बरसात में जोड़ों का दर्द कर रहा है परेशान? अपनाएं ये इफेक्टिव देसी उपाय

मानसून का मौसम जहां सुकून और ठंडक लाता है, वहीं बढ़ती नमी और ठंडी हवाएं जोड़ों के दर्द को बढ़ा सकती हैं, खासकर बुज़ुर्गों और पुराने रोगियों की बात करें तो इनका उठना बैठना खाना सोना सब हराम हो जाता है साथ ही फैमिली मेंबर्स का भी सुकून छिन जाता है। लेकिन इन परिस्थितियों से परेशान होने की नहीं बल्कि वो कारगर उपाय अपनाकर इससे निजात पाने की जरूरत है और यही वजह है कि लेख आपके सामने है जिसमें ऐसे में कुछ देसी और असरदार नुस्खे अपनाकर इन मौसमी परेशानियों से राहत पा सकते हैं। आइए जानते हैं कि क्या हैं वो घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय।

सरसों के तेल से सिंकाई और मालिश

बरसात में ठंडक से जोड़ों की अकड़न बढ़ जाती है। रोजाना सरसों के तेल को हल्का गर्म करके मालिश करना लाभकारी होगा। चाहें तो उसमें लहसुन या अजवाइन और हींग मिलाकर दर्द वाली जगह पर सेंक करें जरूर आराम होगा।

मेथी का सेवन करें

मेथी दाना एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। इसे रातभर भिगोकर सुबह खाली पेट चबाएं या गर्म दूध के साथ पाउडर मिलाकर पीने से जोड़ों के दर्द और मौसमी बीमारियों से भी सुरक्षा होती है।

हल्दी वाला दूध

हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो दर्द और सूजन को कम करता है। रोज रात को हल्दी वाला दूध पीने से जोड़ों और , मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा मिलता है।

अदरक-तुलसी की चाय

अदरक और तुलसी दोनों प्राकृतिक दर्द निवारक हैं। इनसे बनी चाय पीने से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है और शरीर गर्म बना रहता है।

नमक वाले गर्म पानी स्नान

गुनगुने पानी में सेंधा नमक मिलाकर शरीर को धोना या स्नान करना मांसपेशियों और जोड़ों को आराम देता है।

योग और हल्का व्यायाम

बरसात में भी शरीर को गतिशील बनाए रखें। वज्रासन, भुजंगासन और त्रिकोणासन जैसे योगासन जोड़ों को लचीला और मज़बूत बनाए रखते हैं।

भोजन में विशेष ध्यान दें

अपने खान-पान में गर्म तासीर वाले तत्व जैसे अदरक, लहसुन, काली मिर्च, हल्दी, मैंथी, अजवायन, हींग,गोंद, सूखे मेवे आदि शामिल करें। ठंडी और अधिक तली चीज़ों से परहेज़ करें।

विशेष :- बरसात के मौसम में जोड़ों का दर्द बढ़ना आम बात है, लेकिन देसी उपायों और अनुशासित जीवनशैली से इस परेशानी से आसानी से निपटा जा सकता है। नियमित देखभाल और घरेलू नुस्खों से आप बिना दवा के भी काफी हद तक राहत पा सकते हैं।

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