इस सर्वे ने नीतीश को कर दिया बीजेपी के खेमे में!

बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) एक बार फिर से पाला बदलने वाले हैं और अपने पुराने साथी BJP के साथ सरकार बनाने वाले हैं. सीएम नीतीश (CM Nitish Kumar) आज से कुछ दिन पहले तक I.N.D.I.A गठबंधन को मजबूत करने में लगे थे. इतना ही नहीं उन्होंने ही इस गठबंधन को बनाने के लिए पहल भी किया था. अब ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है कि विपक्षी एकता को मजबूत करने वाले नीतीश अचानक से पाला बदलने का मन क्यों बना लिए?

इसका जवाब BJP के आंतरिक सर्वे में छिपा (BJP Survey) है जो मुख्यमंत्री नीतीश (CM Nitish Kumar) कुमार को पाला बदलने में मजबूर कर दिया है. BJP के एक बड़े नेता नाम न छापने की शर्त पर मीडिया को कहा कि कुछ दिनों पहले पार्टी ने लोकसभा चुनाव को लेकर इंटरनल सर्वे (BJP Survey) करवाया था. जिसके आंकड़ों ने BJP नेताओं के माथे पर शिकन ला दी है.

BJP सूत्र के मुताबिक इस सर्वे (BJP Survey) में जो सामने निकलकर आया है वो ये है कि बिहार में अति पिछड़ा वर्ग के जो वोटर हैं उसमे ज्यादातर वोटर लोकसभा के दौरान भी नीतीश (CM Nitish Kumar) के साथ ही जुड़े हुए होंगे और इसी वजह से BJP को बिहार में लगभग 10 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है.

बिहार में 36% है अति पिछड़ा वर्ग

BJP ये हमेशा से मानती रही है कि PM Modi के करिश्मे और केंद्र सरकार की निति योजनाओं की वजह से अति पिछड़ा वर्ग की ज्यादातर वोटर भाजपा के पक्ष में हैं लेकिन जब यह सर्वे भाजप आलाकमान के सामने आया तो उनकी आँखें खुली की खुली रह गई. हाल ही में हुए जातीय जनगणना के मुताबिक बिहार में अभी 36% आबादी अति पिछड़े वर्ग की है.

BJP के सीनियर लीडर ने दावा किया है कि फिलहाल BJP शीर्ष नेतृत्व का पूरा फोकस आने वाले लोकसभा चुनाव पर है और उनका लक्ष्य PM Modi के ट्रैक रिकॉर्ड को कायम रखना है और अगर BJP को इस ट्रैक रिकॉर्ड को कायम रखना है तो 2024 में 2019 से ज्यादा सीट लाना होगा। ये तभी संभव हो सकेगा जब NDA बिहार में अपने पिछले प्रदर्शन को दोहरा पाएगी। इस प्रदर्शन को दोहराने के लिए NDA को बिहार में 40 में से 39 से ज्यादा या फिर इसे बरकरार रखना होगा।

BJP को यह पता है कि यह प्रदर्शन तभी दोहरा पायेगा जब नीतिश (CM Nitish Kumar) उनके साथ होंगे। अति पिछड़ा वर्ग पर नीतीश की बड़ी पकड़ BJP नेतृत्व को नीतीश (CM Nitish Kumar) को अपने पाले में लाने के लिए मजबूर कर दिया है. भाजपा चाहती थी कि नीतीश उनके पाले में आये लेकिन वो मौके के तालाश में थी. इधर I.N.D.I.A गठबंधन में नीतीश को पीएम पद का उम्मीदवार न बनाना और फिर संयोजक के लिए कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के नाम को प्रस्तावित करना नीतीश को खल गया और फिर नीतीश दाए बाएं देखने लगे. फिर बिहार में भी उन्हें उनकी पार्टी को लेकर कुछ नकारात्मक खबर मिली जिसके बाद उन्होंने अपना अध्यक्ष बदला और पार्टी की कमान को अपने हांथों में लिया। इसी बीच नीतीश और भाजपा नेतृत्व की बात हुई और नीतीश खेमा बदलने को तैयार हो होगये।

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