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बिहार के छोटे सरकार… हत्या से लेकर अपहरण तक, Anant Kumar Singh पर 28 आपराधिक मामले, चुनाव से पहले फिर गए जेल

Anant Kumar Singh Cases News In Hindi

Anant Kumar Singh Cases News In Hindi

Anant Kumar Singh Cases News In Hindi | Bihar Assembly Elections के माहौल में ‘छोटे सरकार’ कहे जाने वाले Anant Kumar Singh की गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है।

हाल ही में Mokama में Jansuraj Party के कार्यकर्ता Dularchand Yadav की हत्या के बाद उनकी क्राइम कुंडली फिर से सुर्खियों में आ गई है।

पटना से करीब 100 किलोमीटर दूर Mokama Assembly Constituency में पिछले करीब 20 वर्षों से सक्रिय Anant Kumar Singh स्थानीय राजनीति में एक शक्तिशाली नाम हैं। बताया जाता है कि इस क्षेत्र में उनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि वे जीतने के लिए पार्टी टिकट या चिन्ह पर विशेष निर्भर नहीं रहे हैं।

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उनके खिलाफ गंभीर आरोपों की लंबी फेहरिस्त है। नामांकन पत्र के अनुसार इस चुनाव में उनके खिलाफ 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, अपहरण, यातना, शस्त्र मामला, अपराधियों को शरण देना समेत कई अन्य आरोप शामिल हैं।

उनके हलफनामे से यह भी पता चलता है कि उनकी चल-अचल संपत्ति करीब 37.88 करोड़ रुपये है, जबकि उनकी पत्नी नीलम देवी के नाम लगभग 62.72 करोड़ रुपये की संपत्ति दर्ज है। इनके पास महंगे वाहन जैसे टोयोटा लैंड क्रूजर, टोयोटा फॉर्च्यूनर के साथ एक हाथी, एक घोड़ा और कई मवेशी भी हैं।

राजनीति में उनका सफर 2005 में विधानसभा चुनाव जीतकर शुरू हुआ था। 2010 में उन्होंने अपने क्षेत्र में अपनी पकड़ बरकरार रखी।

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2015 में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के गठबंधन के बाद उन्होंने जेडीयू छोड़कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बाद में वे 2020 से पहले राजद में शामिल हुए।

2022 में एक हथियार मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई, लेकिन उनकी पत्नी नीलम देवी ने मोकामा सीट पर राजद के टिकट से जीत हासिल की। इस बार उन्होंने फिर से जेडीयू का टिकट लिया है।

हाल ही में दुलारचंद यादव हत्या मामले में अनंत कुमार सिंह, मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम को गिरफ्तार किया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, कठोर वस्तु से दिल और फेफड़ों पर चोट लगने से दुलारचंद की मौत हुई थी।

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इस पूरे प्रकरण में यह सवाल उठता है कि लंबे समय से क्षेत्र में “छोटे सरकार” की छवि बनाए रखने वाले नेता के खिलाफ इतने गंभीर मामले होने के बावजूद उनका राजनीतिक प्रभाव कैसे कायम रहता है।

ऐसे हालात में बिहार के चुनावी माहौल में बाहुबल, पैसा और स्थानीय सत्ता संरचनाओं की भूमिका एक बार फिर प्रमुख मुद्दा बन गई है।

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