Batla House encounter case: जब आतंकियों की मौत पर रो पड़ी थीं Sonia Gandhi

Batla House encounter case Hindi: 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर (Batla House encounter case) ने देश में व्यापक चर्चा और विवाद को जन्म दिया था। हाल ही में, 29 जुलाई 2025 को संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah Batla House encounter case) ने इस घटना का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi cry Batla House encounter) पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि सोनिया गांधी ने (Sonia Gandhi shed tears for the terrorists killed in the Batla House encounter) बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के लिए आंसू बहाए थे, न कि शहीद दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा (Martyr Delhi Police Inspector Mohan Chandra Sharma) के लिए।

इस बयान ने सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर (अब X) पर बाटला हाउस को फिर से ट्रेंड में ला दिया। आइए, इस घटना और इससे जुड़े विवादों का विस्तृत विवरण जानते हैं।

बाटला हाउस एनकाउंटर की कहानी

Story of Batla House Encounter In Hindi: यह एनकाउंटर 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए थे और 133 घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इन धमाकों के लिए जिम्मेदार इंडियन मुजाहिदीन (IM) के आतंकी बाटला हाउस की एक इमारत (L-18) में छिपे हैं।
दिल्ली पुलिस की एक टीम, जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा कर रहे थे, उन्होंने बाटला हाउस में छापेमारी की। सुबह करीब 11 बजे शुरू हुए इस ऑपरेशन में गोलीबारी हुई. जिसमे दो संदिग्ध इंडियन मुजाहिदीन आतंकी, आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद, मारे गए, इनके अलावा दो अन्य संदिग्ध, मोहम्मद सैफ और जीशान, को गिरफ्तार किया गया, जबकि एक अन्य संदिग्ध आरिज खान (उर्फ जुनैद) मौके से फरार हो गया। दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को गोली लगी और बाद में अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। एक अन्य आतंकी, शहजाद अहमद (उर्फ पप्पू), बाद में पकड़ा गया।

इस एनकाउंटर को ऑपरेशन बाटला हाउस (Operation Batla House) के नाम से जाना गया। पुलिस का दावा था कि मारे गए और गिरफ्तार किए गए लोग इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य थे, जो दिल्ली और अन्य शहरों में हुए बम धमाकों में शामिल थे।एनकाउंटर के बाद विवादबाटला हाउस एनकाउंटर शुरू से ही विवादों में रहा। कई राजनीतिक दलों, खासकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए। कुछ नेताओं और संगठनों ने इसे “फर्जी एनकाउंटर” करार दिया और निष्पक्ष जांच की मांग की।

  • कांग्रेस की प्रतिक्रिया: तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व, विशेष रूप से सलमान खुर्शीद और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने एनकाउंटर की जांच की मांग की थी। 2012 में, सलमान खुर्शीद ने आजमगढ़ में एक रैली के दौरान कहा था कि सोनिया गांधी ने एनकाउंटर की तस्वीरें देखकर भावुक होकर आंसू बहाए थे।
  • विपक्ष का आरोप: भाजपा ने इस बयान को आधार बनाकर कांग्रेस पर आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखने और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाने का आरोप लगाया।
  • न्यायिक प्रक्रिया: बाद में, 2021 में दिल्ली की एक अदालत ने आरिज खान को इंस्पेक्टर शर्मा की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई, जिससे एनकाउंटर की प्रामाणिकता को बल मिला। कोर्ट ने इसे “रेयर ऑफ रेयरेस्ट” मामला करार दिया।

2025 के संसद मानसून सत्र के दौरान, ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के बीच अमित शाह ने बाटला हाउस का जिक्र किया। उन्होंने कहा:


“मैं नाश्ता कर रहा था और टीवी पर सलमान खुर्शीद को रोते हुए देखा। वह सोनिया गांधी के घर से निकल रहे थे और उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें देखकर रो पड़ी थीं। अगर उन्हें रोना था, तो शहीद मोहन चंद्र शर्मा के लिए रोना चाहिए था, न कि बाटला हाउस के आतंकियों के लिए।”शाह ने कांग्रेस पर आतंकवाद के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार ने आतंकियों को कड़ा जवाब दिया है, जैसा कि हाल के ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकियों को मार गिराने से साबित होता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में आतंकी हमले केवल कश्मीर तक सीमित रहे हैं।

बाटला हॉउस एनकाउंटर पर क्यों रोईं थी सोनिया गांधी

Why did Sonia Gandhi cry over the Batla House encounter: शाह ने सलमान खुर्शीद के 2012 के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने मारे गए आतंकियों के लिए आंसू बहाए। यह बयान भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा था, जिसमें वह कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कमजोर दिखाने की कोशिश करती रही है।

अमित शाह के हालिया बयान ने इस घटना को फिर से सुर्खियों में ला दिया, जिससे कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस छिड़ गई। जहां शाह ने सोनिया गांधी पर आतंकियों के प्रति सहानुभूति दिखाने का आरोप लगाया, वहीं प्रियंका गांधी ने इसे व्यक्तिगत हमला बताकर सरकार की खामियों पर सवाल उठाए। यह घटना और इससे जुड़ा विवाद भारत में आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

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