शरजील इमाम को जमानत! जेल से रिहा होगा?

Sharjeel Imam Bail: राजद्रोह और साम्प्रदिक दंगों को भड़काने के आरोप में जेल की सज़ा काट रहे शरजील इमाम को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है. शरजील को दिल्ली पुलिस ने 28 जनवरी 2020 को उस वक़्त गिरफ्तार किया था जब दिल्ली सहित पूरे देश में CAA को लेकर दंगे और प्रदर्शन चल रहे थे. 17 फरवरी को ट्रायल कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने आरोपी को वैधानिक जमानत देने से इंकार कर दिया था इसके बाद शरजील ने हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा कि- वह पिछले 4 साल से हिरासत में हैं और अपनी 7 साल की सज़ा में से आधी सज़ा काट चुका है. ऐसे में उसे वैधानिक जमानत मिलनी चाहिए। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने उसे जमानत दे दी.

क्या शरजील इमाम जेल से रिहा होगा?

अब सवाल उठता है कि क्या लोकसभा चुनाव के बीच शरजील इमाम जेल से रिहा हो जाएगा? इसका जवाब है नहीं। भले ही शरजील को वैधानिक जमानत मिल गई है लेकिन वह UAPA से जुड़े मामलों का आरोपी है, इसके अलावा उसपर दिल्ली दंगों मेंसाजिश रचने के भी आरोप हैं ऐसे में वह न्यायिक हिरासत में ही रहेगा।

दरअसल शरजील तभी सुर्ख़ियों में आया जब CAA को लेकर प्रोटेस्ट चल रहे थे. इस कानून के खिलाफ आरोपी दिल्ली की जामिया मिलिया और JNU जैसी यूनिवर्सिटीज में भाषण देने के लिए जाता था. 13 दिसंबर 2019 को जब उसने जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर को अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जो भाषण दिया वही पूरे बवाल का कारण बना. उसके कहा था- हम भारत को असम से अलग कर देंगे। शरजील ने कहा था कि अगर हम असम की मदद करना चाहते हैं तो हमें भारतीय सेना और सप्लाई के लिए असम का रास्ता रोकना पड़ेगा, चिकेन नेक मुसलमानों का है. बता दें कि चिकेन नेक उस 22 किलोमीटर के क्षेत्र को कहते है जो भारत को नार्थ ईस्ट से जोड़ता है. इस भाषण के बाद शरजील के खिलाफ दिल्ली, यूपी, असम, मणिपुर, अरुणाचल सहित कई राज्यों में केस दर्ज हुए थे. दिल्ली पुलिस ने भी दावा किया कि दिल्ली के शहीनबाग में हुए विरोध प्रदर्शन में शरजील आयोजकों में से एक था. पहले आरोपी पर राजद्रोह का ममला दर्ज किया गया और बाद में UAPA की धारा 13 को भी जोड़ा गया. हालाँकि जामिया मिलिया वाले मामले में पिछले साल फरवरी में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने उसे आरोप मुक्त कर दिया था.

कुछ लोग कहते हैं कि शरजील को फंसाया गया है, वो तो एक होनहार छात्र था जो अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहा था. लेकिन उस भाषण का क्या? जिसमे वो चिकेन नेक पर मुसलमानों का अधिकार बताता है और भारत से असम को अलग करने की बात करता है, सेना को रोकने की बात करता है? बहरहाल उस भाषण और इस जमानत को लेकर आपकी क्या राय है हमें कमेंट कर जरूर बताए।

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