कर्नाटक में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (Royal Challengers Bengaluru) की आईपीएल जीत (IPL Victory) के जश्न के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम (Chinnaswamy Stadium) के बाहर हुई भगदड़ (Bengaluru Stampede) में 11 लोगों की मौत के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) ने इस हादसे के लिए बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद (Bengaluru Police Commissioner B Dayananda) सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित (Suspension of Officers In Karnataka) कर दिया। लेकिन अब एक हेड कांस्टेबल (Head Constable Protest Karnataka) ने वर्दी में सड़क पर उतरकर इस फैसले के खिलाफ अनोखा विरोध (Head Constable Protest in Uniform Against Karnataka Government) दर्ज किया है।
हेड कांस्टेबल का साहसिक विरोध
बेंगलुरु के एक हेड कांस्टेबल ने गुरुवार, 5 जून 2025 को पुलिस मुख्यालय के बाहर वर्दी में धरना शुरू किया। उन्होंने तख्ती पर लिखा, “बेकसूर अधिकारियों को सजा क्यों?।” कांस्टेबल का कहना है कि भगदड़ के लिए पुलिस अकेले जिम्मेदार नहीं है। कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) और आयोजकों की भीड़ प्रबंधन में नाकामी थी, लेकिन सारा दोष पुलिस पर मढ़ा जा रहा है। इस विरोध ने पुलिस बल में आक्रोश (Police Outrage In Karnataka) को उजागर किया है।
सीएम सिद्धारमैया का फैसला
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भगदड़ के बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद, स्टेडियम प्रभारी, सेंट्रल डीसीपी, एसीपी, स्टेशन हाउस ऑफिसर, और कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया (Mass Suspension In Karnataka)। सीएम ने इसे “कड़ा कदम” बताया, लेकिन पूर्व पुलिस कमिश्नर भास्कर राव (Bhaskar Rao) ने इसे “पुलिस का मनोबल तोड़ने वाला” कदम करार दिया। राव ने कहा कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए पुलिस को दोषी ठहरा रही है.
बेंगलुरु भगदड़ की असल वजह
5 जून 2025 को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर आरसीबी की पहली आईपीएल ट्रॉफी (RCB’s Maiden Trophy) के जश्न के दौरान भगदड़ में 11 लोग मारे गए और 47 घायल हुए (Casualties in Bengaluru Stampede)। जांच में सामने आया कि कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा इंतजामों (Security Arrangements) में चूक की। हेड कांस्टेबल ने दावा किया कि पुलिस को पहले से आयोजकों की लापरवाही की जानकारी थी, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। अब एक जांच आयोग इस हादसे की जांच करेगा, लेकिन पुलिसकर्मियों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा है.
पुलिस बल में नाराजगी
हेड कांस्टेबल का विरोध पुलिस बल में बढ़ते असंतोष का प्रतीक है। कई पुलिसकर्मियों का मानना है कि सरकार ने बिना पूरी जांच के जल्दबाजी में निलंबन किए। उद्योगपति मोहनदास पाई (Mohandas Pai) ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की और कहा कि यह “कंगारू एफआईआर” और पुलिस को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने पूछा, “क्या सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है?
बेंगलुरु भगदड़ (Bengaluru Stampede) ने कर्नाटक सरकार और पुलिस के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। हेड कांस्टेबल का साहसिक विरोध और बेकसूर अधिकारियों को दोषी ठहराने का आरोप सरकार पर सवाल उठा रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) की कार्रवाई को पुलिस मनोबल तोड़ने वाला बताया जा रहा है, जबकि जनता और पुलिसकर्मी इस हादसे की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। क्या सरकार अपनी गलतियों को स्वीकारेगी, या यह विवाद और गहराएगा?