तुलना में गर्मियों में इसका स्तर दो से पांच गुना तक बढ़ जाता है।
रिसर्चर्स ने पाया कि गर्मियों के मौसम में कारों में ऑर्गनोफॉस्फेट एस्टर उच्च मात्रा में पाएं जाते है। ऑर्गनोफॉस्फेट एस्टर (ओपीई) केमिकल्स का ग्रुप है जिनका उपयोग सामान्य रूप से फ्लेम रिटार्डेट और प्लास्टिसाइजर के रूप में किया जाता है। इसका प्रयोग फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स,बिल्डिंग निर्माण और कपड़ा व्यवसाय आदि में भी किया जाता है।
सेहत पर होता है विपरीत प्रभाव
फ्लेम रिटार्डेट फायर सेफ्टी बढ़ाने में मददगार साबित होते है लेकिन इनका मानव स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ता है। शोध में पता चला है कि ओपीई के लगातार एक्सपोजर के कारण श्वसन संबधी रोग हो सकते है। इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल बीमारियां एवं प्रजनन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। कुछ ओपीई को संभावित कार्सिनोजेन्स और म्यूटाजेन्स के रूप में वर्गीकृत किया गया जिससे स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताएं अधिक बढ़ गई है। शोधकर्ताओं ने ओपीई युक्त पदार्थों के कम प्रयोग की सलाह दी है और इसके लिए सख्त नियमों को लागू करने की भी बात की है।
इन बातों का रखें ख्याल
फ्लेम रिटार्डेंट से होने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
-कार की खिड़कियों को नियमित रूप से खोलें और वेंटिलेशन का ध्यान अवश्य रखें। -कार में स्मोकिंग नहीं करें क्योंकि इससे भी हानिकारक केमिकल निकलते है।
-साफ-सफाई का ध्यान रखें। कार पर धूल नहीं जमने दें।
-एयर फिल्टर को नियमित रूप से बदलत रहें।
-गर्मी के मौसम में कार को छायादार जगह पर पार्क करें। कार को डायरेक्ट सनलाइट से बचाएं।