कन्नपा की कहानी: नास्तिक शिकारी से शिवभक्त संत तक की अमर गाथा

Story Of Kannappa In Hindi: कन्नपा (Kannappa), जिन्हें थिन्नडु या कन्नपा नयनार के नाम से जाना जाता है, तमिल शैव परंपरा के 63 नयनार संतों में से एक हैं। उनकी कहानी भक्ति, बलिदान और आध्यात्मिक परिवर्तन की अनूठी मिसाल है, जो अब विष्णु मांचू की फिल्म Kannappa (27 जून 2025 को रिलीज) के जरिए सिनेमाघरों में जीवंत होने जा रही है। इस फिल्म में अक्षय कुमार भगवान शिव और प्रभास रुद्र की भूमिका में हैं। आइए, कन्नपा के जीवन, उनकी मृत्यु और उनसे जुड़े मंदिरों के बारे में विस्तार से जानें।

कन्नपा का की जीवनी

Biography Of Kannappa: कन्नपा का जन्म दूसरी शताब्दी में वर्तमान आंध्र प्रदेश के एक चेंचू आदिवासी शिकारी परिवार में हुआ था। उनके पिता नागन एक कबीले के नेता थे, और कन्नपा (थिन्नडु) एक कुशल शिकारी और योद्धा थे। बचपन से ही वह जंगल में शिकार करते थे और प्रकृति को अपनी दुनिया मानते थे। वह नास्तिक थे, मूर्ति पूजा को नहीं मानते थे और मंदिरों या धार्मिक रीतियों को बेकार समझते थे। उनका विश्वास था कि शक्ति प्रकृति और जीवों में है, न कि पत्थर की मूर्तियों में।

एक दिन शिकार के दौरान वह श्रीकालहस्ती के जंगल में एक प्राचीन शिव मंदिर में पहुंचे। वहां शिवलिंग को देखकर उनकी जिज्ञासा जागी। मंदिर की शांति और आध्यात्मिक वातावरण ने उनके मन को छू लिया। एक कथा के अनुसार, जब उन्होंने शिवलिंग पर खून बहता देखा, तो उनकी सादगी भरी भक्ति जाग उठी। बिना किसी धार्मिक ज्ञान के, उन्होंने अपने शिकार का मांस, जंगल के फूल और पानी शिवलिंग पर चढ़ाए। वह रोजाना मंदिर आने लगे, शिवलिंग को साफ करते और अपनी तरह से पूजा करते।

एक दिन भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा लेने का फैसला किया। शिवलिंग की एक आंख से खून बहने लगा। कन्नपा ने इसे ठीक करने के लिए अपनी एक आंख तीर से निकालकर शिवलिंग पर चढ़ा दी। जब दूसरी आंख से भी खून बहने लगा, तो वह दूसरी आंख निकालने को तैयार हो गए। अंधे होने के बाद भी सही जगह पर आंख रखने के लिए उन्होंने अपने पैर से शिवलिंग को चिह्नित किया। उनकी इस निश्छल भक्ति और बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए, उनकी आंखें बहाल कीं और उन्हें अपने साथ एकाकार होने का आशीर्वाद दिया। इस तरह, कन्नपा एक नास्तिक से शिव के परम भक्त बने और नयनार संतों में शामिल हुए। उनकी कहानी पेरिया पुराणम में वर्णित है, जो तमिल शैव भक्ति साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कन्नपा की मृत्यु कैसे हुई

How Kannappa died: पौराणिक कथाओं में कन्नपा की मृत्यु को पारंपरिक मृत्यु के रूप में नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मुक्ति के रूप में देखा जाता है। भगवान शिव के दर्शन और आशीर्वाद के बाद, कन्नपा का भौतिक शरीर त्यागकर उनकी आत्मा शिव में विलीन हो गई। कुछ कथाओं में कहा जाता है कि श्रीकालहस्ती के जंगल में उनका देहांत हुआ, लेकिन उनकी मृत्यु को मोक्ष के रूप में माना जाता है। ऐतिहासिक दस्तावेजों में उनकी मृत्यु की तारीख या परिस्थितियों का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। उनकी भक्ति की वजह से वह अमर हो गए, और आज भी श्रीकालहस्ती में उनकी पूजा होती है। कुछ स्थानीय कथाओं में यह भी बताया जाता है कि कन्नपा ने अपने अंतिम दिन मंदिर के पास पहाड़ी पर तप में बिताए, जहां वह शिव की भक्ति में लीन रहे।

कन्नपा से जुड़े मंदिर

Temples Of Kannappa: कन्नपा की भक्ति का सबसे प्रमुख केंद्र श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर है, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्वर्णमुखी नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर पंचभूत लिंगों में से एक है, जो वायु तत्व का प्रतीक है। मंदिर का शिवलिंग अनूठा है, क्योंकि इस पर मकड़ी, सर्प और हाथी के दांत के निशान दिखाई देते हैं, जो इसकी पौराणिक कथाओं से जुड़े हैं। माना जाता है कि कन्नपा ने इसी मंदिर में शिवलिंग की पूजा की थी। मंदिर परिसर में एक छोटा सा कन्नपा मंदिर भी है, जहां उनकी मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, और यहां कन्नपा को एक संत के रूप में पूजा जाता है।

श्रीकालहस्ती मंदिर के पास एक पहाड़ी है, जिसे कन्नपा पहाड़ी कहा जाता है। कथाओं के अनुसार, यहीं पर कन्नपा ने तप किया और शिवलिंग की पूजा की थी। मंदिर की वास्तुकला पल्लव और चोल काल की है, और इसे 5वीं-6वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसके अलावा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ अन्य शिव मंदिरों में भी कन्नपा को नयनार संत के रूप में सम्मान दिया जाता है, हालांकि श्रीकालहस्ती उनका प्रमुख केंद्र है। मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि और कन्नपा की जयंती पर विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जहां उनकी भक्ति की कहानी को नाटकों और गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

फिल्म Kannappa में उनकी गाथा

27 जून 2025 को रिलीज होने वाली फिल्म Kannappa कन्नपा की इस प्रेरक कहानी को विश्व स्तर पर ले जाएगी। विष्णु मांचू कन्नपा के किरदार में हैं, जो एक नास्तिक शिकारी से शिवभक्त बनने की यात्रा को जीवंत करेंगे। अक्षय कुमार भगवान शिव के रूप में एक दिव्य अवतार में दिखेंगे, जबकि प्रभास रुद्र की भूमिका में हैं, जिसे नंदी या रुद्र पशुपति नयनार से प्रेरित माना जा रहा है। मोहनलाल किरात और काजल अग्रवाल देवी पार्वती की भूमिका में हैं। न्यूजीलैंड के जंगलों और पहाड़ों में फिल्माए गए दृश्य, स्टीफन देवासी और मणि शर्मा का संगीत, और हॉलीवुड-स्तर के VFX इस फिल्म को एक भव्य महाकाव्य बनाते हैं।

फिल्म में कन्नपा के जीवन के प्रमुख क्षण, जैसे उनके शिकारी जीवन, शिवलिंग की खोज, और उनकी आंखों का बलिदान, को नाटकीय और भावनात्मक रूप से दर्शाया गया है। विष्णु मांचू ने कहा, “कन्नपा की कहानी मेरे लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है।” अक्षय कुमार ने भी अपने किरदार को “जीवन का सबसे सम्मानजनक अनुभव” बताया। यह फिल्म न केवल मनोरंजन, बल्कि भक्ति और बलिदान का संदेश भी देगी।


कन्नपा की कहानी सिखाती है कि सच्ची भक्ति में औपचारिकताओं से ज्यादा हृदय की शुद्धता मायने रखती है। एक नास्तिक शिकारी से शिव के परम भक्त बनने की उनकी यात्रा, श्रीकालहस्ती मंदिर में उनकी अमर स्मृति, और उनकी कहानी को जीवंत करती फिल्म Kannappa हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो विश्वास और समर्पण की शक्ति में यकीन रखता है। यह गाथा न केवल धार्मिक, बल्कि मानवता और निःस्वार्थ प्रेम का भी प्रतीक है। हर हर महादेव!

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