रीवा। अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद का 17वां राष्ट्रीय सम्मेलन रीवा में सम्पन्न हुआ। जिसमें देश भर के तकरीबन एक हजार साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। तीन दिनों तक चले इस राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभांरभ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। मध्यप्रदेश, उत्तर-प्रदेश, दिल्ली समेत अन्य राज्यों से पहुचे साहित्यकारों एवं अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद के पदाधिकारियों ने साहित्य पर गहन-मंथन किए, तो वही छोटे-छोटे उदाहरण देकर परिषद के पदाधिकारियों ने परिषद को मजबूत वट वृक्ष बनाने के लिए जोर दिए। उनका कहना था कि संगठन मजबूत होगा तभी साहित्य को वो मुकाम मिल पाएगा।जिसका वह वास्तविक हक दार है।

नई कार्यकारिणी का ऐलान
समापन अवसर पर परिषद के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने नई कार्यकारणी की घोषणा किए है। इस दौरान पदाधिकारियों को जिम्मेदारी देकर उनका सम्मान भी किया गया। राष्ट्रीय पदाधिकाारयों ने कहा कि नए पदाधिकारी परिषद में नए लोगो को जोड़ने का काम करें। ऐसे लोगो को भी शामिल करे जो मंच की सोच नही बल्कि परिषद की मजबूती, कार्यक्रमों की सफलता तथा साहित्य की अच्छी सोच रखते हो। ऐसे लोग जब मिलकर काम करेगे तो निश्चित तौर पर अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद अपनी उॅचाईयों को छुएगा और साहित्य को अच्छा मुकाम मिलेगा।

कंमजोर राज्यों पर फोकस
समापन अवसर पर परिषद के पदाधिकारियों ने कहा परिषद के नव नियुक्ति पदाधिकारी तमिलनाडू, नागलैण्ड जैसे राज्यों में परिषद को मजबूत बनाने के लिए फोकस करें और ज्यादा काम करे। जिससे ऐसे राज्यों में भी अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद अपना वजूद कायम कर सकें। परिषद के नव नियुक्ति अध्यक्ष सुशील त्रिवेदी ने कहा कि साहित्य को अभी वह स्थान नही मिल पाया है। जिसका वह वास्तव में हकदार है। इसके लिए अखिल भारतीय साहित्य परिषद पूरी मजबूती के साथ काम करेगा। उन्होने कहा कि रीवा की यह वसुंधरा बात ही निराली है। इस स्थान पर साहित्यकारों ने बैठक कर चर्चा किए है। जिसके आगामी परिणाम अच्छे होगे।
