आइये ज़रा सोचें ,कहीं हम बबूल का पेड़ तो नहीं बन रहे हैं !

Illustration symbolizing Rahim’s thought on babul tree and human behavior in society

Aatm Manthan :आपके हिसाब से सबसे बुरा इंसान कौन होता है? जो न अपने लिए कुछ कर पाए ,न दूसरों के लिए यानी उसका जीवन व्यर्थ हो या और कोई ! कहीं वो, वो इंसान तो नहीं जो न अपना अच्छा करते हैं न दूसरों का यानी कुछ अच्छा करते ही नहीं हैं, जिनके लिए रहीम दास जी ने कहा भी है -“आप न काहू काम के, डार पात फल फूल।औरन को रोकत फिरै, रहिमन पेड़ बबूल।।”

किसी की राह में काँटे बिछाते हैं :-

जी हाँ ये वही लोग हैं जो दूसरों का कोई भला तो करते नहीं हैं, उलटे उनके मार्ग में बाधाएँ ही खड़ी करते हैं। रहीमदास जी ने ये बात बबूल के पेड़ के माध्यम से हमें समझाने की कोशिश की है जिसकी डालें, पत्ते, फल-फूल उसके किसी काम के तो होते नहीं हैं, उल्टा उसके काँटे दूसरों के रास्ते को बाधित ही करते हैं कभी-कभी तो पाँव में चुभ भी जाते हैं।

करें तो क्या करें :-

तो अगर कभी ऐसा लगने लगे कि हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो शांत मन से वो छोटा से छोटा काम तलाशने की कोशिश करें जिससे थोड़ी सी संतुष्टि तो मिले कि हम कुछ कर रहे हैं ,भले ही उससे आपका भला हो या किसी और का क्योंकि ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर होता है। फिर कम से कम इतना करें कि आपकी वजह से किसी को कोई परेशानी न हो हम आगे न बढ़े तो कम से कम किसी के पैरों को आगे बढ़ने से न रोकें।

कैसे रोकें खुद को बबूल बनने से :-

जब भी ये एहसास हो कि हम किसी का भला तो कर नहीं रहे हैं उल्टा कुछ बुरा कर रहे हैं तो उसके बारे में सोचें जो आपका कुछ भला कर रहा हो, जो आपकी ग़लतियों को नज़र अंदाज़ करके या माफ़ करके आपको अपना मान रहा हो फिर बस इतना ही, आप करने की कोशिश करें जी हाँ किसी को अपना मानने की ,यक़ीन मानिये ये करने में जो ख़ुशी आपको महसूस होगी वो किसी को पीछे ढ़केलने में नहीं मिलेगी तो बस किसी को अपना मान कर उसे खुश करने की कोशिश करें क्योंकि किसी को खुश रखने से बड़ी संतुष्टि दूसरी नहीं हो सकती और जब हम किसी को अपना मानते हैं तो उसका भला करने का जज़्बा अपने आप ही दिल में आ जाता है। ग़ौर ज़रूर करियेगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म-मंथन की अगली कड़ी में, धन्यवाद।

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