Anxiety Disorder : ज्यादा सोचने की आदत बन सकती है गंभीर बीमारी

Anxiety Disorder : आजकल ज्यादातमानसिक में अधिक चिंता करने की आदत होती है। लोग अपने संबंधों को लेकर या दफ्तर और व्यवसायिक मामलों को लेकर ज्यादा सोचते हैं। ओवरथिंकिंग करने से लोग एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित हो जाते हैं। यह एक प्रकार का मानसिक रोग होता है। आमतौर पर इससे पीड़ित रोगियों की इसका एहसास नहीं हो पाता है। मगर समय रहते इसका इलाज करना जरूरी है। कई मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है। इस लेख में हम आपको एंग्जायटी डिसऑर्डर के प्रमुख लक्षण बताएंगे, जिससे इस रोग की पहचान कर सकेंगे।

Anxiety Disorder क्या है ?

एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder) नाम का मानसिक रोग ओवरथिंकिंग से शुरह होता है। किसी अप्रिय घटना के बारे में बार-बार सोचने से व्यक्ति के मन में घबराहट, डर, बेचैनी और उलझन होने लगती है। इसे ही एंग्जायटी डिसऑर्डर कहते हैं। अगर सही समय पर व्यक्ति इससे बाहर न निकले तो यह तनाव का रूप ले लेता है। गेटवे ऑफ हीलिंग की संस्थापक और निदेशक व साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी एंग्जायटी डिसऑर्डर को पहचानने के आसान टिप्स बताएं हैं।

एंग्जायटी डिसऑर्डर के लक्षण (Anxiety Disorder)

  • किसी बात या घटना के बारे में लगातार बार-बार सोचना।
  • निजी संबंधों में साथी से बार-बार लड़ाई झगड़ा करना।
  • सोच के आधार पर गुस्से में गलत निर्णय लेना।
  • नाराजगी के बाद किसी को बार-बार फोन करना।

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क्यों होते हैं एंग्जायटी डिसऑर्डर के शिकार ?

किसी व्यक्ति में एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder) कई कारणों से हो सकता है। अगर किसी के मन में लंबे समय तक कोई चिंता या डर रहता है तो वह इस मानसिक रोग से पीड़ित हो सकता है। क्योंकि इस स्थिति में व्यक्ति खुद को अकेला कर लेता है और गुमसुम रहने लगता है। इस कारण वह अपनी मन की परेशानियों से खुद ही लड़ता रहता है। जिनका समाधान उसके पास नहीं होता है। ऐसे में धीरे-धीरे व्यक्ति एंग्जायटी डिसऑर्डर की ओर बढ़ने लगता है।

एंग्जायटी डिसऑर्डर से कैसे बचें (Anxiety Disorder)

  • अगर किसी व्यक्ति को कोई डर या घबराहट महसूस होता है तो दूसरों से शेयर करना चाहिए। कोई भी बात को ज्यादा समय तक के लिए मन में नहीं रखना चाहिए।
  • पार्टनर को लेकर शक करने से बचें। आपसी मनमुटाव या समस्याओं को एक-दूजे से साझा कर सुलझा लें। नाराजगी में साथी को बार-बार फोन या मैसेज कर परेशान ना करें।
  • पर्सनल समस्याओं को माता-पिता या दोस्तों से जरूर साझा करें। उनसे सलाह लेकर अपना नजरिया भी बदले।
  • अगर कोई बात ज्यादा परेशान करती है तो खुद को फ्री ना रखें। उस दौरान आर्ट थेरेपी का सहारा लें। खाली समय क्रिएटिव काम भी कर सकते हैं।
  • अगर फिर भी मन से नकारात्मक विचार नहीं निकल पा रहें हैं तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें। क्योंकि ज्यादा चिंता करने की आदत आपके संबंधों को प्रभावित कर सकता है। जो आपके तनाव को गंभीर अवस्था में लें जा सकता है। इसलिए एक्सपर्ट की मदद लें कर इस समस्या से जल्द बाहर निकलने की कोशिश करें।

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