ED के समन पर केजरीवाल ने कहा कि, मेरे चुनाव प्रचार को बाधित करने के लिए भाजपा के इशारे पर मुझे ईडी द्वारा बुलाया जा रहा है. AAP के कई नेताओं सहित शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी आरोप लगाया था.
दिल्ली शराब घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. मनीष सिसोदिया, संजय सिंह के बाद अब मुख्यमंत्री केजरीवाल भी जाँच के दायरे में आ चुके हैं. हाल ही में ED ने केजरीवाल को पेश होने के लिए समन भेजा था,लेकिन वो प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश नहीं हुए. उन्होंने पेशी से पहले ईडी को जबाब भेजा था, जिसमे उन्होंने लिखा कि भाजपा के कहने पर मेरे खिलाफ नोटिस भेजा गया है.
क्या कर सकती है ED?
अब इसमें सवाल उठता है कि आखिर कितनी बार केजरीवाल ईडी के समन पर पेश होने से बच सकते हैं. ईडी के पास आगे क्या रास्ते हैं? जानकारों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति ईडी के समक्ष पेश होने से मना करता है तो ऐसे में ED द्वारा उससे पेश न होने की जरुरी वजह पूछी जा सकती है. साथ ही ED (प्रवर्तन निदेशालय) इसके लिए समय भी दे सकती है. दी गई समय सीमा पूरी होने के बाद ईडी दोबारा समन भेज सकती है.
यदि सबंधित व्यक्ति ईडी के समन पर 3 बार पूछताछ के लिए पहुँचता है तो ईडी द्वारा उसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जा सकती है. यही नहीं ईडी चाहे तो गैर-जमानती वारंट जारी करने के लिए कोर्ट में अर्जी लगा सकती है. इसके बाद कोर्ट मामले की गंभीरता को समझते हुए गैर-जमानती वारंट जारी कर सकता है और ईडी सम्बंधित व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर सकती है.
ईडी के समन पर दिल्ली के सीएम ने कहा था कि ये इसीलिए भी किया जा रहा है ताकि मै चुनाव प्रचार न कर सकूँ। नोटिस गैरकानूनी और राजनीति से प्रेरित है. ईडी को चाहिए कि वह इस नोटिस को तुरंत वापस ले.