“Albert Fish” बच्चों का मांस पकाकर खाता था ये नरभक्षी हत्यारा, 100 से अधिक बच्चों के साथ…..

ALBERT FISH A SERIAL KILLER

इस दुनिया में सनकी लोगों की कमी नहीं हैं, लेकिन आखिर क्या मिलता है ऐसे मानसिक विकृति वाले लोगों को दूसरों को तड़पते देखने में, मारने में क्या उनके अंदर की सारी इंसानियत मर गई है, आखिर जिन मासूम बच्चों की ये हत्यारे हत्या करते है, उनमें बच्चों को देख के दया नहीं आती कैसे वो इनते छोटे बच्चों की मासूमियत छीन लेते है, और हमेशा के लिए उनके चेहरे से मुस्कुराहट गायब कर देते हैं। आज हम एक ऐसे नरभक्षी हत्यारे के बारे में जानेंगे जिसने से अधिक बच्चों का शारीरिक शोषण किया और उनमें से कुछ बच्चों के शरीर को पका कर खा गया।

बच्ची के मांस को पकाकर खा गया नरभक्षी

19 मई 1870 – Washington में जन्मा अल्बर्ट फिश (Albert Fish) दुनिया के सबसे खतरनाक सीरियल किलर में से एक हैं। Albert Fish का एक केस इतना भयानक था जिसे जिसने भी सुना उसकी रूह कांप गई। 1928 में इसने 10 साल की बच्ची ग्रेस बड (Grace Budd) को अपना शिकार बनाया, वो बच्ची को बहला फुसला कर अपने घर ले गया जहां उसने बच्ची का गला घोट कर उसकी हत्या करदी। इस घटना का खुलासा 6 साल बाद हुआ जिसमें उसने बच्ची की मां को एक खत लिखा जिसमें उसने अपने दरिंदगी की दास्तां बताई उसने बताया कि उसने उनकी बेटी की हत्या की और फिर बच्ची के छोटे छोटे टुकड़े कर के पकाकर खा गया।

अपने शरीर को दर्द देने में मिलता था सुकून

ये एक ऐसा इंसान था नहीं इसे इंसान कहना इंसानियत पर कीचड़ उछालने जैसा है। इंसान के भेष में ये एक ऐसा जानवर था जो दूसरों को तो मारता ही था लेकिन जब इसे कोई शिकार नहीं मिलता था तब ये खुद को चोंट पहुंचता था। पकड़े जाने के बाद जब Albert Fish की मेडिकल जांच की गई तब एक्सरे में उसके शरीर से 29 सुइयां पाई गई जो उसने खुद ही चुभा रखी थी। डॉक्टर्स ने बताया कि Albert Fish सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia), सैडोमासोकिज्म (Sadomasochism), कैनिबलिज्म(cannibalism), पैडोफिलिय (Pedophilia) जैसी मानसिक बीमारियों से ग्रसित है।

नरभक्षी को मिली दर्दनाक मौत

13 दिसंबर 1934 को Grace Budd की हत्या के केस में Albert Fish को गिरफ्तार किया गया था। जहां 11 मार्च 1935 को न्यूयॉर्क के White Plains कोर्ट में मुकदमा शुरू हुआ, अल्बर्ट के वकीलों ने दलील रखी कि वो एक मानसिक रोगी है। कोर्ट ने उसे “mentally ill but legally sane” मान कर उस पर रहम न बरतते हुए फांसी की सजा सुना दी। 16 जनवरी 1936 को उसे इलेक्ट्रिक चेयर पर बार-बार करंट दिया गया जहां उसकी मौत हो गई उस वक्त उसके आखिरी शब्द थे “I don’t even know why I’m here.”

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