Site icon SHABD SANCHI

सावन में बुंदेलखंड व बघेलखंड के मानसून लोकगीत : सांस्कृतिक परंपरा-ऐतिहासिक स्मृति का जीवंत दस्तावेज – Monsoon Folk Songs in Bundelkhand & Baghelkhand A Living Heritage of Rain, Culture & Memory

Monsoon Folk Songs in Bundelkhand & Baghelkhand A Living Heritage of Rain, Culture & Memory – सावन का महीना न केवल वर्षा का प्रतीक है, बल्कि भारत के विविध सांस्कृतिक क्षेत्रों में लोक चेतना का जीवंत स्वरूप भी है। विशेषकर बुंदेलखंड और बघेलखंड जैसे अर्ध-शुष्क और कृषि-प्रधान अंचलों में, मानसून केवल एक मौसम नहीं होता यह जीवन की पुनर्प्राप्ति, धरती की हरियाली, और लोक-आस्था का पर्व बन जाता है। इन क्षेत्रों में सावन के आगमन के साथ लोकगीतों की जो परंपरा शुरू होती है, वह सदियों पुरानी स्मृतियों, संघर्षों और उत्सवों का सम्मिलित रूप है।

क्यों गाए जाते हैं सावन में लोकगीत ?
Why Are Folk Songs Sung During Monsoon ?

कृषि की आशा का उत्सव
बुंदेलखंड और बघेलखंड में बारिश कृषि का मूल आधार है। लंबे समय से सूखा झेलने वाले इन अंचलों में बारिश का आना एक बड़े पर्व की तरह मनाया जाता है। लोकगीतों के माध्यम से किसान और ग्रामीण समाज अपनी आशा, डर और विश्वास को व्यक्त करते हैं।

नारी चेतना और भावनात्मक अभिव्यक्ति
सावन के लोकगीतों में स्त्रियों की भावनाएं, पीर, मिलन, विरह, प्रेम और सामाजिक संबंधों की झलक मिलती है। ‘कजरी’, ‘झूला’, ‘बिरहा’, ‘फाग’ आदि गीतों में ग्रामीण स्त्रियों की संवेदना पूरी तन्मयता से मुखर होती है।

पर्यावरण और धरती से जुड़ाव

लोकगीतों में बादल, मेघ, बिजली, नदी, कुआं, तालाब जैसी प्राकृतिक चीजों का जिक्र गहरे पर्यावरणीय जुड़ाव को दर्शाता है। ये गीत पर्यावरण संरक्षण और जीवन के चक्र को भी समझाते हैं।

इतिहास और पुरातन स्मृति का संबंध
Connection to History & Collective Memory

चंद्रवंशीय व कलचुरी काल का प्रभाव – बघेलखंड में चंद्रवंशीय वंश और बुंदेलखंड में चंदेल-काल के दौरान संस्कृति, कला और संगीत को भरपूर संरक्षण मिला। उसी काल में लोकसंस्कृति और गीतों का विकास हुआ। सावन गीतों में उन युगों की छायाएं अब भी दिखती हैं।

आक्रमणों और संघर्षों की छाया – बुंदेलखंड की वीरांगनाएं जैसे रानी दुर्गावती, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की स्मृति से जुड़े गीतों में साहस और पीड़ा दोनों शामिल होते हैं, जो बारिश के मौसम में और गहराई से गाए जाते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं और सूखे की स्मृति – पुराने लोकगीतों में सूखा पड़ने, अकाल की स्थिति, और बादल न बरसने पर ईश्वर, इन्द्र देव या प्रकृति से संवाद और प्रार्थना देखने को मिलती है।

लोकगीतों के प्रमुख प्रकार
Types of Monsoon Folk Songs

आज के संदर्भ में प्रासंगिकता
Relevance in Modern Times

आज जब डिजिटल युग में लोकसंस्कृति पीछे छूट रही है, इन सावन गीतों को संजोना और प्रस्तुत करना ,सांस्कृतिक संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। बुंदेलखंड और बघेलखंड के उत्सवों, मेलों, और नाट्य मंचों में इन गीतों का जीवंत प्रदर्शन होता है, जिससे नई पीढ़ी तक परंपरा पहुंचती है।

विशेष – Conclusion
बुंदेलखंड और बघेलखंड के सावन लोकगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समय, भूगोल, संघर्ष और आस्था का अद्भुत संगम हैं। वे अतीत की स्मृति, वर्तमान की धड़कन और भविष्य की चेतना को जोड़ने वाली अमूल्य सांस्कृतिक थाती हैं।

Exit mobile version