Delhi Assembly Elections: दिल्ली चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री! चुनावी मैदान में उतारे दो दागी उम्मीदवार

Delhi Assembly Elections : दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार का आखिरी हफ्ता चल रहा है। सोमवार शाम को दिल्ली चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। ऐसे में सियासी माहौल बनाने के लिए हर दांव खेला जा रहा है। मुसलमानों के सहारे दिल्ली की सियासत में जगह बनाने को बेताब असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली दंगों के दो आरोपियों को चुनाव में उतारा है। दिल्ली की मुस्लिम भावनाओं को भुनाने और उनका भरोसा जीतने के लिए ओवैसी ने इस्लामिक इतिहास के नायक और खलनायक की एंट्री कराई है।

दिल्ली चुनाव में आप और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला।

दिल्ली चुनाव की लड़ाई सीधे तौर पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच नजर आ रही है, लेकिन कांग्रेस इसे त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली के मुस्लिम इलाकों की दो सीटों पर उम्मीदवार उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। ओवैसी ने मुस्तफाबाद सीट से ताहिर हुसैन और ओखला सीट से शिफा-उर-रहमान को मैदान में उतारा है। ये दोनों ही दिल्ली दंगों के आरोपी हैं। इन्हें चुनाव प्रचार के लिए कोर्ट से कस्टडी पैरोल मिली है।

हम अपनी किस्मत खुद तय करेंगे: ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्तफाबाद के लोगों से कहा कि अगर यजीदी ताकतों को हराना है तो हक का पैगाम लेकर सच्चाई का साथ देना होगा। अगर आप ठेकेदारों और कुर्सी पर बैठे लोगों को यह बताना चाहते हैं कि हम ताहिर हुसैन को देशद्रोही नहीं मानते तो यही वक्त है उसका साथ देने का। हम साबित कर देंगे कि ताहिर हुसैन न तो सांप्रदायिक है और न ही वह किसी गलत काम में शामिल है। हम अपनी किस्मत खुद तय करेंगे और हम आपके गुलाम नहीं हैं।

ओवैसी ने फिरौन और मूसा का जिक्र किया

मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर प्रचार करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने फिरौन और मूसा का जिक्र किया, लेकिन दिल्ली के किसी नेता का नाम नहीं लिया। हालांकि उनका इशारा कहीं न कहीं बीजेपी और आम आदमी पार्टी की तरफ था। जब उन्होंने दिल्ली चुनाव में विपक्ष की तुलना फिरौन के शासन से की तो वह मुसलमानों और ताहिर हुसैन को मूसा बताने की कोशिश करते नजर आए।

मूसा को हीरो के तौर पर पेश किया गया। Delhi Assembly Elections

इस्लामी इतिहास में कर्बला की लड़ाई का अपना महत्व है, जब आखिरी पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने यजीदी हुकूमत के आगे झुकने के बजाय लड़ने का फैसला किया था। इमाम हुसैन ने 72 लोगों के साथ यजीद से जंग की और अपनी और अपने परिवार की जान कुर्बान कर दी, लेकिन न तो यजीदी हुकूमत के आगे झुके और न ही कोई समझौता किया। यजीदी गलत राह पर थे, जबकि इमाम हुसैन सच्चाई की राह पर थे।

ओवैसी ने दिखाना शुरू किया तेवर। Delhi Assembly Elections

ओवैसी दिल्ली विधानसभा चुनाव में सियासी दांव आजमाने में जुटे हैं। जैसे ही शिफा-उर-रहमान और फिर ताहिर हुसैन ने प्रचार शुरू किया, ओवैसी ने भी अपने सियासी तेवर दिखाने शुरू कर दिए। उन्होंने साफ तौर पर खुद को मुसलमानों का हमदर्द बताने की कोशिश की और कांग्रेस और आप को मुस्लिम विरोधी होने के कटघरे में खड़ा किया।

दिल्ली में करीब 13 फीसदी मुस्लिम मतदाता

दिल्ली में करीब 13 फीसदी आबादी मुस्लिम है, जो 9 विधानसभा सीटों पर निर्णायक मानी जाती है। 2020 में मुसलमानों का झुकाव आम आदमी पार्टी की तरफ था, लेकिन इस बार कांग्रेस और AIMIM भी इसे अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है। ओवैसी ने मुस्लिम भावनाओं को भुनाने के लिए पहले ही दंगा आरोपियों को टिकट दिए हैं और अब उनके लिए वोट मांग रहे हैं, जिसके लिए वह कर्बला की लड़ाई से लेकर हजरत मूसा और फिरौन का जिक्र कर रहे हैं।

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